किसानों के दिल्ली कूच पर रोक: जानिए क्या है किसानों की मांग, जिसके लिए सरकार को दिया 7 दिनों का अल्टीमेटम
किसान नेताओं का कहना है कि प्रशासन ने 07 दिनों का समय मांगा था जिसे किसानों ने मान लिया है।
एक बार फिर किसान दिल्ली में घुसने के लिए बॉर्डर पर संघर्ष करते नजर आए। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सोमवार की सुबह से ही नोएडा और आसपास के क्षेत्रों से किसान दिल्ली में प्रवेश करने के लिए प्रयास करते नजर आए। यही कारण है कि दिल्ली में पूरे दिन जाम की स्थिति रही। हालांकि किसानों को रोकने के लिए लगभग 5,000 पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान लगे हुए थे। शाम होने के साथ ही प्रशासन ने सभी रास्ते खोल दिए और उन्हें किसानों की तरफ से भी राहत की खबर सुनने को मिली। अब किसान 7 दिनों तक दलित प्रेरणा स्थल से आगे नहीं बढ़ेंगे यानी अभी दिल्ली कूच नहीं करेंगे।
क्यों स्थगित हुआ दिल्ली कूच का प्लान
दरअसल, किसान नेताओं का कहना है कि प्रशासन ने 07 दिनों का समय मांगा था जिसे किसानों ने मान लिया है। 7 दिनों तक हम दिल्ली कूच नहीं करेंगे, यहीं, दलित प्रेरणा स्थल पर आंशिक रूप से अनशन जारी रहेगा। संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों की प्राधिकरण, पुलिस और जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों के साथ बातचीत भी यमुना प्राधिकरण में हुए थी जिसका कोई निष्कर्ष नहीं निकला। अब किसानों की मांग पर शासन को फैसला लेना है।
क्या है किसानों की मांग?
किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, "गौतमबुद्धनगर में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना तीन प्राधिकरण हैं, जहां किसानों की भूमि अधिग्रहण की गई है। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों से किसानों को 64% अधिक मुआवजा देने को कहा है लेकिन सरकार नहीं कर रही।किसानों को 10% जमीन देने का भी वादा किया गया था, लेकिन सभी किसानों को वह जमीन नहीं दी जा रही है...''
सरकार बातचीत के लिए तैयार
वहीं, किसानों के विरोध प्रदर्शन पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि, "सरकार पूरी तरीके से किसानों से बातचीत करने के लिए तैयार है लेकिन बार-बार इस तरीके से मार्च करना, पिछले बार भी जिन कानून पर इन्हें एतराज था सरकार ने बिना किसी सर्त के उसे वापस लिया। ये सरकार की सोच को दिखता है कि पूरी तरीके से किसानों की भावना के साथ हमारी सरकार काम करने का प्रयास कर रही है। ऐसी में जब सरकार ने बातचीत का रास्ता खुलकर रखा है तो मुझे लगता है कि पहले बातचीत होनी चाहिए। सरकार बातचीत के लिए तैयार है।"