कोरोना से जंग: WHO, नीति आयोग और बॉम्बे हाई कोर्ट ने की 'यूपी मॉडल' की तारीफ
आपदा अचानक ही आती है और संभलने का वक्त नहीं देती। कोरोना की महामारी ऐसी ही आपदा है। इसने पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया है। इस महामारी से उत्तर प्रदेश के लोगों को बचाने तथा इस महामारी पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश की सरकार ने जो मॉडल अपनाया, उसकी अब संसार भर में चर्चा हो रही है।
लखनऊ: आपदा अचानक ही आती है और संभलने का वक्त नहीं देती। कोरोना की महामारी ऐसी ही आपदा है। इसने पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया है। इस महामारी से उत्तर प्रदेश के लोगों को बचाने तथा इस महामारी पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश की सरकार ने जो मॉडल अपनाया, उसकी अब संसार भर में चर्चा हो रही है।
पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और अब नीति आयोग ने भी कोविड प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के 'यूपी मॉडल' की जमकर तारीफ की है। नीति आयोग ने तो यूपी के इस मॉडल को अन्य राज्यों के लिए भी नज़ीर बताया है। यह पहला मौका है जब डब्लूएचओ और नीति आयोग ने कोविड प्रबंधन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में तैयार कराए गए यूपी मॉडल की सराहना की है।
24 करोड़ से अधिक आबादी वाला और 2,40, 928 वर्ग किमी में फैला उत्तर प्रदेश 75 जिलों वाला राज्य है। यानी देश के कुल 739 जिलों में से 10 प्रतिशत जिले इस प्रदेश में हैं। इतने विशाल प्रदेश में कोविड प्रबंधन के बाबत हुए बेहतर कार्य को लेकर नीति आयोग के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दो महत्वपूर्ण ट्वीट किए गए। नीति आयोग ने एक ट्वीट में कोरोना मरीजों का पता लगाने और संक्रमण का फैलाव रोकने के किए उन्हें होम आइसोलेट करने के लिए चलाए गए ट्रिपल टी (ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट) के महाअभियान की सराहना की है तो दूसरे में यूपी के ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट ट्रैकिंग सिस्टम की। नीति आयोग की टिप्पणी ने कोरोना को काबू में करने में योगी सरकार की नीति-रणनीति पर एक तरह से मुहर लगाई गई है। बीते गुरुवार की देर शाम नीति आयोग के ट्विटर अकाउंट पर आईं यह टिप्पणियां डब्ल्यूएचओ द्वारा कोविड मैनेजमेंट के लिए यूपी के योगी सरकार की कामयाब रणनीति की तारीफ की पुष्टि करती दिखती।
नीति आयोग ने अपने एक ट्वीट में कहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से राज्य के 97 हजार से अधिक गांवों में घर-घर जाकर कोरोना संक्रमित का पता लगाने और उन्हें आइसोलेट करने के महाभियान को अन्य राज्य भी दोहरा सकते हैं। इस ट्वीट में यह भी बताया गया है कि ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट का यह यूपी मॉडल कोरोना को काबू करने में बेहद प्रभावशाली सिद्ध हो रहा है। 22 करोड़ से अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में टेस्ट, ट्रैक की नीति अपनाना आसान नहीं था। किसी डॉक्टर की ओपीडी में 200 की जगह 300 मरीज आ जाते हैं, तो उन्हें संभालने में परेशानी होने लगती है। यहां सुदूर गांवों में फैली इतनी बड़ी आबादी की स्क्रीनिंग करनी थी। जिसके लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की रणनीति तैयार हुई। और जब इस रणनीति पर कार्य करते हुए 60 हजार से अधिक निगरानी समितियों के चार लाख सदस्य गांव-गांव घूमकर संदिग्ध संक्रमितों की पहचान कर उन्हें रैपिड रिस्पांस टीम से टेस्ट कराने और दवाओं की किट पहुंचाने में जुटे, और इसका प्रभाव भी दिखा। तो डब्लूएचओ ने उत्तर प्रदेश की इस रणनीति (मॉडल) की प्रशंसा की और कहा कि यूपी के इस मॉडल को अन्य राज्यों में लागू किया जा सकता है।
इसी प्रकार ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर प्रदेश सरकार की रणनीति असरदार साबित हुई। नीति आयोग ने अपने एक अन्य ट्वीट में उत्तर प्रदेश सरकार के ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की है। आयोग ने ट्विटर हैंडल पर लिखा है कि उत्तर प्रदेश सरकार का ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट ट्रैकिंग सिस्टम बेहद प्रशंसनीय है। यूपी ने ऑक्सीजन ट्रैकिंग के लिए एक ऐसा डैशबोर्ड तैयार किया है जिसके जरिए ऑक्सीजन टैंकरों की रियल टाइम लोकेशन पता लगा सकते हैं। इससे तत्परता से और बेहतर ऑक्सीजन आवंटन संभव हुआ है। नतीजे के रूप में यह आंकड़े हैं कि पहले जहां 250 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की उपलब्धता हो पा रही थी, अब 1000 मीट्रिक टन होने लगी है। ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम लागू करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य है। इसके डिजिटल प्लेटफार्म से खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रशासन, चिकित्सा शिक्षा विभाग, चिकित्सा स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग, परिवहन तथा गृह विभाग को जोड़ा गया। गृह विभाग में बने विशेष कंट्रोल रूम में आक्सी क्रैकर डैशबोर्ड पर ऑक्सीजन टैंकर की लोकेशन, ऑक्सीजन की स्थिति व मांग को पल-पल मानीटर किया जा रहा है।
इस व्यवस्था के चलते सूबे में ऑक्सीजन की सप्लाई प्रतिदिन एक हजार मीट्रिक टन से अधिक हो गई है। किसी भी राज्य में इतनी ऑक्सीजन आपूर्ति नहीं की गई है। प्रदेश में जितनी ऑक्सीजन की जरूरत है, उतनी ऑक्सीजन जिलों तक पहुंचाई जा रही है। इसके अलावा प्रदेश सरकार ने सूबे के 13 जिलों में ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट बनाए हैं। भारत सरकार ने 14 संस्थानों के लिए ऐसे प्लांट स्वीकृत किए हैं, जिनमें पांच लग चुके हैं और नौ में काम चल रहा है। राज्य सरकार ने और प्लांट की स्थापना के लिए 167 अतिरिक्त स्थानों की सूची भी केंद्र सरकार से साझा की है। कुल मिलाकर प्रदेश में कोरोना का फैलाव रोकने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट के फार्मूले से प्रदेश में संक्रमण की रफ्तार बहुत तेजी से थमने लगी है। वही दूसरी तरफ राज्य में ऑक्सीजन की भी पर्याप्त और पुख्ता व्यवस्था हो गई हैं। प्रदेश सरकार के ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट तथा 'ऑक्सीजन मॉनिटरिंग सिस्टम फार यूपी' सरीखे मॉडल से ही अब सूबे में एक्टिव केस की संख्या में लगातार कम हो रही है। इसके साथ ही संक्रमितों को इलाज के लिए ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। अब तो होम आइसोलेशन में भी संक्रमितों को आक्सीजन सरकार मुहैया करा रही है। सरकार के इन प्रयासों का संज्ञान लेते हुए ही डब्लूएचओ और नीति आयोग ने कोविड प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के 'यूपी मॉडल' की सराहना की है।
यूपी में कोरोना प्रबंधन का असर :
- प्रदेश में एग्रेसिव टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट की रणनीति के चलते 14 दिनों में (30 अप्रैल, 2021-14 मई तक) एक्टिव केसों की संख्या में 01 लाख 17 हजार से अधिक की गिरावट हुई है।
- बीते 24 घंटे में संक्रमण के 15,747 नए मामले मिले। जबकि इन्ही 24 घंटों में 26,176 संक्रमित लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए।
-अब तक 13,85,855 लोग कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके हैं।
- प्रदेश में कोरोना के कुल 1,93,815 एक्टिव मामलों में से 1,57,257 व्यक्ति होम आइसोलेशन में हैं, इसके अतिरिक्त अन्य मरीज सरकारी एवं निजी चिकित्सालयों में इलाज करा रहे है।
- बीते 24 घंटों में सूबे में 2,63,118 टेस्ट किए गए। इनमें 1,21,000 आरटी पीसीआर टेस्ट शामिल हैं।
-प्रदेश में अब तक सर्विलांस टीम के माध्यम से 2,71,799 क्षेत्रों में 6,17,132 टीम दिवस के माध्यम से 3,48,86,225 घरों के 16,80,11,334 जनसंख्या का सर्वेक्षण किया गया है।
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यूपी में टीकाकरण का ब्यौरा :
- अब तक करीब 01 करोड़ 45 लाख 83 हजार 503 लोगों का टीकाकरण हुआ है।
- 1,14,67,023 लोगों को लगी पहली डोज।
- 31,16, 480 लोगों को लग चुकी हैं दोनों डोज।
- 18 से 44 उम्र के 3,15, 532 लोगों को अब तक लगा टीका।
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कोविड अस्पतालों में बेड की उपलब्धता :
- कोविड अस्पतालों में 64401 आइसोलेशन बेड।
- 15323 बेड वेंटीलेटर सुविधा से लैस।
- कोरोना मरीजों के लिए एल-वन, एल टू व एल थ्री अस्पतालों में कुल 79324 बेड।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी 'यूपी मॉडल' को सराहा
बॉम्बे हाईकोर्ट ने यूपी मॉडल के तहत बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए किए गए प्रबंधों का जिक्र करते हुए वहां की सरकार से यह पूछा है कि महाराष्ट्र सरकार यहां ऐसा करने पर विचार क्यों नहीं करती? यूपी सरकार ने कोरोना संक्रमण से बच्चों का बचाव करने के लिये सूबे के हर बड़े शहर में 50 से 100 बेड के पीडियाट्रिक बेड (पीआईसीयू) बनाने का फैसला किया है। यूपी सरकार के इस फैसले को डॉक्टर बच्चों के लिये वरदान बता रहे हैं।
बच्चों के इलाज को लेकर यूपी के इस मॉडल का खबर अखबारों में छपी। जिसका बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी की खंडपीठ ने संज्ञान लिया। और बीते दिनों इन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने कहा कि यूपी में कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को खतरा होने की आशंका के चलते एक अस्पताल सिर्फ बच्चों के लिए आरक्षित रखा गया है। महाराष्ट्र सरकार यहां ऐसा करने पर विचार क्यों नहीं करती। महाराष्ट्र में दस साल की उम्र के दस हजार बच्चे कोरोना का शिकार हुए हैं। जिसे लेकर हो रही सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने यह महाराष्ट्र सरकार से यह सवाल पूछा हैं। जाहिर है कि हर अच्छे कार्य की सराहना होती हैं और कोरोना से बच्चों को बचाने तथा उनके इलाज करने की जो व्यवस्था यूपी सरकार कर रही है, उसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने उचित माना और उसका जिक्र किया।
WHO ने भी की तारीफ
ठीक इसी तरह से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और नीति आयोग ने भी कोविड प्रबंधन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के 'यूपी मॉडल' की जमकर तारीफ की है। इस दोनों की संस्थाओं ने कोरोना मरीजों का पता लगाने और संक्रमण का फैलाव रोकने के किए उन्हें होम आइसोलेट करने को लेकर चलाए गए ट्रिपल टी (ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट) के महाअभियान और यूपी के ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट ट्रैकिंग सिस्टम की खुल कर सराहना की। नीति आयोग ने तो यूपी के इस मॉडल को अन्य राज्यों के लिए भी नज़ीर बताया है। यह पहला मौका है जब डब्लूएचओ और नीति आयोग ने कोविड प्रबंधन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में तैयार कराए गए यूपी मॉडल की सराहना की है। और उसके बाद अब बॉम्बे हाईकोर्ट बच्चों का इलाज करने को लेकर यूपी मॉडल' का कायल हुआ है।