कांग्रेस नहीं होती तो स्वदेशी को महत्व मिलता, आपातकाल का कलंक नहीं लग : प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव में लिया भाग
नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए मंगलवार को कहा कि उसकी सोच पर अर्बन (शहरी) नक्सलियों का कब्जा हो गया है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कांग्रेस की सोच को शहरी नक्सलियों ने हाईजैक कर लिया है, यह चिंता का विषय है। इसी कारण कांग्रेस अब कह रही है कि इतिहास बदला जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम इतिहास नहीं बदल रहे बल्कि कांग्रेस की याददाश्त में सुधार कर रहे हैं।
मोदी ने कांग्रेस नेताओं पर तंज कसते हिए कहा कि अगर कुछ लोगों के लिए इतिहास केवल एक परिवार तक ही सीमित है, तो हम इसके बारे में कुछ नहीं कह सकते। समझा जा रहा कि प्रधानमंत्री का इशारा गांधी परिवार की ओर था। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कोरोना काल में देश की उपलब्धियों, मंहगाई, रोजगार सहित विभिन्न विषयों पर अपनी बात रखी। साथ ही उन्होंने सहकारी संघवाद, लोकतंत्र और असहिष्णुता के मुद्दे पर विपक्ष की ओर से हो रही आलोचनाओं का जवाब भी दिया।
विपक्षी दल के सदस्यों के हंगामें के बीच प्रधानमंत्री ने हमले की धार को और तेज करते हुए कहा कि कांग्रेस की समस्या यह है कि उन्होंने वंशवाद के अलावा कभी कुछ नहीं सोचा। आज लोकतंत्र को सबसे बड़ा खतरा परिवारवादी पार्टियों से है और इसका सबसे ज्यादा खामियाजा योग्यता को उठाना पड़ता है। उन्होंने आग्रह किया कि देश के सभी राजनीतिक दल अपने भीतर लोकतांत्रिक व्यवस्था को स्थान दें और देश की सबसे पुरानी पार्टी होने के नाते कांग्रेस इसकी जिम्मेदारी उठाए। उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र किसी की मेहरबानी से नहीं है बल्कि यह देश लोकतंत्र का जनक है।
कांग्रेस पार्टी नहीं होती तो स्वदेशी को महत्व मिलता -
प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी न होती तो आज देश की स्थिति कुछ ओर होती। कांग्रेस पार्टी नहीं होती तो स्वदेशी को महत्व मिलता, आपातकाल का कलंक नहीं लगता, जातिवाद और क्षेत्रवाद नहीं होता, सिखों का नरसंहार नहीं होता, पंजाब में आतंकवाद नहीं होता, कश्मीरी पंडितों का पलायन नहीं होता और बेटियों को तंदुर में नहीं जलाया जाता। अगर कांग्रेस न होती तो इतने सालों में देश के आम नागरिकों को इतने सालों तक मूल सुविधायों से वंजित न रहना पड़ता।
प्रधानमंत्री ने उदाहरणों के साथ कांग्रेस पार्टी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सहकारी संघवाद को लेकर भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में मुख्यमंत्रियों और दूसरे दलों की सरकारों को छोटे-छोटे कारणों के चलते सत्ता से बेदखल कर दिया जाता था। इसके अलावा एक परिवार की आलोचना करने पर जानी-मानी हस्तियों को जेल में डाल दिया जाता था या फिर उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता था।
मोदी ने विपक्षी दल पर राज्य सरकारों को अस्थिर करने का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस आलाकमान के काम करने के तीन तरीके रहे हैं, अविश्वास पैदा करो, अस्थिर करो और फिर बर्खास्त करो। इस सिद्धांत पर चलते हुए फारूक अब्दुल्ला सरकार, चौधरी देवी लाल सरकार, चौधरी चरण सिंह सरकार, सरदार प्रकाश बादल सिंह सरकार और पिछले 6-7 दशकों में राज्य सरकारों को कांग्रेस ने परेशान किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता भी जानते है कि भारत के इतिहास में सरकारों को अस्थिर करने के लिए किस तरह की चालें चली गई है।
उन्होंने आगे कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने तीन राज्यों छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड का गठन किया और कोई समस्या सामने नहीं आई। वहीं कांग्रेस ने आंन्ध्र प्रदेश-तेलंगाना को अलग किया और उनके बीच कटुता का बीज बो दिया। इसी बीच, सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ कांग्रेस सदस्यों ने प्रधानमंत्री के संबोधन का विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया।
संविधान निर्माता डॉ अम्बेडकर को उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री ने उन लोगों की आलोचना कि जो भारत को एक राष्ट्र के रूप में नहीं देखते। उन्होंने कहा कि डॉ अम्बेडकर ने कहा था कि देश प्रशासनिक तौर पर भले ही विभाजित है लेकिन वह अभिन्न रूप से एक है। साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि देश सहयोगी संघवाद से आगे बढ़कर आज सहयोगी प्रतिस्पर्धी संघवाद की ओर बढ़ रहा है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों में 23 बार कोरोना महामारी से निपटने के लिए उन्होंने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की है। आज देश में वस्तुओं ओर सेवाओं पर कर की दर तय करने के लिए सभी राज्यों के वित्त मंत्री केन्द्रीय वित्त मंत्री के साथ बैठक कर सर्वसम्मति से निर्णय ले रहे हैं। इसके अलावा आकांक्षी जिलों में केन्द्र, राज्य और जिला प्रशासन मिलकर देश भर के पिछड़े जिलों को आगे लाने का प्रयास कर रहा है।
उन्होंने कहा कि आज कुछ लोग देश की निराशाजनक छवि पेश कर आनंद ले रहे हैं। ऐसे लोगों को हिदायत देते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत जीवन की निराशा को उन्हें देश पर नहीं थोपना चाहिए। देश के सामर्थ्य को कम कर नहीं आंकना चाहिए बल्कि इसका गुणगान करना चाहिए।गोवा को आजादी मिलने में देरी को लेकर भी प्रधानमंत्री ने कांग्रेस सरकार के रवैये को जिम्मेदार ठहाराया। उन्होंने इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सैन्य हस्तक्षेप न करने की नीति कारण रही। उन्होंने कहा कि जवाहलाल नेहरू को विश्व में अपनी छवि की चिंता थी जबकि राज्य की जनता उपनिवेशवाद की मार झेल रही थी।
प्रधानमंत्री ने मेडिकलकर्मियों और कोरोना योद्धाओं के महामारी के दौरान किए गए कार्य़ों की सराहना करते हुए कहा कि विपक्ष चाहता तो वैक्सीन की दिशा में की गई देश की उपलब्धियों को गर्व के साथ प्रस्तुत कर सकता था।उन्होंने कहा कि कोरोना काल में लाखों गरीबों के घर बने, हजारों लोगों के घर में नल से जल पहुंचा और देश के 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त आनाज दिया गया। कोरोना काल में कृषि क्षेत्र में रिकॉर्ड उत्पादन हुआ और एमएसपी पर रिकॉर्ड खरीद की गई। खिलाड़ियों ने देश का परचम दुनिया में लहराया। युवाओं ने परिश्रम से स्टार्टअप मे भारत को दुनिया तीसरे स्थान पर पहुंचाया। विपक्ष चाहता तो इन उपलब्धियों को दुनिया के सामने रख सकता था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी का 'अमृत महोत्सव' एक महत्वपूर्ण कालखंड है। आज देश के नेताओं को इस बात पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि अगले 25 सालों में देश कैसे आगे बढ़े। इससे जो संकल्प उभरेंगे उसमें सामूहिक भागीदारी होगी और सबकी उन्नति सुनिश्चित होगी। इससे देश पिछले 75 साल की गति से कई गुना तेजी से आगे आने वाले 25 सालों में बढ़ेगा।