पहले यहां कभी बम,गोली की आवाज सुनाई देती थी अब तालियां गूंज रही हैं : प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मोदी ने असम में अमृत सरोवर परियोजना का किया शिलान्यास
डिब्रूगढ़। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को असम के कार्बी आंगलोंग जिले के दीफू में अमृत सरोवर प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया। राज्य इसके तहत 2985 से अधिक अमृत सरोवरों को लगभग 1150 करोड़ रुपये की कुल लागत से विकसित करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर देशभर में जल संरक्षण के लिए आजादी के अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में प्रत्येक जिले में 75 जल निकायों का विकास और कायाकल्प करने की योजना है।इसके अवाला प्रधानमंत्री ने पशु चिकित्सा महाविद्यालय (दीफू), डिग्री कॉलेज (पश्चिम कार्बी आंगलोंग) और कृषि महाविद्यालय (कोलोंगा, पश्चिम कार्बी आंगलोंग) की आधारशिला रखी। 500 करोड़ रुपये से भी अधिक की लागत वाली इन परियोजनाओं से इस क्षेत्र में कौशल विकास और रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा मुझे जब-जब आपके बीच आने का मौका मिला है, आपका भरपूर प्यार, आपका अपनापन देखकर ऐसा लगता है कि जैसे ईश्वर का आशीर्वाद मिल रहा है।इतनी बड़ी संख्या में आप लोग यहां आए हैं, वो भी अपनी परंपरागत वेशभूषा में आए हैं, इसके लिए मैं आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।ये सुखद संयोग है कि आज जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब हम इस धरती के महान सपूत लचित बोरफुकान की 400वीं जन्मजयंति भी मना रहे हैं। उनका जीवन राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रशक्ति की प्रेरणा है। कार्बी आंगलोंग से देश के इस महान नायक को मैं नमन करता हूँ।
भाजपा की डबल इंजन की सरकार जहां भी हो, वहां सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना से काम करते हैं।आज ये संकल्प कार्बी आंगलोंग की धरती पर फिर से सशक्त हुआ है।आज जो शिलान्यास के कार्यक्रम हुए हैं, ये सिर्फ किसी इमारत का शिलान्यास नहीं है, ये यहां नौजवानों के उज्ज्वल भविष्य का शिलान्यास है। उच्च शिक्षा के लिए अब यहीं पर उचित व्यवस्था होने से अब गरीब से गरीब व्यक्ति भी अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दे पाएगा।
असम की स्थायी शांति और तेज विकास के लिए जो समझौता हुआ था।उसको जमीन पर उतारने का काम आज तेज गति से चल रहा है।हथियार छोड़कर जो साथी राष्ट्र निर्माण के लिए लौटे हैं, उसके पुनर्वास के लिए भी बेहतर काम किया जा रहा है।आप सभी ने बीते दशकों में एक लंबा समय बहुत मुश्किलों से गुजारा है।लेकिन 2014 के बाद नार्थ ईस्ट में मुश्किलें लगातार कम हो रही हैं, लोगों का विकास हो रहा है।
कार्बी आंगलोंग या दूसरे जनजातीय क्षेत्रों में हम विकास और विश्वास की नीति पर ही काम कर रहे हैं। आप जानते हैं कि मैंने आपकी समस्याओं को, इस क्षेत्र की दिक्कतों को आप ही के परिवार के एक सदस्य के रूप में, आप के ही एक भाई और बेटे की तरह समझने की कोशिश की है।आज पूरा देश ये देख रहा है कि बीते सालों में हिंसा,अराजकता और अविश्वास की दशकों पुरानी समस्याओं का कैसे समाधान किया जा रहा है।पहले जब इस क्षेत्र की चर्चा होती थी, तो कभी बम और कभी गोली की आवाज सुनाई देती थी।लेकिन आज तालियां गूंज रही हैं।