पुडुचेरी। कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद से संकट में आई कांग्रेस-डीएमके गठबंधन की सरकार आज गिर गई। विधानसभा स्पीकर ने सदन में नारायणसामी सरकार के बहुमत साबित करने में विफल रहने की घोषणा की। जिसके बाद कांग्रेस एक और राज्य में सत्ता बचाने में नाकामयाब रहीं।
मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने फ्लोर टेस्ट के दौरान सदन से वाकआउट कर दिया। सदन के बाहर नारायणसामी ने पत्रकारों से कहा कि तीन नामित सदस्यों को विश्वास प्रस्ताव में कहीं भी मतदान का अधिकार नहीं है। सदन में उनके भाषण खत्म होने के बाद सरकार के मुख्य सचेतक ने इस मुद्दे को उठाया भी लेकिन विधानसभा स्पीकर इससे सहमत नहीं हुए। नारायणसामी ने तीन नामित सदस्यों के मतदान को लोकतंत्र की हत्या बताते हुए कहा कि ऐसा देश में कहीं नहीं होता।
राज्य के लोग सबक सिखाएंगे
नारायणसामी ने कहा, 'हमने डीएमके और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई। फिर कई उपचुनावों का सामना किया और सभी में जीत भी दर्ज की। इससे स्पष्ट है कि पुडुचेरी के लोग हम पर भरोसा करते हैं लेकिन आज जो सदन में हुआ उसके लिए राज्य के लोग उन्हें सबक सिखाएंगे।'
पूर्व उप राज्यपाल पर लगाया आरोप
इससे पहले नारायणसामी ने विधानसभा में राज्य की पूर्व उप राज्यपाल किरण बेदी और केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उनकी सरकार को गिराने की कोशिश की गयी। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में हम दो भाषाओं तमिल और अंग्रेजी को फॉलो करते हैं लेकिन भाजपा हमपर हिंदी थोपना चाहती है।
पूर्ण राज्य का दर्ज मिलना चाहिए -
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज को याद करते हुए नारायणसामी ने कहा कि जब वो पुडुचेरी आई थीं, तब उन्होंने कहा था कि पुडुचेरी को पूर्ण राज्य का दर्ज मिलना चाहिए लेकिन मोदी सरकार ने वह वादा पूरा नहीं किया। वहीं किरण बेदी के अड़ियल रुख की वजह से राज्य की जनता को केंद्र की कई योजनाओं तक का लाभ नहीं मिल सका। ऐसे में प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अकेले ही लोगों की समस्याओं का समाधान निकालने की पूरी कोशिश की है।
ये रहा घटनाक्रम -
उल्लेखनीय है कि करीब डेढ़ माह के भीतर कांग्रेस के छह विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दिया था। जबकि पिछले साल कांग्रेस ने एक विधायक को पार्टी से बाहर कर दिया था। इन घटनाक्रमों के कारण ही सरकार अल्पमत में आ गई थी। 33 सदस्यीय राज्य विधानसभा में नामित सदस्यों की संख्या तीन है, जो भाजपा से जुड़े हुए हैं।