नई दिल्ली। कोरोना काल में पहली बार देश में चुनाव होने जा रहा है। करोड़ों वोटर्स वाले राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए खास तैयारियां की जा रही हैं। ईवीएम को छुए बिना वोटिंग के लिए टूथपिक (दांत खोदने वाला) के बराबर बांस की लकड़ी, पोलिंग ऑफिसर्स की टेबल पर शीशे की दीवार, डिस्पोजेबल सिरिंज से अंगुलियों पर निशान जैसे उपायों पर निर्वाचन आयोग विचार कर रहा है। कोरोना वायरस महामारी के बीच बिहार जैसे बड़े राज्य में चुनाव कराना बड़ी चुनौती है।
कोरोना वायरस संक्रमण की शुरुआत के बाद से देश में यह पहला चुनाव है। चुनाव अक्टूब-नवंबर में होने की उम्मीद है। महामारी के इस दौर में यह चुनाव पहले से काफी अलग होने जा रहा है।
चुनाव आयोग के अधिकारी प्रस्तावों पर मंथन में जुटे हैं। अधिकारियों का कहना है कि डिस्पोजेबल सिरिंज से इंक लगाने का विकल्प सुरक्षित विकल्प है। हर यूज के बाद इसे फेंका जा सकता है। पोलिंग ऑफिसर्स को शीशे की दीवार के पीछे रखने की आवश्यकता है ताकि वोटर से अधिकारी को या किसी अधिकारी से वोटर्स के संक्रमित होने की संभावना बेहद कम रहे।
पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, '' ईवीएम के बटन को दबाने और वोटर रजिस्टर पर हस्ताक्षर के लिए दस्ताने और बांस की छोटी लकड़ियों की वकालत की जा रही है। हर वोट के बाद ईवीएम को सैनिटाइज करना संभव नहीं है। हम प्लास्टिक के किसी सामान का इस्तेमाल नहीं करने जा रहे हैं, क्योंकि इससे संक्रमण की संभावना रहती है। बांस की लकड़ियां पर्यावरण हितैषी हैं और इन्हें नष्ट करना भी आसान है।
सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावों को बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने चुनाव आयोग को अंतिम मंजूरी के लिए भेज दिया है। सीईओ बिहार एचआर श्रीनिवास ने कहा, ''बूथ पर वोटर्स की सुरक्षा के लिए हमने कुछ प्रस्ताव भेजे हैं। हम इस पर काम कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि वोटर्स किसी वस्तु के संपर्क में ना आएं और स्पर्श रहित तरीके से वोटिंग हो।''
हालांकि, इस पर अमल भी लजिस्टिकल चैलेंज है। राज्य में 7.18 करोड़ वोटर्स हैं और 1.06 लाख बूथ हैं। इसके अलावा बूथों पर सोशल डिस्टेंशिंग का पालन सुनिश्चत कराना भी एक चुनौती होगी। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया कि प्रक्रिया शुरू हो गई है। बिहार स्टेट खादी बोर्ड से दस्तानों की खरीद की जाएगी, इससे ग्रामीण रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
एक अन्य अधिकारी ने बताया, ''राज्य के खादी बोर्ड को खादी दस्तानों पर काम करने के लिए कहा गया है। अन्य सामानों की खरीद स्थानीय स्तर पर की जाएगी। इसके लिए डीएम और जिला निर्वाचन अधिकारियों को अधिकार दिए जाएंगे।