प्रधानमंत्री का कांग्रेस पर तंज, "10 साल तक देश में विकास के नाम पर घोटाले हुए "
प्रधानमंत्री मोदी ने 18 हजार करोड़ के कार्यों का किया शिलान्यास
देहरादून। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को देवभूमि उत्तराखंड में 18 हजार करोड़ रुपये की सात परियोजनाओं का उद्घाटन और 11 परियोजनाओं का शिलान्यास किया। उन्होंने यहां सभा को संबोधित करते हुए कहा की उत्तराखंड पूरी देश की आस्था ही नहीं, बल्कि कर्म और कठोरता की भी भूमि है। इसलिए इस क्षेत्र का विकास, इस क्षेत्र को भव्य स्वरूप देना, डबल इंजन की सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
उन्होंने कहा की बीते वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद, अनेक जरूरी प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद आखिरकार आज ये दिन आया है। मैंने केदारपुरी की पवित्र धरती से कहा था और आज देहरादून से दोहरा रहा हूं, ये परियोजनाएं इस दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने में अहम भूमिका निभाएंगी।इस शताब्दी की शुरुआत में, अटल जी ने भारत में कनेक्टिविटी बढ़ाने का अभियान शुरू किया था। लेकिन उनके बाद 10 साल देश में ऐसी सरकार रही, जिसने देश का, उत्तराखंड का, बहुमूल्य समय व्यर्थ कर दिया।
उन्होंने आगे कहा की 10 साल तक देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर घोटाले हुए, घपले हुए। इससे देश का जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई के लिए हमने दोगुनी गति से मेहनत की और आज भी कर रहे हैं।आज भारत, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के इरादे से आगे बढ़ रहा है। आज भारत की नीति, गतिशक्ति की है, दोगुनी-तीन गुनी तेजी से काम करने की है।
21वीं सदी के कालखंड में भारत में कनेक्टविटी का ऐसा महायज्ञ चल रहा है, जो भविष्य के भारत को विकसित देशों के श्रंखला में लाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा। इस महायज्ञ का एक यज्ञ आज देवभूमि में हो रहा है।केदारनाथ त्रासदी से पहले, 2012 में 5 लाख 70 हजार लोगों ने दर्शन किये थे। ये उस समय एक रिकॉर्ड था।जबकि कोरोना काल शुरू होने से पहले, 2019 में 10 लाख से ज्यादा लोग केदारनाथ जी के दर्शन करने पहुंचे थे।आज मुझे बहुत खुशी है कि दिल्ली-देहरादून इकॉनॉमिक कॉरिडोर का शिलान्यास हो चुका है। जब ये बनकर तैयार हो जाएगा तो, दिल्ली से देहरादून आने-जाने में जो समय लगता है, वो करीब-करीब आधा हो जाएगा।
हमारे पहाड़, हमारी संस्कृति, आस्था के गढ़ तो हैं ही, ये हमारे देश की सुरक्षा के भी किले हैं।पहाड़ों में रहने वालों का जीवन सुगम बनाना देश की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। साल 2007 से 2014 के बीच जो केंद्र की सरकार थी, उसने सात साल में उत्तराखंड में केवल 288 किलोमीटर नेशनल हाईवे बनाए। जबकि हमारी सरकार ने अपने सात साल में उत्तराखंड में 2 हजार किलोमीटर से अधिक लंबाई के नेशनल हाईवे का निर्माण किया है। पहले की सरकार ने उत्तराखंड में नेशनल हाईवे पर 7 साल में 600 करोड़ के आस पास खर्च किया। हमारी सरकार ने 7 साल में नेशनल हाईवे पर 12,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुकी है।
सीमावर्ती पहाड़ी क्षेत्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी पहले की सरकारों ने उतनी गंभीरता से काम नहीं किया, जितना करना चाहिए था। बॉर्डर के पास सड़कें बनें, पुल बनें, इस ओर उन्होंने ध्यान नहीं दिया।वन रैंक वन पेंशन हो, आधुनिक अस्त्र-शस्त्र हो, आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देना हो, जैसे उन लोगों ने हर स्तर पर सेना को हतोत्साहित करने की कसम खा रखी थी।आज जो सरकार है वो दुनिया के किसी देश के दबाव में नहीं आ सकती।