अशोक सिंह की नियुक्ति ने बढ़ाई कमलनाथ की मुश्किल?
कमलनाथ, डॉ. गोविंद सिंह , अशोक सिंह और सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव केसरी सहित कई अधिकारियों के खिलाफ हो सकता है धोखाधड़ी का मामला दर्ज
भोपाल। मध्य प्रदेश में सहकारिता क्षेत्र की सबसे बड़ी संस्था अपेक्स बैंक के प्रशासक के रुप में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष तथा ग्वालियर की राजनीति के बड़े खिलाड़ी अशोक सिंह की नियुक्ति का मामला तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व सहकारिता मंत्री रहे डॉ.गोविंद सिंह सहित सरकार के आधा दर्जन नौकरशाहों के लिए मुसीबत बनती जा रही है।
दरअसल अशोक सिंह को अपेक्स बैंक के प्रशासक बनाने के लिए कूटरचित दस्ताबेजों का सहारा लेना, अब गंभीर मुद्दा बना गया है। सोमवार को भाजपा के पूर्व विधायक रसाल सिंह ने टीटी नगर थाने में आरोपियों के खिलाफ शिकायत की है। जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ पूर्व सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह , अशोक सिंह एवं सहकारिता विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव अजीत केसरी सहित कई आला अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आग्रह किया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तक पहुंचा मामला
पिछले सप्ताह रसाल सिंह ने पूरे मामले से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अवगत कराया था। जिस पर मुख्यमंत्री ने कार्रवाई के लिए आश्वस्त भी किया था। भाजपा नेता रसाल सिंह ने मुख्यमंत्री से बातचीत के बाद इस मामले को कानूनी शक्ल देने की मुहिम शुरु की और भिण्ड जिले के लहार थाने (जहां के पूर्व मंत्री डॉ.गोविंद सिंह निवासी हैं) में शिकायती आवेदन देकर धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने का आग्रह किया। यहां पदस्थ प्रभारी थाना प्रभारी ने आवेदन तो स्वीकार कर लिया, लेकिन यह कहते हुए कि मामला भोपाल का है अतः मेरे अधिकार क्षेत्र से बाहर है। बात यहीं नहीं थमी प्रभारी थाना प्रभारी ने शिकायती आवेदन की एक प्रति डॉ. गोविंद सिंह को भिजवाने का कारनामा कर डाला। जब इस घटनाक्रम की जानकारी भाजपा नेता रसाल सिंह को मिली तो सोमवार को उन्होंने एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर पूरा मामला बताया है।
कैसे हुआ था फर्जीवाड़ा?
डॉ. गोविंद सिंह एवं अशोक सिंह , दोनों ग्वालियर-चंबल संभाग का प्रतिनिधित्व करते हैं। आगामी विधानसभा उपचुनाव के लिए भी वहां सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव होना है। बैठे -ठाले भाजपा को विपक्ष को घेरने का बड़ा मुद्दा मिल गया है। इस मामले में निशाने पर डॉ. गोविंद सिंह ही दिखाई दे रहे हैं। क्योंकि की लहार की ठाकुर मथुरा सिंह कृषि उत्पादन प्रसंस्करण सहकारी संस्था का कूटरचित दस्तावेजों से अशोक सिंह को सदस्य बनाया गया, वो डॉ. गोविंद सिंह के पिता (मथुरा सिंह ) के नाम पर ही है। दूसरे, इस संस्था में भी अब तक निर्वाचन नहीं हुआ है। इसके अलावा जिस अपेक्स समिति (भरथरी भितरवार) में 6 जून 2019 को अशोक सिंह को सदस्य बनना दर्शाया गया, उसकी पुष्टि उपपंजीयक सहकारिता ग्वालियर द्वारा नहीं कराई गई। यानि विभाग के किसी छोटे कर्मचारी से कूटरचित दस्तावेज तैयार करा लिए गए। एक और कागज सामने आया है जिसमें बीज उत्पादक समिति इटमा, तहसील डबरा का सदस्य होना बताया है। वो भी पूरी तरह से गलत है। अशोक सिंह न तो उस क्षेत्र के निवासी हैं और न ही समिति के कार्यक्षेत्र में उनकी जमीन है। इसलिए उनकी सदस्यता मापदंडों पर कतई खरी नहीं उतरती है।
कैसे बढ़ी कमलनाथ की मुसीबत?
चूंकि अशोक सिंह की अपेक्स बैंक के प्रशासक के रुप में नियुक्ति कमलनाथ के मुख्यमंत्री रहते की गई थी, सरकार के मुखिया होने के नाते जो कुछ भी गड़बड़ी हुई है उसमें उनकी भागीदारी भी बनती है, इसीलिए भाजपा नेता रसाल सिंह ने उन्हें भी इस मामले में आरोपी बनाने की बात अपनी शिकायत में कही है।
किन-किन पर कसेगा शिकंजा?
रसाल सिंह ने अपनी शिकायत में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के अलावा अपेक्स बैंक के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंह पूर्व सहकारिता मंत्री एवं विधायक डॉ. गोविंद सिंह , तत्कालीन प्रमुख सचिव (सहकारिता) अजीत केसरी, आयुक्त एमके अग्रवाल, अपेक्स बैंक के प्रभारी प्रबंध संचालक प्रदीप नीखरा, मप्र राज्य बीज संघ के तत्कालीन प्रबंध संचालक आरके शर्मा एवं अन्य को आरोपी बनाना है।
हां, पूर्व विधायक रसाल सिंह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ, पूर्व सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद सिंह , अपेक्स बैंक के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंह एवं सहकारिता विभाग के कई आला अधिकारियों के खिलाफ कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति की शिकायत की है। आवेदन जांच में है। जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।
संजीव कुमार चौकसे,
थाना प्रभारी,
थाना टीटी नगर, भोपाल