MP के सिर्फ शहरी इलाकों में हो रही है कोरोना की जांच, गांवों में नहीं : कमलनाथ
भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सिंह चौहान पर कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि राज्य में सिर्फ शहरी इलाकों में टेस्टिंग हो रही है। ग्रामीण इलाकों में कितनी टेस्टिंग हो रही है? मध्यप्रदेश में 10 लाख में से कुछ गिने चुने 20-25 लोगों की ही टेस्टिंग हो रही है। जितना टेस्ट कम करो उतना कम कोरोना, जितने ज्यादा टेस्ट उतना ज्यादा कोरोना।
आगे उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश इकलौता ऐसा राज्य है जहां न तो स्वास्थ्य मंत्री है न ही गृह मंत्री।12 मार्च को हमने कोरोना से एहतियातन कॉलेज, मॉल आदि में लॉकडाउन कर दिया था। 16 मार्च, मेरे इस्तीफे के बाद केंद्र सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया था, क्योंकि वे मध्यप्रदेश में सरकार गिराने का इंतजार कर रहे थे।
कोरोना वायरस का कहर पूरे भारत में जारी है। मध्यप्रदेश में भी कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है और यह आंकड़ा 500 पार कर गया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलनाथ ने केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर हमला बोला और आरोप लगाया कि राज्य में कांग्रेस की सरकार गिराने के लिए संसद की कार्यवाही चलाई गई और बीजेपी की सरकार बनाने के लिए लॉकडाउन के ऐलान में केंद्र ने देरी की।
रविवार को मध्य प्रदेश कांग्रेस चीफ कमलनाथ ने कहा कि संसद केवल इसलिए चलाई गई ताकि मध्य प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही चलती रहे और कांग्रेस सरकार गिराई जा सके। शिवराज सिंह के सपथ के बाद ही लॉकडाउन का ऐलान किया गया। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा मध्य प्रदेश के लोगों को बेवकूफ बना रही है क्योंकि इतने गंभीर संकट में भी राज्य में न कोई मंत्रिमंडल है, न ही कोई स्वास्थ्य मंत्री या गृह मंत्री है।
कमलनाथ ने कहा, 'मैंने 20 मार्च को इस्तीफा दिया, मगर लॉकडाउन का ऐलान तब हुआ जब 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली।' उन्होंने आगे कहा कि राहुल गांधी ने फरवरी में ही कहा था कि कोरोना वायरस महामारी बड़ी समस्या में बदल जाएगी, मगर तब भी कुछ नहीं किया गया। कोविड-19 के खतरे को देखते हुए कई राज्यों के विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई, मगर हमारी सरकार गिर जाए, यह सुनिश्चित करने तक संसद की कार्यवाही चलती रही।
उन्होंने यह भी कहा कि बतौर मुख्यमंत्री मैंने उस वक्त महामारी के फैलाव को रोकने के लिए कुछ फैसले लिए थे। हमने शॉपिंग मॉल, स्कूल आदि को 8 मार्च को ही बंद करने का आदेश दिया। तब कोई लॉकडाउन नहीं था, मगर हमने परिस्थिति की गंभीरता को देखते हुए कुछ कदम उठाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि जब अध्यक्ष ने ऐलान किया कि वह कोविड-19 के खतरे के मद्देनजर सदन स्थगित कर रहे हैं, तो उनका मजाक उड़ाया गया। मगर देखो बाद में क्या हुआ। पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया गया।
क्या है मध्य प्रदेश में कोरोना की स्थिति?
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आज कोरोना संक्रमित तीन नए मामले और इंदौर में 17 मामले सामने आने के बाद राज्य में संक्रमितों की संख्या 529 से बढ़कर 549 हो गई है। इस महामारी से अभी तक प्रदेश में 42 लोग जान गवां चुके हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, भोपाल में आज तीन और संक्रमित मरीज मिले, जिन्हें यहां एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। इनकी कांट्रेक्ट हिस्ट्री भी खोजी जा रही है।
आज सुबह तक इंदौर में 298 संक्रमित व्यक्ति पाए गए हैं और 32 मरीजों की मौत हुई है। राजधानी भोपाल में कोरोना संक्रमितों की संख्या 131 से बढकर 134 हो गई है। इंदौर के बाद प्रदेश में दूसरा सबसे अधिक प्रभावित जिला भोपाल ही है। भोपाल में एक मरीज की मृत्यु हुई है। उज्जैन में अब तक कोरोना संक्रमण के 15 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें पांच मरीज की मौत हुई है। इसके अलावा बड़वानी और खरगोन में 14-14 मामले मिले हैं। खरगोन में दो लोगों की इस बीमारी से मृत्यु भी हुई है। वहीं मुरैना में अब तक 13 मामले प्रकाश में आए हैं। इसके अलावा विदिशा में 3 कोरोना संक्रमित मिल चुके हैं। होशंगाबाद में 10 तथा खंडवा में 6 मरीज अब तक मिले है।
इसके साथ ही ग्वालियर में छह, शिवपुरी में दो, छिंदवाड़ा में दो, जिसमें एक की मृत्यु, बैतूल में एक, श्योपुर में दो, रायसेन में एक, देवास में तीन, जिसमें एक की मृत्यु, धार में एक, सागर में एक, शाजापुर में एक और मंदसौर व रतलाम में एक मरीज अब तक मिले हैं। इस बीमारी से प्रदेश में 38 लोग स्वस्थ भी हुए हैं, जिसमें इंदौर में 29, भोपाल में 2, जबलपुर में 4, ग्वालियर में 2, और शिवपुरी में एक मरीज शामिल हैं।