कांग्रेस की सरकार में मिला था पद,परिवहन आयुक्त पद से मधु कुमार की विदाई जल्द!

Update: 2020-07-05 07:33 GMT

भोपाल, विशेष संवाददाता। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनते ही परिवहन आयुक्त बनाए गए वी. मधुकुमार को राज्य में सरकार बदल जाने के बाद परिवहन आयुक्त पद से हटाए जाने की अटकलें शुरू हो गई हैं। उल्लेखनीय है कि जिस समय कमलनाथ सरकार बनी थी, भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी वी. मधुकुमार राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ के अतिरिक्त महानिदेशक के पद पर थे। लेकिन कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने पहले उन्हें एडीजी नार्कोटिक्स इंदौर और इसके बाद एडीजी लोकायुक्त बनाया। वहीं अक्टूबर 2019 में उन्हें परिवहन आयुक्त बनाया था। मधुकुमार परिवहन आयुक्त के इस पद के लिए लम्बे समय से प्रयासरत थे। जिस समय वे मप्र आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में अतिरिक्त महानिदेशक थे, कमलनाथ सरकार की नजरों में आने तथा पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को घेरने के लिए मधुकुमार ने ही ई-टेंडर कथित घोटाले को हवा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। परिवहन आयुक्त की कुर्सी के लिए वी. मधुकुमार लम्बे समय से प्रयासरत थे, उन्होंने हर वह कोशिश की जिससे वे उनसे वरिष्ठ संजय माने को पीछे कर इस कुर्सी पर पहुंच सकें। अंतत: अक्टूबर 2019 में इसमें सफल भी हो गए।

बाबू के सहयोग से सफल हुए आयुक्त!

परिवहन विभाग में चर्चा है कि विभाग को चला रहे बाबू की भूमिका मधुकुमार की इस पद पर पदस्थापना में महत्वपूर्ण रही है, यह वही बाबू है जो लाखों-करोड़ों रुपये की बोली के आधार पर परिवहन विभाग में आरटीआई से लेकर आरक्षक तक की पदस्थापनाएं प्रत्येक छह माह के लिए तय करता है। इस बाबू के खिलाफ कई शिकायतें लोकायुक्त में कई वर्षों से लंबित पड़ी हैं। लोकायुक्त के जिले से लेकर राज्य स्तर के अधिकारी बिना किसी जांच के इन शिकायतों से संबंधित फाइलों को दबाए बैठे हैं। बताया जाता है कि मधुकुमार जब एडीजी लोकायुक्त थे, तब इस बाबू की फाइलें और अधिक नीचे दबा दी गईं, जबकि इस अदने से बाबू की चल-अचल संपत्तियां न केवल ग्वालियर, इंदौर और भोपाल में, बल्कि अन्य प्रमुख शहरों में बिखरी पड़ी हैं। इतना ही नहीं प्रतिवर्ष साल में एक बार अपने विवाह की वर्षगांठ पर यह बाबू विभाग के वरिष्ठतमअधिकारियों को ग्वालियर के साडा क्षेत्र में स्थित फार्म हाऊस पर आमंत्रित करता है। करीब डेढ़ से दो हजार लोगों के लिए व्यंजनों के भंडार से लेकर हर तरह की मदिरा तक का प्रबंध कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करता है। लेकिन अधिकारी हैं कि मौन रहकर मजे कर रहे हैं।

मुख्यालय में बैठना पसंद नहीं, भोपाल में लिया कार्यभार

1 अक्टूबर 2019 को परिवहन आयुक्त बने वी. मधुकुमार की कार्यशैली को लेकर भी सरकार खुश नहीं है। उन्होंने 6 अक्टूबर को कार्यभार ग्रहण किया, लेकिन इसके लिए उन्होंने ग्वालियर स्थित परिवहन विभाग के मुख्यालय तक जाना आवश्यक नहीं समझा, उन्होंने भोपाल स्थित विभाग के कैंप कार्यालय पर ही कार्यभार ग्राहण की औपचारिकता पूरी कर ली। नई सरकार चाहती है कि सभी अधिकारी पूरी गंभीरता से अपने दायित्वों का निर्वहन करें, इसीलिए मधुकुमार की कार्यशैली से नाराज सरकार उन्हें इस महत्वपूर्ण विभाग से विदा करने पर विचार कर रही है। यह बात अलग है कि स्वयं मधुकुमार इस कुर्सी को छोडऩा नहीं चाहते, इसलिए वे न केवल राजनीतिक स्तर पर बल्कि अन्य प्रकार से भी स्थानांतरण रुकवाने का प्रयास कर रहे हैं।

जब मुख्य सचिव ने लगाई थी फटकार

परिवहन आयुक्त वी. मधुकुमार की कार्यशैली से सरकार शुरू से ही नाराज रही है। कोरोना संकटकाल में लगाए गए लॉकडाउन में छूट देते हुए जब केन्द्र व राज्य सरकार ने खाद्य एवं अन्य सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्यों और जिलों से ट्रकों की आवाजाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे, उस समय दूसरे राज्यों से सामान लेकर आए ट्रकों को बिना किसी पूछताछ के प्रदेश और जिलों की सीमा के बाहर रोक दिया गया था। इस पर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस काफी नाराज हुए तथा परिवहन आयुक्त सहित जिलाधीशों को भी फटकार लगाई थी। मुख्य सचिव की फटकार के बाद परिवहन आयुक्त मधु कुमार ने सभी चेक पोस्ट प्रभारियों को निर्देश दिए थे कि किसी भी माल वाहक को चेक पोस्ट पर न रोका जाए। इसके बाद ही राज्य में आवश्यक सामान की आपूर्ति बहाल हो सकी थी।


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