प्रदेश को कोरोना का कहर देने वाले कमलनाथ का बयान झूठा और दुर्भाग्यपूर्ण : भाजपा प्रदेशाध्यक्ष

o मध्यप्रदेश की देश भर में वाहवाही हो रही है, इसलिए कांग्रेस के पेट में दर्द है

Update: 2020-05-20 13:02 GMT

o हिम्मत है तो प्रियंका से पूंछे की महाराष्ट्र मजदूरों को धकियाकर क्यों निकाल रहा है ?

o हम प्रियंका की तरह वाहनों की जालसाजी नहीं करते, कमलनाथ चाहे तो सारे आंकडों की जांच कर लें

भोपाल/वेब डेस्क। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री विष्णुदत्त शर्मा ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री कमलनाथ द्वारा मजदूरों को लेकर दिए गए बयान को दुर्भाग्यपूर्ण और झूठ का पुलिंदा बताया है। उन्होंने कहा है कि मध्यप्रदेश को सौगात में कोरोना का कहर परोसने वाले अब छाती पीट रहे हैं। आज जब प्रदेश भर के मजदूरों को व्यवस्थित तरीके से उनके घर पहुंचा दिया गया है, तब कांग्रेस के नेताओं का नशा काफूर हुआ है और वह व्यवस्थाओं को कोसने के लिए ओछी हरकतों पर उतर आये है। हिम्मत है तो अपनी नेता सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका से पूंछे कि महाराष्ट्र से मजदूरों को अमानवीय तरीके से बेदखल क्यों किया जा रहा है ? जिसके कारण उत्तर के राज्यों की ओर पलायन करने के लिए मजदूर मजबूर हुए है। आज सारी दुनिया जानती है कि कांग्रेस शासित महाराष्ट्र से भगाए जा रहे मजदूरों को सिर्फ और सिर्फ मध्यप्रदेश में वाहन, भोजन, राषन, दवाई और जूते, चप्पल तक की व्यवस्था की जा रही है। हम आपकी नेता प्रियंका गांधी की तरह बसों के नाम पर आटो और मोटरसाइकिल के नंबर भेजने की जालसाजी नहीं करते। हमारी सरकार ने अभी तक परिवहन पर लगभग 60 करोड़ रूपए खर्च किया है। सच तो यह है कि मध्यप्रदेश में अच्छी व्यवस्थाएं देखकर आपके पेट में दर्द हो रहा है।

श्री शर्मा ने कमलनाथ से पूंछा है कि उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होने के नाते और एक उद्योगपति होने के नाते भी कोरोना संकट के दौरान कितने मजदूरों को मरहम लगाने का काम किया है ? हालत तो यह है कि छिंदवाडा के लोग ही अपने सांसद और विधायक को ढूंढ रहे है। वहां नागरिकों ने खोजने वाले को इनाम देने के पोस्टर लगा रखे हैं। श्री कमलनाथ और कांग्रेस के तमाम नेताओं को यह समझ लेना चाहिए कि मानवता से उनका दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं है। जिस पार्टी ने बरसों तक झूठ, छलावे, अत्याचार और हत्याकांडों की राजनीति की हो वह दूसरे पर उंगली उठाते अच्छी नहीं लगती। जिन लोगों ने 1984 में 30 हजार सिखों को सड़कों पर दौडा दौडाकर जिंदा जलाया, उनका कत्लेआम किया, वे यदि मानवता पर उपदेश दें तो शोभा नहीं देता।

हम श्री कमलनाथ को यह बताना चाहते है कि मध्यप्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह जी पर उंगली उठाने से पहले इस सच्चाई को सुनने का साहस दिखाएं कि प्रदेष सरकार अभी तक मध्यप्रदेश के 4 लाख 63 हजार अपने श्रमिकों को गुजरात, गोवा, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, केरल, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडू और तेलंगाना आदि राज्यों से रेलों और बसों के द्वारा घर पहुंचा चुकी है। 100 से अधिक रेले मध्यप्रदेश पहुंच चुकी है और 25 अभी और आनी है। हमने तो मजदूरों के अलावा विभिन्न स्थानों पर फंसे छात्र छात्राओं को भी उनके घर सुरक्षित पहुंचाया है।

श्री कमलनाथ जी आपके अंदर साहस नहीं है, यह स्वीकार करने का कि मध्यप्रदेश के बार्डर पर जो बेसहारा और लाचार मजदूर पहुंच रहे हैं, उन्हें महाराष्ट्र की सरकार और प्रषासन द्वारा जबरन महाराष्ट्र से निकाला जा रहा है। बार्डर पर पहुंचने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार तथा राजस्थान के मजदूरों को भी डेढ हजार से अधिक बसें लगाकर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा इन राज्यों की सीमा तक पहुंचाया गया है। शायद आपको यह जानकारी भी नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने प्रदेश भर के हाइवे पर सेवा प्रकल्प चला रखे हैं। हम एक-एक व्यक्ति को भोजन, चाय, नाष्ता, पानी की बोतल, दवाईयां, जूते, चप्पल और आवष्यकतानुसार कपडे भी उपलब्ध करवा रहे हैं। अभी तक के कोरोना संकट में प्रदेश भर में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने आवष्यकतानुसार तीन करोड से अधिक लोगों तक राहत सामग्री पहुंचायी है। जिनमें बाहर से आने वाले मजदूरों की भी बडी संख्या है।

श्री शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री को धिक्कारते हुए कहा है कि जिन लोगों ने संबल योजना बंद करके गरीबों को तड़पने के लिए छोड दिया था, वे मजदूरों की बात करते अच्छे नहीं लगते। जिस कांग्रेस की सरकार ने किसानों के बीमे का पैसा डकार लिया, स्वास्थ्य सेवाओं को पलीता लगा दिया, किसानों से उपज नहीं खरीदी, सारे विकास कार्य ठप कर दिए और फिर भी हमेशा खजाने का रोना रोया। लेकिन आज जब शिवराजजी की सरकार आयी है तो उसने कोरोना के कारण गडबडाई आर्थिक व्यवस्थाओं के बावजूद मध्यप्रदेश के गरीब, किसान, मजदूर के खाते में 16489 करोड रूपए ट्रांसफर किए है। यह कोरी बयानबाजी नहीं है, कमलनाथ चाहें तो आंकड़े प्रमाणित करा लें और फिर नैतिकता हो तो जनता के बीच में जनकल्याण के इस अभियान को स्वीकार करें। लेकिन श्रीमान कमलनाथ जी आपके अंदर नैतिकता का कोई स्थान नहीं है, यदि होता तो आप प्रदेशवासियों से इस बात के लिए माफी जरूर मांगते कि आपके प्रोत्साहन के कारण सीएए के धरने में जमाती आते रहे, कोरोना फेलता रहा और आप कोरोना के उदगम स्थल इंदौर में कोरोना संकट को अनदेखा करते हुए आईफा अवार्ड की चिंता में डूबे रहे। इस महामारी के फैलाव के लिए आपको प्रदेश कभी माफ नहीं करेगा, क्योंकि आपने डेढ महीने तक कोरोना से संबंधित तैयारी तो छोडिए, चर्चा भी नहीं की।

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