मुसलमानों में ज्यादा बच्चे पैदा करने की सोच धर्म से नहीं, इससे... जुडी है
वेबडेस्क। भारत में बढ़ती जनसंख्या शुरू से एक बड़ी समस्या रही है। जिसके लिए कई परिवार नियोजन कार्यक्रम सरकार द्वारा समय-समय पर चलाए जाते रहे है। वहीँ अब प्रजनन दर को लेकर बड़ी चौकाने वाली खबर सामने आई है। बीते सप्ताह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मंडाविया द्वारा जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की रिपोर्ट में प्रजनन दर घट गई है। आंकड़ों के अनुसार 2015-2016 में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे में प्रजनन दर 2.2 थी, जो अब घटकार 2.0 रह गई है।
सबसे ज्यादा चौकाने वाली बात यह है की बड़ा परिवार-ज्यादा बच्चे वाली सोच के मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर भी पहले के मुकाबले घटी है। सर्वे के अनुसार मुस्लिम वर्ग में प्रजनन दर जहां 2015-16 में यह 2.6 थी वह 2019-21 के सर्वे में 2.3 दर्ज की गई है। जबकि साल 1992-93 में पहले सर्वे के दौरान यह 4.4 फीसदी थी।
शिक्षा का असर -
मुस्लिम वर्ग में अधिक बच्चे पैदा करने वाली सोच को धर्म से जोड़कर देखा जाता है। हाल ही के आंकड़ों में स्पष्ट हुआ है की इसका धर्म से नहीं बल्कि शिक्षा से संबंध है। सर्वे के अनुसार मुस्लिम महिलाओं में शिक्षा का प्रसार होने से वह कम बच्चे पैदा कर रही है। यदि शिक्षा के आधार पर बात करे तो 4 में से एक मुस्लिम महिला ऐसी हैं जो स्कूल नहीं गई हैं। वहीं 5 में से 1 ऐसी हैं जो 12 तक स्कूल गई हैं।स्कूल ना जाने वाली महिलाओं की प्रजनन दर 3.57 है तो वहीं 12 तक स्कूल जाने वाली महिलाओं की औसत दर 1.97 है। जिससे स्पष्ट होता है की शिक्षा की प्रजनन डर कम होने में बड़ी भूमिका है।
धर्म के आधार पर प्रजनन दर -
धर्म के आधार पर प्रजनन दर देखें तो -
हिन्दु - 1.94,
मुस्लिम - 2.36,
ईसाई - 1.88,
सिख - 1.61,
जैन - 1.56 ,
बौद्ध - 1.39 फीसदी है।