राहुल गांधी की ना के बाद सपा में जा सकते है वरुण गांधी, ये...है कारण

शिवपाल के जवाब से यह साफ हो गया है कि वरुण गांधी के लिए सपा के द्वार खुले हुए हैं

Update: 2023-01-24 10:27 GMT

नईदिल्ली। भाजपा सांसद वरुण गांधी के राजनीतिक भविष्य को लेकर संशय बना हुआ है। जिसका कारण उनके बगवाती तेवर है। वह लंबे समय से अपनी ही सरकार और पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। जिससे राजनीतिक गलियारों में उनके पार्टी छोड़ने को लेकर चर्चा हो रही है। कभी उनका रुझान कांग्रेस की तरफ नजर आता है, कभी वह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की तारीफ़ करते नजर आते है। ऐसे में माना जा रहा है कि वह 2024 लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन छोड़ नई राह बना सकते है।  अब सवाल यह है की सपा या कांग्रेस आखिर वह किस दल में जाएंगे।

इस सवाल का जवाब हाल ही में घटे राजनीतिक घटनाक्रमों में नजर आ रहा है।  भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जब राहुल गांधी से वरुण के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अगर वरुण कांग्रेस पार्टी में आते हैं तो उनका स्वागत है लेकिन भाजपा कि विचारधारा त्यागनी होगी। जिसका अर्थ साफ है की फिलहाल वरुण गांधी के लिए अपने पिता और दादी की पार्टी कांग्रेस में उन्हें जगह मिलना मुश्किल है।  

सपा में जाने के कारण - 

इसके बाद वरुण गांधी की सपा में जाने की अटकलें तेज हो गई। जिसके दो कारण है पहला वरुण गांधी का लगातार अखिलेश यादव की तारीफ करना है। दूसरा कारण सपा नेता शिवपाल सिंह यादव का बयान है।   उन्होंने पिछले वरुण गांधी के सवाल पर कहा था भाजपा की भ्रष्ट सरकार को हटाने के लिए जो भी साथ आए उसका स्वागत है। शिवपाल के इस जवाब से यह साफ हो गया है कि वरुण गांधी के लिए सपा के द्वार खुले हुए हैं।

हाशिए पर वरुण-मेनका - 

बता दें की वरुण गांधी वर्तमान में पीलीभीत से भाजपा सांसद है। पार्टी ने उन्हें और उनकी माँ मेनका गांधी को साइडलाइन कर रखा है। उनकी माँ पिछली सरकार में केंद्र सरकार में मंत्री थी लेकिन 2019 में दोबारा सत्ता में आने के बाद से मंत्रीमंडल में जगह नहीं मिली है।  इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी से भी बाहर कर दिया गया। पार्टी द्वारा लगातार की जा रही उपेक्षा के बाद से वरुण अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर हो गए है। वह बेरोजगारी, किसानों, गरीबी, महंगाई के मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़े करने की कोशिश कर चुके है। हालांकि पार्टी नेता उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लेते और नाही कोई प्रतिक्रिया देते है।  


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