कारगिल का युद्ध भारतीय सेनाओं के शौर्य और संयम का प्रतीक है : प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने मन की बात संबोधित किया
नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में ओलंपिक का जिक्र करते हुए कहा दो दिन पहले की अद्भुत तस्वीरें, यादगार पल, अब भी मेरी आंखों के सामने हैं।टोक्यो ऑलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों को तिरंगा लेकर चलता देखकर मैं ही नहीं, पूरा देश ही रोमांचित हो उठा। जब ये खिलाड़ी भारत से गए थे, तो मुझे भी इनसे गप-शप करने , उनके बारे में जानने का और देश को बताने का अवसर मिला था।ये खिलाड़ी जीवन की अनेक चुनौतियों को पार करके यहां पहुंचे हैं।जो देश के लिए तिरंगा उठाता है, उसके सम्मान में, भावनाओं से भर जाना स्वाभाविक ही है। कल यानि 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस भी है।
कारगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगांठ के मद्देनजर देशवासियों से कारगिल की रोमांचक कहानी पढ़ने की अपील करते हुए कहा कि यह युद्ध हमारे सशस्त्र बलों की वीरता और अनुशासन का ऐसा प्रतीक है जिसे पूरी दुनिया ने देखा है।कारगिल का युद्ध भारत की सेनाओं के शौर्य और संयम का ऐसा प्रतीक है, जिसे पूरी दुनिया ने देखा है। इसबार ये गौरवशाली दिवस भी अमृत महोत्सव के बीज मनाया जाएगा। इसलिए ये और भी खास हो जाता है। मैं चाहूंगा कि आप कारगिल की रोमांचित कर देने वाली गाथा जरूर पढ़ें। आइए हम सभी कारगिल के बहादुर दिलों को नमन करें। उन्होंने कहा कि जो देश के लिए तिरंगा उठाते हैं, उनके सम्मान में भावनाओं से भर जाना स्वाभाविक है। देशभक्ति की ये भावना हम सबको जोड़ती है।
उन्होंने कहा की इस बार 15 अगस्त को देश अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है।ये हमारा बहुत बड़ा सौभाग्य है कि जिस आजादी के लिए देश ने सदियों का इंतजार किया, उसके 75 वर्ष होने के हम साक्षी बन रहे हैं।कितने ही स्वाधीनता सेनानी और महापुरुष हैं, जिन्हें अमृत महोत्सव में देश याद कर रहा है। सरकार और सामाजिक संगठनों की तरफ से भी लगातार इससे जुड़े कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।अमृत महोत्सव' किसी सरकार का, किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं है। यह कोटि-कोटि भारतवासियों का कार्यक्रम है।