उज्जैन में बाबा काल भैरव मंदिर में लागू नहीं होगी शराबबंदी, संतों ने की मांस विक्रय पर रोक की मांग
Liquor Ban will not be Implemented in Kaal Bhairav Temple : उज्जैन। मध्य प्रदेश के धार्मिक और पौराणिक महत्व वाले शहर उज्जैन में शराबबंदी (Liquor Ban) पर एमपी कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। यह निर्णय शहरवासियों और संतों के लिए एक बड़ी राहत साबित हुआ है।
सरकार के इस निर्णय के बाद उज्जैन के काल भैरव मंदिर (Ujjain Kal Bhairav Temple) में प्रसाद के रूप में मदिरा चढ़ाने की प्रथा पर भी सवाल उठने लगे थे। इस पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने साफ कर दिया कि मंदिर में शराब को प्रसाद के रूप में चढ़ाने की प्रथा जारी रहेगी।
काल भैरव मंदिर के बाहर स्थित शराब की दुकानें (Liquor Shops) अब भी भक्तों को मदिरा बेचती हैं, जिसे वे भगवान काल भैरव (Kal Bhairav) को चढ़ाते हैं। मंदिर के पुजारी इस मदिरा को एक पात्र में रखकर भगवान के मुख पर रखते हैं। सरकार ने इस पर कोई रोक नहीं लगाई है।
मांस विक्रय पर रोक की मांग
मुख्यमंत्री के इस ऐतिहासिक फैसले को लेकर संतों और पुजारियों का कहना है कि अब समय आ गया है जब उज्जैन को पूरी तरह से पवित्र नगर बनाया जाए। इन संतों का कहना है कि शराबबंदी (Liquor Ban) के साथ-साथ मांस विक्रय (Meat Sale) पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए, ताकि इस धार्मिक नगर की पवित्रता को बनाए रखा जा सके।
उज्जैन को पवित्र नगरी घोषित करने की मांग वर्षों से चली आ रही है। रामनंदीय संत प्रतीतराम रामस्नेही ने इसके लिए अपना पूरा जीवन संघर्ष में बिताया। इसके बाद भी कई संतों और समाजसेवियों ने महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) के दो किलोमीटर परिक्षेत्र में मांस विक्रय पर रोक लगाने की आवाज उठाई थी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शहरी सीमा में शराब के विक्रय पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो शहरवासियों की वर्षों पुरानी मांग थी। अब शहरवासियों और संतों ने महाकाल मंदिर परिक्षेत्र में मांस विक्रय पर भी रोक लगाने की मांग की है।
महंत ज्ञानदासजी महाराज, महामंडलेश्वर निर्मोही अखाड़ा ने भी इस निर्णय का स्वागत किया और कहा कि महाकाल और शिप्रा नदी (Shipra River) के आसपास मांस विक्रय पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध लगना चाहिए।