नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस नेता डी शिवकुमार ईडी के सामने हुए पेश, जानिए क्या है मामला, अब तक क्या-क्या हुआ ?

Update: 2022-10-07 07:36 GMT

नईदिल्ली। नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस नेताओं की मुश्किलें कम नहीं हो रही है।  कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार आज ईडी के सामने पेश हुए। इससे पहले ईडी सोनिया और राहुल गांधी से घंटों लंबी पूछताछ कर चुकी है। एपीजे अब्दुल कलाम रोड स्थित ईडी कार्यालय के अंदर जाने से पहले शिवकुमार ने पत्रकारों से कहा कि वह ''कानून का पालन करने वाले नगारिक'' हैं और इसलिए संघीय एजेंसी के समक्ष पेश होने के लिए पहुंचे हैं, जबकि उन्हें यह भी नहीं पता कि उन्हें यहां बुलाया क्यों गया है।

बता दें की कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा इस समय कर्नाटक से गुजर रही है। इसमें शामिल होने के लिए शिवकुमार ने ने ईडी से 21 अक्टूबर तक पेशी से छूट देने का अनुरोध किया था। वह राज्य में यात्रा के प्रबंधन का जिम्मा संभाल रहे हैं।शिवकुमार ने बृहस्पतिवार को बताया था कि ईडी ने सात अक्टूबर को दिल्ली में एजेंसी के सामने पेशी से छूट देने की उनकी अर्जी खारिज कर दी।ईडी ने शिवकुमार और उनके भाई एवं सांसद डी के सुरेश (56) को भी कांग्रेस पार्टी के स्वामित्व वाले 'नेशनल हेराल्ड' समाचार पत्र से जुड़े कथित धन शोधन मामले में जारी जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए तलब किया है।

नेशनल हेराल्ड का इतिहास 


नेशनल हेराल्ड घोटाला दरअसल हेराल्ड नयूजपेपर से जुड़ा हुआ है।

आजादी से पहले इस अखबार की शुरुआत1938 में देश के पहले प्रधानमंत्री ने की थी।  

उस समय इसका प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड करती थी। 

प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड हिंदी में नवजीवन और उर्दू भाषा में कौमी आवाज अखबार प्रकाशित थी। 

ये अखबार क्रांतिकारियों की आवाज को बुलंद करता था। जिसके कारण अंग्रेजों ने इसे बैन कर दिया था।  

कांग्रेस की नीतियों को जनता तक पहुंचाने का जरिया बना

नेशनल हेराल्ड को 1945 में दोबारा शुरू किया गया। 

1947 में आजादी मिलने के बाद जवाहर लाल नेहरू ने अखबार के बोर्ड अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। 

इसके बाद अखबार लगातार प्रकाशित किया गया और कांग्रेस की नीतियों को जनता तक पहुंचाने का जरिया बन गया।  

ऐसे हुई घोटाले की शुरुआत - 



 1962-63 में दिल्ली-मथुरा रोड रोड के 5-A बहादुर शाह जफर मार्ग पर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड  को 0.3365 एकड़ जमीन आवंटित की गई।   

जमीन आवंटित करते हुए यह शर्त रखी गई कि इस भूमि पर बनने वाली बिल्डिंग का निर्माण किसी और काम के लिए नहीं होगा।

साल 2008 में कांग्रेस ने घाटे का कारण देते हुए इस अखबार का प्रकाशन बंद  कर दिया।

वर्ष 2011 में घाटे में चल रही इस कंपनी की होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड को ट्रांसफर कर दी गई। 

उस समय राहुल गांधी इस कंपनी के डायरेक्टर थे।  

इसके सबसे ज्यादा 38-38 फीसदी शेयर राहुल गांधी और सोनिया गांधी के नाम थेअन्य 24 फीसदी शेयर होल्डर में कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, पत्रकार सुमन दुबे, और कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा शामिल थे।  

सुब्रह्मण्यम स्वामी की शिकायत ने खोला राज -  

इस पूरे मामले में सबसे बड़ा मोड़ 2012 में आया, जब भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आरोप लगाते हुए निचली अदालत में एक शिकायत दर्ज करवाई।  उन्होंने कहा, यंग इंडिया लिमिटेड द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण में धोखाधड़ी और विश्वासघात किया गया. .इस धोखाधड़ी में कांग्रेस के कुछ नेता शामिल थे।  उन्होंने आरोप लगाया की गांधी परिवार ने कांग्रेस पार्टी के फंड का इस्तेमाल करके AJL का अधिग्रहण किया और इस कंपनी की 2000 करोड़ की सम्पत्ति पर कब्जा करने की कोशिश की है।  

2014 में ईडी ने शुरू की जांच - 


इस पूरे मामले में मनी लॉड्रिंग हुई है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए इस पूरे मामले में 2014 में ED की एंट्री हुई. जानिए कब-कब क्या हुआ…

जून 2014: अदालत ने सोनिया और राहुल को आरोपी के रूप में समन किया।  

सितंबर 2015: ED ने इस केस की जांच शुरू की.

दिसंबर 2015: सोनिया गांधी और राहुल गांधी इस मामले में पटियाला कोर्ट में पेश हुए और उन्हें जमानत मिली. सुनवाई जारी रही और सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.

अक्टूबर 2018: दिल्ली हाई कोर्ट ने AJL को बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया. जिसके कहा गया कि इस बिल्डिंग का इस्तेमाल व्यावसायिक उद्देश्य के लिए हो रहा है.

फरवरी 2019: गांधी परिवार इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा.

अप्रैल 2019: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के इस आदेश पर रोक लगा दी.

अगस्त-सितंबर 2022 : राहुल, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और पवन बंसल से पूछताछ।  


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