Isha Foundation Controversy: विवादों के बाद ईशा फाउंडेशन ने दी सफाई, कहा - शादी या संन्यास लोगों का व्यक्तिगत निर्णय
Isha Foundation Controversy : कोयंबटूर के ईशा फॉउंडेशन में मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर 150 पुलिस कर्मियों ने रेड मारी थी। इस पर अब ईशा फॉउंडेशन ने सफाई दी है ईशा फॉउंडेशन की तरफ से कहा गया है कि शादी या संन्यास लोगों का व्यक्तिगत निर्णय होता है, इस मामले में हम किसी को बाध्य नहीं करते।
ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) द्वारा जारी किए गए प्रेसनोट में कहा गया है कि, ईशा फाउंडेशन की स्थापना सद्गुरु ने लोगों को योग और आध्यात्मिकता प्रदान करने के लिए की थी। हमारा मानना है कि वयस्क व्यक्ति को अपना रास्ता चुनने की स्वतंत्रता और बुद्धि है।
प्रेसनोट में आगे कहा गया कि, हम लोगों से शादी करने या साधु बनने के लिए नहीं कहते क्योंकि ये व्यक्तिगत चॉइस हैं। ईशा योग केंद्र में हज़ारों ऐसे लोग रहते हैं जो भिक्षु नहीं हैं और कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने ब्रह्मचर्य या भिक्षुत्व ग्रहण किया है। इसके बावजूद याचिकाकर्ता चाहता था कि भिक्षुओं को न्यायालय के समक्ष पेश किया जाए और भिक्षुओं ने खुद को न्यायालय के समक्ष पेश किया है।
प्रेसनोट में आगे कहा गया कि, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे अपनी इच्छा से ईशा योग केंद्र में रह रहे हैं। अब जबकि मामला न्यायालय के पास पहुँच गया है, हमें उम्मीद है कि सत्य की जीत होगी और सभी अनावश्यक विवादों का अंत होगा।
ये है पूरा मामला
दरअसल, सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. एस. कामराज मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया था कि उनकी दोनों बेटियों को ईशा फॉउंडेशन में जबरन रखा जा रहा है। इस पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट ने पुलिस को ईशा फॉउंडेशन में जांच करने का आदेश दिया था। आदेश का पालन करते हुए पुलिस मंगलवार को ईशा फॉउंडेशन पहुंची थी जहां पुलिस ने वहां रह रहे लोगों से उनकी दिनचर्या के बारे में जानकारी ली।