कोदो ही 10 हाथियों की मौत का गुनहगार: इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट़्यूट की जांच रिपोर्ट में खुलासा...
जांच में मिला साइक्लोपियाजोनिक एसिड मिला, इसी से हुई मौत
भोपाल। उमरिया जिले के बांधवगढ़ में 10 हाथियों की मौत के लिए कोदो ही जिम्मेदार है। घटना के करीब 12 दिन बाद आई उप्र के बरेली में स्थित इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट़्यूट (आईवीआरआई) ने गहन वैज्ञानिक परीक्षण के बाद हाथियों की मौत के लिए कोदो को ही जिम्मेदार बताया गया है। इसी के साथ वन अधिकारियों के कोदो-कुटकी से हाथियों की मौत की बात सही हो गई है।
इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट़्यूट के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. अभिजीत पावड़े ने कहा कि कोदो में सिप्लाजोनिक एसिड के मानकों के अनुसार जांच की गई। हाथियों ने जिस कोदो का सेवन किया। उसमें साइक्लोपियाजोनिक एसिड का पीपीबी लेवल 100 से ज्यादा पाया गया। इसी की विषाक्तता के कारण हाथियों की मौत हुई है। डॉ. पावड़े ने बताया कि हाथियों की मौत की वजह जानने के लिए सैंपल्स का अलग-अलग प्रयोगशालाओं में परीक्षण हुआ। सागर की फॉरेंसिक लेबोरेटरी में भी हुआ और जबलपुर के नाना जी देशमुख वेटरनरी विश्वविद्यालय में भी हुआ।
कोदो में होता है जहर
डॉ. अभिजीत पावड़े ने बताया कि कोदो, जिसमें कोदुआ नाम का एक टॉक्सिन यानी विषाक्त होता है। जिसकी वजह से अमूमन मौतें बताई गईं हैं। ऐसे ही बोरिस नाम के वैज्ञानिक ने 1935 में हाथियों पर लिखी किताब में एक मरे हुए ईफाउलर का भी जिक्र किया है। उसका भी एक चैप्टर है। जिसमें लिखा गया है कि, कोदुवा 100 पीपीबी से ऊपर विषाक्तता होती है। इसमें हाथी एवं पालतू पशु की मौत हो सकती है।
प्रभावित होगी जनजाति वर्ग की आजीविका
जांच में हाथियों की मौत कोदो से होने की पुष्टि होने के बाद यह साफ है कि कोदो उत्पादन करने वाले किसानों की आजीविका प्रभावित होगी। बाजार में फसल के दाम गिरेंगे। सरकार ने कोदो को श्रीअन्न में शामिल किया है। इस बार सरकार ने प्रोत्साहन राशि देने का ऐलान भी किया है। जिस वजह से किसानों ने अधिक क्षेत्र में कोदो की फसल की है। कोदो की फसल जो कि एक प्रकार का मिलेट है। ये खुरदरे अनाजों में आता है।