मध्यप्रदेश। अमेरिका की खोज हमारे पूर्वजों ने की थी, न कि कोलंबस ने। उन्होंने माया संस्कृति के साथ मिलकर उनके विकास में सहयोग किया। यह भारत का प्राचीन चिंतन और दर्शन है, जिसे विद्यार्थियों को पढ़ाने की आवश्यकता थी। यह बात हम नहीं बल्कि मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री इंदर सिंह परमार (Minister Inder Singh Parmar) ने कही है। उनके इस बयान के बाद अब इतिहासकारों में नई बहस छिड़ गई है। लोग सवाल कर रहे हैं कि, आखिर इतिहास में इतनी बड़ी गड़बड़ी हुई कैसे और विद्यार्थियों को सालों तक गलत इतिहास क्यों पढ़ाया गया।
दरअसल, मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार मंगलवार को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम में राज्यपाल मंगुभाई पटेल और सीएम डॉ. मोहन यादव ने स्टूडेंट्स को डिग्रियां बांटीं।
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (Minister Inder Singh Parmar) ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि 'भारत की खोज वास्कोडिगामा ने नहीं ,चंदन नाम के व्यापारी ने की थी। वास्कोडिगामा ने खुद लिखा है कि, चंदन व्यापारी का जहाज उसके जहाज के आगे चल रहा था। हमें गलत इतिहास पढ़ाया गया है। अमेरिका की खोज भी कोलंबस ने नहीं की, बल्कि हमारे पूर्वजों ने की है, जिसके रिकॉर्ड आज भी मौजूद हैं।'
किताबों में दर्ज है ये इतिहास
पुस्तकों में पढ़ाए गए इतिहास के अनुसार क्रिस्टोफर कोलंबस ने 12 अक्टूबर 1492 को अमेरिका की खोज की थी, जब वह कैरेबियाई द्वीप समूह तक पहुंचे। हालांकि, कोलंबस को अमेरिका के मुख्य भाग तक पहुँचने में 1498 तक का समय लगा।कोलंबस ने अपनी पहली यात्रा के दौरान कैरेबियन द्वीपों का पता लगाया, लेकिन अमेरिकी महाद्वीप के मुख्य भाग तक नहीं पहुँच पाए। उनकी दूसरी यात्रा, जो 1497 में की गई, में उन्होंने न्यू फाउंडलैंड तक पहुँचने का दावा किया। इसके अलावा, इटली के व्यापारी जॉन केबोट ने 1497 में ब्रिस्टल से उत्तरी अमेरिका तक पहुँचने की यात्रा की थी। यह यात्रा कोलंबस की खोज से पहले की थी, और केबोट के अलावा भी कुछ अन्य यूरोपीय खोजियों ने अमेरिका की पहचान की थी। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि ब्रिस्टल के व्यापारी 1470 से पहले ही अमेरिका के तट तक पहुँच चुके थे। इस अध्ययन के अनुसार, अमेरिका की खोज के संबंध में यूरोपीय गतिविधियाँ कोलंबस की खोज से कई दशकों पहले शुरू हो चुकी थीं।