भोपाल। मध्य प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में यह पहला अवसर है जब किसी एक राजनीतिक दल के विधायकों इतनी बड़ी संख्या में अपनी पार्टी नेतृत्व के प्रति अविश्वास दिखाया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में 22 विधायकों द्वारा कांग्रेस छोड़ने के बाद से शुरु हुई भगदड़ थमने का नाम नहीं ले रही है। अर्थात उपचुनाव से पहले मध्यप्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल का सिलसिला जारी है। कांग्रेस को एक और बड़ा झटका लगा है। बुरहानपुर के नेपानगर विधानसभा से कांग्रेस विधायक सुमित्रा देवी कासडेकर ने इस्तीफा दे दिया है। विधानसभा सचिवालय ने भी इस्तीफ़े की पुष्टि की। हालांकि अभी तक उनके इस्तीफ़ा देने की वजह सामने नही आई है कि इस्तीफा किस कारण से दिया। कयास लगाए जा रहे हैं कि सुमित्रा देवी भी भाजपा में शामिल हो सकती हैं। इस्तीफे के बाद से कांग्रेस में हड़कंप मच गया है। इसी के साथ अब 26 विधानसभा सीटें खाली हो गई है, जिन पर उपचुनाव होना है।
इससे पहले छतरपुर की बड़ामलहरा विधानसभा सीट से विधायक रहे प्रदुम्नन सिंह लोधी ने इस्तीफा दे दिया था और भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। इसके बाद भाजपा ने भी लोधी को तोहफा के रुप में कैबिनेट मंत्री का दर्जा देते हुए नागरिक आपूर्ति निगम का अध्यक्ष नियुक्त किया था। अब नेपानगर से कांग्रेस विधायक सुमित्रा देवी ने इस्तीफा दे दिया है, हालांकि अभी तक इस्तीफे की वजह स्पष्ट नही हुई है। उपचुनाव से पहले यह कांग्रेस के लिए एक औऱ बड़ा झटका माना जा रहा है।
बता दे कि हाल ही में कैबिनेट मंत्री ऐंदल सिंह कंसाना ने बड़ा दावा करते हुए कहा था कि उपचुनाव से पहले अभी भी उनके संपर्क में 15 ऐसे कांग्रेसी विधायक हैं जो भाजपा में शामिल होने की इच्छा रखते हैं।इस घटनाक्रम को उसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
कांग्रेस को बड़ा झटका
नेपानगर से सुमित्रा देवी और बड़ामलहरा से प्रद्युमन सिंह लोधी के इस्तीफा के बाद 26 सीटों पर उपचुनाव की स्थिति बन गई है। इससे पहले होली के दौरान पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके साथ 22 विधायकों ने बगावत करके कांग्रेस से इस्तीफे दे दिया था और मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई और गिर गई थी। इसके बाद भाजपा ने सरकार बना ली थी। वर्तमान में 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस विधायकों की संख्या 92 हो गई थी। लेकिन सुमित्रा देवी के पार्टी छोड़ने के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस विधायकों की संख्या 90 रह गई है। वहीं भाजपा विधायकों की संख्या 107 है, अब 24 की जगह 26 सीटों पर उपचुनाव होंगे। यही चुनाव तय करेंगे कि कांग्रेस मध्य प्रदेश में वापसी करेगी या फिर भाजपा सरकार बचाने में कामयाब होगी।
कई और विधायकों के भाजपा में
वहीं कई और कांग्रेस विधायकों के भाजपा में संपर्क में होने की खबरें राजधानी के राजनीतिक गलियारों में चल रही हैं। अब कुछ दिन से प्रदेश की राजनीति में ये हलचल है कि कांग्रेस के पांच विधायक बड़ा झटका दे सकते हैं। इनके भाजपा में शामिल हाेने का दावा किया जा रहा है। इनमें बुंदेलखंड से 4 और महाकौशल से 1 विधायक भाजपा के संपर्क में होने की खबरें हैं। इसी को देखते हुए कांग्रेस ने इन विधायकों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है।इसी के चलते पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दमोह से विधायक राहुल सिंह और बंडा विधायक तरबर सिंह को बुलाकर बंद कमरे में चर्चा की थी। हालांकि दोनों विधायकों ने सभी अटकलों को खारिज किया था औऱ कहा था कि हम कांग्रेस के साथ है, लेकिन इस घटनाक्रम से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार एक बार फिर गर्म हो गया है। वही भाजपा नेताओं द्वारा भी लगातार विधायकों के संपर्क में होने की बात सामने आ रही है।