भारत को अपनी छवि बदलनी होगी, हम निर्णय लेने वाले बनेंगे : विदेश मंत्री जयशंकर
नई दिल्ली। दुनिया की राजनीति पर भारत का वैश्विक सम्मेलन 'रायसीना डायलॉग' के दूसरे दिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि हम आतंकवाद से सख्ती से निपट रहे हैं। इससे पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि समानता पर आधारित लोकतांत्रिक व्यवस्था को क्रूर बल का उपयोग कर प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए। हमारा मानना है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए।
-विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों पर कहा कि दोनों देशों के लिए संबंधों में संतुलन अहम है। हमें एक दूसरे के साथ चलना होगा। पड़ोसी देशों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति पर पहुंचना महत्वपूर्ण है।
-साथ ही उन्होंने अमेरिका-ईरान तनाव पर कहा कि ये दो विशिष्ट देश हैं और निर्णय उन्हें ही लेना है।
-उन्होंने कहा कि एक समय था जब हम काम की तुलना में बात ज्यादा करते थे, लेकिन अब बदलाव आ रहा है। हम बचने की कोशिश करने वाले नहीं बल्कि निर्णय लेने वाले बनेंगे। भारत को अपनी पुरानी छवि से बाहर निकलना होगा।
- जयशंकर बोले, हम बचने की कोशिश करने वाले नहीं बल्कि निर्णय लेने वाले बनेंगे
- भारत को अपनी पुरानी छवि से बाहर निकलना होगा: जयशंकर
- भारत के विदेश मंत्री बोले, एक समय था जब हम काम की तुलना में बात ज्यादा करते थे, लेकिन अब बदलाव आ रहा है।
- जयशंकर ने अमेरिका-ईरान तनाव पर कहा कि अमेरिका और ईरान दो विशिष्ट देश हैं और निर्णय उन्हें ही लेना है ।
- रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि अमेरिका, जापान और अन्य देशों की ओर से की जा रही नई हिंद-प्रशांत अवधारणा लाने की कोशिश मौजूदा संरचना को नया आकार देने का प्रयास है। हिंद-प्रशांत अवधारणा पर कहा कि किसी को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए, हम भारत की स्थिति का समर्थन करते हैं।
रायसीना डायलॉग के पांचवें संस्करण का आयोजन विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन सम्मिलित रूप से कर रहा है। इसमें सौ से अधिक देशों के 700 अंतरराष्ट्रीय भागीदार हिस्सा लिया और इस तरह का यह सबसे बड़ा सम्मेलन है। तीन दिनों तक चलने वाले सम्मेलन में 12 विदेश मंत्री हिस्सेदारी करेंगे जिसमें रूस, ईरान, ऑस्ट्रेलिया, मालदीव, दक्षिण अफ्रीका, एस्तोनिया, चेक गणराज्य, डेनमार्क, हंगरी, लातविया, उज्बेकिस्तान और ईयू के विदेश मंत्री शामिल हैं। ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ की भागीदारी का इसलिए महत्व है कि ईरान के कुद्स फोर्स के कमांडर कासीम सुलेमानी की हत्या के बाद वह इसमें हिस्सा ले रहे हैं।