विशेष बातचीत: ढांचागत योजनाओं की वजह से बढ़ रहा है क्रेन का बाज़ार

Update: 2024-12-31 06:14 GMT

नई दिल्ली। देश में बड़ी बड़ी ढांचागत योजनाओं की वजह से क्रेन और दूसरी बड़ी मशीनरी की मांग बहुत बढ़ गई है। ऐसे में हैवी मशीनरी बनाने वाली कंपनियां अपने प्लांट्स का विस्तार करने लगी हैं। एक्शन कंस्ट्रक्शन इक्यूपमेंट लिमिटेड (ऐस) ने अपनी हैवी मशीनरी के लिए अपने प्लांट का विस्तार किया है। कंपनी ने हरियाणा के फरीदाबाद में 50 एकड़ में अपने प्लांट के विस्तार शुरु कर दिया है। इसमें करीब 80 करोड़ रुपये सिर्फ ज़मीन पर लगाए हैं।

कंपनी के मार्केटिंग प्रमुख तरुण सिंघल ने विषेश बातचीत में स्वदेश को बताया कि, देश में क्रेन के बाज़ार में ऐस की हिस्सेदारी 68 प्रतिशत से ज्यादा है। देश में छोटी क्रेन में हाइड्रा सबसे ज्य़ादा मांग में रहती है, इसमें हमारा मार्केट शेयर 68 प्रतिशत से ज्य़ादा है।

इसके साथ साथ भारत में बड़े इंफ्रा प्रोजेक्ट काफी चल रहे हैं, चाहे वो स्मार्ट सिटी हो, भारतमाला, सागरमाला हो या बड़े पोर्ट या डैम बन रहे हों, इसकी वजह से टावर क्रेन्स का बाज़ार भी काफी बढ़ गया है। अब सालाना 1500 से ज्य़ादा टावर क्रेन्स की मांग हो रही है, जोकि कुछ साल पहले मात्र 500 से 600 क्रेन हुआ करती थी।

इन सभी प्रोजेक्ट्स की वजह से देश में ढांचागत उपकरणों की मांग बहुत बढ़ गई है। इसके साथ साथ बड़ी बड़ी सड़कें भी बन रही है। इन सड़कों में भी भारी मशीनरी की जरुरत होती है। लिहाजा मशीन और अन्य उपकरण बनाने वाली कंपनियों की मांग भी काफी बढ़ गई है। सिंघल के मुताबिक, जब भी सड़क बनने का काम शुरु होता है तो सबसे पहले खुदाई की मशीन साइट पर जाती है।

इसके बाद क्रेन की जरुरत होती है, क्योंकि माल उतारने के लिए क्रेन की जरुरत होती है। लिहाजा इन मशीनों की मांग सड़कों के बनने की वजह से बढ़ गई है। सिंघल के मुताबिक, इन नई यूनिट में कंपनी टावर क्रेन बनाएगी, जोकि पूरी तरह से ऑटोमेटिड प्लांट होगा।

इसमें रोबोटिक का भी इस्तेमाल किया जाएगा। अभी हम सालाना 1200 टावर क्रेन बना रहे हैं। चूंकि हम हर महीने 100 टावर क्रेन ही सप्लाई कर पा रहे हैं, जबकि मांग बहुत ज्य़ादा है, लिहाजा हम अपना टावर क्रेन का उत्पादन बढ़ाने जा रहे हैं।

सिंघल ने बताया कि अगले साल हमारी कंपनी बड़ी क्रेन भी बनाने लगेगी, इसके लिए जापान की एक कंपनी काटो के साथ संयुक्त उपक्रम बनाने जा रहे हैं। दरअसल हम अभी तक 180 टन क्षमता वाली क्रेन ही बना पा रहे हैं, लेकिन जापानी कंपनी के साथ साझेदारी के बाद हम 400 से लेकर 600 टन क्षमता वाली क्रेन भी बना पाएंगे।

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