भोपाल। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड की दिशा और दशा बदलने वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए केंद्रीय बजट से 1400 करोड़ रुपये दिए जाएंगे । देश में पहली नदी जोड़ो परियोजना करीब 45 हजार करोड़ रुपये की है। इससे दोनों ही राज्यों की कृषि जरूरतों के साथ बुंदेलखंड की बड़ी आबादी को पेयजल मिलेगा । परियोजना में 140 मेगावाट बिजली उत्पादन होगा। इससे कृषि और घरेलू जरूरतों के साथ नए कल-कारखानों को भी बिजली मिल सकेगी ।
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में प्रस्तुत बजट में इस परियोजना को 1400 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने की घोषणा की । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह परियोजना बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए वरदान है । 44 हजार 605 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना के पूरा होने पर मध्य प्रदेश के छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, निवाड़ी, दमोह, सागर, दतिया, शिवपुरी, विदिशा और रायसेन जिले लाभान्वित होंगे । साथ ही 103 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न होगी।
उन्होंने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि मध्य प्रदेश को तो बड़ी सौगात मिली है। केन और बेतवा को जोड़ने पर 44,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जाएंगे। हमारा बुंदेलखंड बदल जाएगा। परियोजना के मूर्तरूप लेने पर मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में आठ लाख 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। इससे कृषि उत्पादन बढ़ेगा तथा सूखे की समस्या खत्म होगी। जल संकट से प्रभावित प्रदेश की 41 लाख आबादी को पेयजल की सुविधा प्राप्त होगी। परियोजना से भू-जल स्तर की स्थिति सुधरेगी। 103 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। इसका उपयोग पूरी तरह मध्य प्रदेश करेगा।
चौहान ने कहा कि जल आपूर्ति होने पर बुंदेलखंड क्षेत्र में औद्योगीकरण एवं निवेश को बढ़ावा मिलेगा। रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। स्थानीय स्तर पर आमजन में आत्मनिर्भरता आएगी। क्षेत्र से लोगों का पलायन रुकेगा। बुंदेलखंड क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इस परियोजना में केन नदी का पानी बेतवा में भेजा जाएगा। इस परियोजना को यह दाऊधाम बांध के निर्माण और दोनों नदियों से नहर को जोड़ने, लोअर उर परियोजना, कोठा बैराज और बीना कॉम्प्लेक्स परियोजना के माध्यम से पूरा किया जाएगा । लगभग 62 लाख की आबादी को पीने का पानी मिलेगा । परियोजना को उत्कृष्ट प्रौद्योगिकी के साथ आठ वर्षों में पूरा करने का प्रस्ताव है ।
इस परियोजना से पन्ना जिले में 70 हजार हेक्टेयर, छतरपुर में 3 लाख 11 हजार 151 हेक्टेयर, दमोह में 20 हज़ार 101 हेक्टेयर, टीकमगढ़ एवं निवाड़ी में 50 हजार 112 हेक्टेयर, सागर में 90 हजार हेक्टेयर, रायसेन में 6 हजार हेक्टेयर, विदिशा में 20 हजार हेक्टेयर, शिवपुरी में 76 हजार हेक्टेयर एवं दतिया जिले में 14 हजार हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित हो सकेगा। साथ ही पर्याप्त पेयजल भी उपलब्ध होगा। गैर वर्षाकाल (नवंबर से मई तक) में दौधन बांध से मध्य प्रदेश को 1834 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर यानी 1834 अरब लीटर) और उत्तर प्रदेश को 750 एमसीएम (750 अरब लीटर) पानी मिलेगा। सामान्य वर्षाकाल में मध्य प्रदेश को दो हजार 350 एमसीएम और उत्तर प्रदेश को एक हजार 700 एमसीएम सालाना जल मिलेगा।
गौरतलब है कि इस परियोजना पर वर्ष 2005 में दोनों राज्यों के बीच समझौता हुआ था, लेकिन कुछ बिन्दुओं पर आपसी सहमति नहीं बनने के कारण परियोजना का काम अधर में लटक गया था। पिछले साल 22 मार्च को देश में नदियों को आपस में जोड़ने की पहली प्रमुख केंद्रीय परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ। इस त्रिपक्षीय समझौते के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मौजूद रहे।
इस त्रिपक्षीय समझौते में तय हुआ कि दौधन के पास बांध बनाकर केन नदी का पानी रोका जाएगा। यहां से 221 किलोमीटर लंबी नहर के माध्यम से केन बेसिन का 1074 अरब लीटर पानी बेतवा बेसिन में पहुंचाया जाएगा। तीन बांध बेतवा नदी पर बनाए जाएंगे। यह समझौता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नदी जोड़ो परियोजना की कड़ी है। इसमें अंतरराज्यीय सहयोग से नदियों को आपस में जोड़कर पानी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाकर सूखाग्रस्त और पानी की कमी वाले इलाकों तक पानी पहुंचाना है ।