MP News: मंडी बोर्ड के गले की फांस बना 74 करोड़ का टेंडर, मंत्री - MD के बीच तीन माह तक दौड़ती रही पुनर्विचार की फाइल
विनोद दुबे, भोपाल। मध्यप्रदेश की सभी 259 मंडी समिति कार्यालयों को पूरी तरह सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में लाकर संभाग एवं प्रदेश स्तर पर निगरानी तंत्र विकसित करने के फेर में मप्र राज्य कृषि विपणन (मंडी) बोर्ड फंस गया है। सफल निविदाकार फर्म के महंगे टेंडर को निरस्त कराने के लिए बोर्ड के अधिकारी ऐढ़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं लेकिन न्यायालय के आदेश के विरुद्ध पुनर्विचार की अपील किए जाने संबंधी फाइल को लेकर विभागीय मंत्री और बोर्ड के प्रबंध संचालक के बीच कैचम-कैच के चलते विभाग को लगभग 40 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
मंडियों पर नजर रखने बुलाई निविदा
मप्र की मंडियों में नकद भुगतान, व्यापारियों के बीच आपसी क्रय-विक्रय एवं करोड़ों के भुगतान एवं अनियमितताओं पर नजर रखने के उद्देश्य से मंडी बोर्ड ने प्रदेश भर की 'अ' 'ब' एवं 'स' वर्ग की सभी मंडी समितियों में सीसीटीवी कैमरे लगाने एवं उन्हें संधारित किए जाने तथा नियंत्रण कक्ष स्थापित करने को लेकर 22 जनवरी 2024 को टेंडर समिति की बैठक बुलाई गई थी।
इस काम के लिए 74 करोड़, 30 लाख , 54 हजार 530 रुपये के आकलित खर्च को स्वीकृति मिली। राष्ट्रीय सार्वजनिक खरीद पोर्टल गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेम) के माध्यम से 8 फरवरी 2024 को 137 मंडी समितियों में नए सीसीटीवी कैमरे लगाने एवं उनकी निगरानी के लिए निविदा आमंत्रित की गई।
कुल तीन निविदा आईं, जिनमें से सबसे कम दर 73 करोड़, 99 लाख रुपये की सफल निविदा हेविन टैक्नो सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड की खुली। 6 मार्च 2024 को तत्कालीन एमडी श्रीमन शुक्ला ने अनुशंसा समिति के अनुमोदन के अनुसार न्यूनतम दर वाली फार्म को कार्यादेश जारी किए जाने की बात लिखी।
अचानक निरस्त कर दी निविदा?
निविदा शर्तों में उल्लेखित सम्पूर्ण व्यवस्था पर लगभग 30-35 करोड़ का खर्च संभावित है, जबकि सफल निविदा 73 करोड़, 99 लाख की खुली। महंगी निविदा अधिकारियों की परेशानी बढ़ा सकती है, इस कारण मंडी में राशि की कमी दर्शाते हुए बोर्ड के तत्कालीन प्रबंध संचालक श्रीमन शुक्ल ने 19 मार्च को यह स्वीकृत टेंडर ही निरस्त कर दिया।
4 अप्रैल 2024 को सफल निविदाकार फर्म हेविन टैक्ने सिस्टम प्रा.लि. ने इस निरस्तीकरण आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर कर दी। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजमोहन सिंह और न्यायाधीश देवनारायण मिश्रा की युगल पीठ ने प्रकरण की सुनवाई के बाद 16 अगस्त 2024 को याचिकाकर्ता फर्म के पक्ष में निर्णय सुनाया। तत्कालीन प्रबंध संचालक श्रीमन शुक्ल ने न्यायालय के इस निर्णय के विरुद्ध पुनर्विचार याचिका दायर करने का प्रस्ताव रखा लेकिन विभागीय मंत्री एंदल सिंह कंसाना ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए महाधिवक्ता से अभिमत लेने की बात लिख दी।
बोर्ड के वर्तमान एमडी एम.सेल्वेन्द्रन ने भी महाधिवक्ता से अभिमत नहीं लेकर सीधे पुनर्विचार का प्रस्ताव रखा लेकिन मंत्री कंसाना ने इसे फिर से अस्वीकार कर महाधिवक्ता से अभिमत की बात लिखी। अंतत: 30 अक्टूबर को बोर्ड ने इस फाइल को महाधिवक्ता प्रशांत सिंह के पास अभिमत के लिए भेज दिया।
बोर्ड को हो सकता है 40 करोड़ का नुकसान
नाम नहीं छापने की शर्त पर तकनीकी जानकारों ने बताया कि मंडी बोर्ड द्वारा बुलाई गई निविदा में उल्लेखित 137 मंडियों में सीसीटीवी लगाने सहित अन्य कामों में अधिकतम 30-35 करोड़ रुपये खर्च होंगे। जबकि निविदा इससे दो गुना से अधिक दर 73 करोड़, 99 लाख रुपये की है। इस तरह सफल निविदाकार कंपनी से यह काम कराया गया तो बोर्ड को लगभग 35-40 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। हालांकि इस काम के लिए बोर्ड की बैठक में राशि स्वीकृत करने वाले तत्कालीन प्रबंध संचालक एवं अन्य अधिकारियों पर भी सवाल उठ रहे हैं। साथ ही पुनर्विचार याचिका के स्थान पर महाधिवक्ता के अभिमत पर विभागीय मंत्री की रुचि भी चर्चाओं में है।
ठेके तो 500 और एक हजार करोड़ तक के हो रहे हैं। यह तो छोटी सी बात है। मंडियों में चोरी हो रही हैं, दस की जगह एक स्टाफ पदस्थ कर हम मंडियों पर नजर रख सकेंगे। टेंडर हुआ है, यह बनिया की दुकान नहीं है कि कभी भी निरस्त कर दो। उच्च न्यायालय की युगल पीठ के निर्णय के बाद आगे की कार्रवाई के अभिमत के लिए महाधिवक्ता के पास भेजा है। महाधिवक्ता का अभिमत पुनर्विचार के पक्ष में नहीं आता तो हम टेंडर निरस्त कराने के लिए आगे न्यायालयीन कार्रवाही नहीं करेंगे। - एंदल सिंह कंसाना, मंत्री- किसान कल्याण एवं कृषि विकास, मप्र