मरने के 14 साल बाद जिंदा हुई महिला, ससुराल पक्ष ने अपनाने से किया इंकार, जानिए क्या है मामला?

Crime Story : यह पूरा मामला पूर्वे चंपारण के प्रतापी प्रखंड का है।

Update: 2024-05-28 10:47 GMT

मरने के 14 साल बाद जिंदा हुई महिला

Crime Story : सासाराम। एक महिला अपनी मौत के 14 साल बाद जब ससुराल लौटी तो ससुराल पक्ष ने उसे अपनाने से इंकार कर दिया। जी हाँ, आपने बिलकुल सभी पढ़ा। मरने के 14 साल बाद महिला अपने घर लौटी थी। उसे देख परिवार के लोगों को लगा कि, महिला का भूत सामने है लेकिन ये कोई भूत नहीं बल्कि जीती जगती महिला थी। वही महिला जिसके मर्डर के आरोप में ससुराल पक्ष सलाखों के पीछे सजा काट कर आया है।

शुरू से कहानी बताते हैं। दरअसल यह पूरा मामला पूर्वे चंपारण के प्रतापी प्रखंड का है। यहां रहने वाले विजय राम की शादी साल 2001 में शिवचंद्र की बेटी बबीता से हुई थी। शुरुआत में सब कुछ ठीक था लेकिन फिर छोटी - छोटी बात को लेकर अनबन रहने लगी। जैसे - तैसे 9 साल बीते। अब मनमुटाव और अधिक होने लगा। साल 2010 में बबीता लड़ाई झगड़ों के कारण घर छोड़कर चली गई।

बबीता के अचानक अपने ससुराल से गायब हो जाने पर मायके पक्ष ने ससुराल पक्ष के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। इसमें कहा गया कि, उनकी बेटी को मारकर लाश कहीं छुपा दी गई। फिर क्या पुलिस ने ससुराल पक्ष के लोगों को जेल में दाल दिया। ससुराल पक्ष के लोग कहते रहे कि, बबीता जिंन्दा है लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी। पुलिस ने बबीता को ढूंढने के प्रयास किये थे लेकिन वे असफल रहे।

ससुराल पक्ष के लोग लम्बे समय तक जेल में रहे। समाज धुत्कार सही, बेज्जत्ती सही। सभी उन्हें अपराधी की नजर से देखते थे। जैसे - तैसे समय बीता। बबीता के पति ने भी दूसरी शादी कर ली। अब 14 साल बाद बबीता लौटी हैं। ससुराल पक्ष से अपना हक़ मांग रहीं हैं लेकिन उन्हें अपनाने से मना कर दिया गया है। बबीता का आगे क्या होगा वे अपना आगे का जीवन कैसे बिताएंगी अभी कुछ साफ नहीं है लेकिन ससुराल पक्ष पर लगा हत्या का आरोप अब हट गया है। पुलिस ने बबीता का बयान कोर्ट में दर्ज करवाया जिसके बाद सभी दोषमुखत हो गए हैं।

इस मामले में पुलिस की जांच पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं क्योंकि अगर बबीता कभी वापस नहीं लौटतीं तो ससुराल पक्ष को जीवन भर हत्या के आरोपियों के रूप में देखा जाता। 14 साल का ट्रामा इतनी जल्दी नहीं जाएगा और न ही कभी बबीता के ससुराल वाले उन्हें दोबारा स्वीकार करेंगे।

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