सीरिया में चल रहा दशक पुराना संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। विद्रोही गुटों द्वारा राजधानी दमिश्क सहित चार बड़े शहरों पर कब्जा करने के बाद के बाद परिणामस्वरूप राष्ट्रपति बशर अल-असद और उनका परिवार देश छोड़कर रूस भाग गए हैं।
बताया जा रहा है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्रपति बशर अल-असद और उनके परिवार परिवार को राजनीतिक शरण प्रदान की है। इस संकट ने न केवल सीरिया बल्कि पूरे पश्चिम एशिया और वैश्विक राजनीति पर व्यापक प्रभाव डाला है।
सीरिया में विद्रोह शुरूआत
सीरिया में संकट की शुरुआत 2011 में अरब स्प्रिंग के दौरान हुई थी, जब बशर अल-असद के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ। हालांकि, इस विद्रोह ने जल्द ही गृहयुद्ध का रूप ले लिया। एक ओर असद सरकार और उसके सहयोगी थे, वहीं दूसरी ओर विद्रोही गुट और ISIS जैसे आतंकवादी संगठन।
हालिया घटनाओं में विद्रोहियों ने दमिश्क सहित कई क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया है, जिससे असद सरकार का पतन हो गया है।
विद्रोही गुटों की स्थिति
- विद्रोही गुटों ने दमिश्क के राष्ट्रपति महल और अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों पर कब्जा कर लिया है।
- असद के महल में विद्रोहियों को 40 से अधिक महंगी गाड़ियां और बख्तरबंद वाहन मिले।
- विद्रोही नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी ने दमिश्क में अपने प्रभाव का विस्तार किया है।
अमेरिका और रूस की भूमिका
- अमेरिका ने ISIS के 75 ठिकानों पर हमले किए हैं, जिससे उनके प्रभाव को सीमित करने का प्रयास किया गया है।
- रूस ने असद को राजनीतिक शरण देकर यह संकेत दिया है कि वह अब भी क्षेत्रीय स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहता है।
भारत पर प्रभाव
ऊर्जा सुरक्षा पर असर
सीरिया संकट का सीधा प्रभाव वैश्विक तेल बाजारों पर पड़ा है। पश्चिम एशिया से भारत की ऊर्जा आपूर्ति जुड़ी हुई है, और सीरिया में अस्थिरता से तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना है।
प्रवासी भारतीय और ट्रैवल एडवाइजरी
भारतीय विदेश मंत्रालय ने सीरिया में रह रहे नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। असुरक्षित माहौल के कारण भारतीयों को क्षेत्र से बाहर निकालने की योजना बनाई जा सकती है।
आतंकवाद का खतरा
ISIS और अन्य आतंकवादी संगठनों की गतिविधियां बढ़ने से भारत में भी सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं। इससे आतंकवाद-रोधी रणनीतियों को मजबूत करने की जरूरत बढ़ गई है।
सीरिया संकट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सत्ता के संघर्ष में न केवल एक देश बल्कि पूरा क्षेत्र प्रभावित होता है। भारत के लिए यह समय है कि वह अपनी कूटनीतिक नीतियों को और मजबूत करे, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करे और आतंकवाद के खिलाफ सतर्क रहे।
सीरिया संकट पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
- अमेरिका
अमेरिका का कहना है कि वह सभी गुटों के साथ मिलकर एक स्वतंत्र सीरिया के पक्ष में है। उनका मानना है कि जो कुछ सीरिया में हुआ है, उसके लिए असद को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
- रूस
रूस का जोर है कि सीरिया में उसके सैनिक सुरक्षित रहें। विद्रोहियों से उनकी सुरक्षा को लेकर आश्वासन की आवश्यकता है।
- संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र को उम्मीद है कि सीरिया में शांति स्थापित होगी और नई सरकार जनता के हित में कार्य करेगी।
- ब्रिटेन
ब्रिटेन का कहना है कि सीरिया में जो हुआ, वह अभूतपूर्व है। सीरियाई लोगों ने असद शासन के तहत काफी कठिनाइयों का सामना किया। वे बदलाव का स्वागत करते हैं।
- इज़राइल
इज़राइल का मानना है कि असद सरकार का पतन ईरान के लिए बड़ा झटका है। हालांकि, यह स्थिति क्षेत्र में खतरों को भी बढ़ा सकती है।
- चीन
चीन का कहना है कि वे सीरिया के हालात पर नजर बनाए हुए हैं और विद्रोही-नियंत्रित इलाकों में अपने नागरिकों की सुरक्षा की अपील करता है।
- फ्रांस
फ्रांस ने असद शासन के अंत को सीरिया में तानाशाही के खात्मे के रूप में देखा और सीरियाई लोगों की हिम्मत की सराहना की।
- यूक्रेन
यूक्रेन को उम्मीद है कि नई सीरियाई सरकार रूस से दूरी बनाएगी, जो आक्रामक राजनीति में शामिल है।
- तुर्की
तुर्की विद्रोही गुटों का समर्थन करता है और असद शासन के अंत को सीरिया में स्थिरता के लिए सकारात्मक कदम मानता है।
सीरिया में आजादी का जश्न: असद शासन के अंत के बाद सड़कों पर खुशी का माहौल
सीरिया में 50 वर्षों के असद परिवार के शासन के अंत के बाद, देशभर में नागरिकों ने आजादी का जश्न मनाना शुरू कर दिया। विद्रोहियों के अप्रत्याशित हमले और राजधानी दमिश्क पर नियंत्रण स्थापित करने के बाद, हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। क्रांतिकारी झंडे लहराते, नारे लगाते और गोलियों की आवाज के बीच नागरिकों ने स्वतंत्रता के इस ऐतिहासिक क्षण का स्वागत किया।
दमिश्क के चौकों और गलियों में लोग झूमते और गाते हुए दिखाई दिए। यह उत्साह 2011 के अरब स्प्रिंग आंदोलन की शुरुआत की याद दिला रहा था, जब लोकतंत्र की मांग और दमनकारी शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन ने पूरे क्षेत्र को हिला दिया था।
कुछ नागरिक राष्ट्रपति भवन और सरकारी संपत्तियों में प्रवेश करते हुए देखे गए, जहां उन्होंने असद परिवार की प्रतीकात्मक निशानियों को हटाया और इस ऐतिहासिक बदलाव को मनाया।
हालांकि, जश्न के बीच असद और उनके शीर्ष सहयोगियों के गायब होने से अटकलें भी तेज हैं। रूस ने पुष्टि की है कि असद देश छोड़कर चले गए हैं और उन्होंने शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण के निर्देश दिए हैं।
सीरिया के नागरिकों को उम्मीद है कि यह आजादी स्थायी शांति और स्थिरता का मार्ग प्रशस्त करेगी। कई लोग यह मानते हैं कि वर्षों की हिंसा और गृहयुद्ध के बाद यह जीत केवल एक शुरुआत है और असली चुनौती अब एक लोकतांत्रिक और समृद्ध सीरिया का निर्माण करना है।