चन्द्रग्रहण : रात का नजारा देखने के लिए रहें तैयार, बादलों के बाद भी संभावना
नई दिल्ली। खगोलीय घटनाओं को देखने के लिए उत्सुक रहने वाले लोगों के लिए शुक्रवार रात का नजारा आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। बादलों से भरे आसामान के बावजूद संभावना है कि 4 घंटे दिखाई देने वाले इस चन्द्रग्रहण का दीदार हो जाए। आज केवल चांद का लाल रंग ही देखने लायक नहीं होगा बल्कि उसके ठीक नीचे चमकते लाल ग्रह यानी मंगल के भी दीदार होंगे।
इस नजारे को देखने के लिए सबसे अच्छी जगह नेहरू तारामंडल है, जिसने अपने यहां विशेष प्रबंध किए हैं। लोगों की उत्सुकता को देखते हुए दिल्ली के नेहरू तारामंडल ने शुक्रवार सुबह 10 बजे से 'मून कार्निवल' का आयोजन किया गया है। दिल्ली के मौसम के चलते रात में बादल छाए रहने के आसार हैं।
नेहरू तारामंडल के डाइरेक्टर एन. रत्नरश्री ने बताया कि इस कार्निवल में लोगों को तारामंडल के लॉन में टेलिस्कोप लगाकर चन्द्रग्रहण देखने की सुविधा मुहैया कराई जाएगी। साथ ही साथ कई कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को चन्द्रग्रहण के बारे में जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा जंतर-मंतर पर मून वर्कशॉप का कार्यक्रम एक प्राइवेट संस्था द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
नेशनल जियोग्राफिक ने ट्विटर पर लोगों से रात के चांद के नजारे और उसकी तस्वीरें साझा करने काे कहा है। दिल्ली में चांद देखने का सबसे बेहतरीन समय रात को एक बजे से शुरू होगा और 1.51 मिनट पर चन्द्रग्रहण अपने शिखर पर होगा और 2.43 पर चन्द्रग्रहण हटना शुरू होगा।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार रात 11 बजकर 54 मिनट पर चन्द्रमा पर ग्रहण लगना शुरू होगा। एक बजे चन्द्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में आ जाएगा। चन्द्रमा 2 बजकर 43 मिनट तक पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में रहेगा। इसके बाद धीरे-धीरे पुन: दिखाई देने लगेगा और सुबह 3 बजकर 49 मिनट पर ग्रहण पृथ्वी की छाया से पूरी तरह बाहर आ जाएगा।
इस दौरान एक अलग खगोलीय घटना भी होने जा रही है। जुलाई अंतिम दिनों में मंगल ग्रह सूर्य के विपरित पृथ्वी के सबसे नजदीक आने जा रहा है। इसका मतलब है कि लाल ग्रह पृथ्वी से बड़ा और प्रकाशमय दिखाई देगा। इसे शाम से सुबह के बीच जुलाई के अंतिम दिनों में देखा जा सकता है।
ग्रहण वाले दिन मंगल चन्द्रमा के काफी नजदीक होगा और इसे आसानी से चन्द्रमा के नीचे देखा जा सकता है। मंगल 31 जुलाई को पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा।
इस चन्द्र ग्रहण के इतने लम्बे होने का प्रमुख कारण है कि इस दौरान चन्द्रमा पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूरी पर होगा। इसके अलावा वह पृथ्वी की केन्द्रीय छाया से होकर गुजरेगा और इस दौरान उसकी गति भी काफी कम होगी।
इसके पहले इतना लम्बा चन्द्रग्रहण 16 जुलाई 2000 को एक घंटे 46 मिनट और 15 जून 2011 को एक घंटे 40 मिनट का दिखाई दिया था। भारत के सभी हिस्सों से इसे देखा जा सकता है। भारत के अलावा यह एशिया रूस और आस्ट्रेलिया में भी देखा जा सकेगा।
चन्द्र ग्रहण के समय चांद पृथ्वी की छाया में आ जाता है जिसके चलते सूर्य का प्रकाश उसतक सीधा नहीं पहुंच पाता। ऐसे में चन्द्रमा थोड़े समय के लिए अदृश्य हो जाता है। जब पूर्ण चन्द्रग्रहण लगता है तो सूर्य के सफेद प्रकाश से जुड़े सात रंगों में से तीन रंग नीला बैंगनी और हरा बिखर जाते हैं और लाल व केसरिया रंग ही परिवर्तित होते हैं। लाल रंग के परिवर्तित होने के चलते चन्द्रमा लाल रंग का दिखाई देता है। इसी के चलते कल का चन्द्रमा 'ब्लड मून' भी कहलाएगा।