आयुष्मान योजना में गबन का मामला: शिवपुरी मेडिकल कॉलेज डीन के विरुद्ध लोकायुक्त जांच शुरू, अधीक्षक की जांच भी होगी...
शिवपुरी मेडीकल कॉलेज के डीन डॉ धर्मदास परमहंस एवं अधीक्षक आशुतोष चोरिषी के विरुद्ध लोकायुक्त एवं ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू कर दी है।दोनों के विरुद्ध आयुष्मान योजना में भृष्टाचार की शिकायत है।
मप्र शासन के निर्देशों को धता बताकर दोनों डॉक्टरों पर आयुष्मान योजना की प्रोत्साहन राशि अपने खातों में अंतरित करने का गंभीर आरोप है। जबकि दोनों को इसकी पात्रता नहीं थी। खासबात यह है कि डीन डॉ परमहंस पर तो उस अवधि की राशि भी हड़पने का आरोप है, जिस समय वह विदिशा में पदस्थ थे ।
इस मामले की शिकायत लोकायुक्त एवं ईओडब्ल्यू में तथ्यों के साथ प्रस्तुत की गई है। शिकायतकर्ता आर एन शर्मा के अलावा कुछ पूर्व चिकित्सकों ने भी शिवपुरी मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक एवं डीन की शिकायतें शासन को की हैं। लोकायुक्त संगठन के ग्वालियर कार्यालय में पदस्थ उपपुलिस अधीक्षक के समक्ष शिकायतकर्ता ने अपने बयान दर्ज करा दिए हैं। दूसरी तरफ आर्थिक अपराध अनुसंधान इकाई की पुलिस अधीक्षक भोपाल ने भी इस मामले में चिकित्सा शिक्षा आयुक्त से आयुष्मान योजना के प्रावधान अनुसार जांच संबन्धी प्रतिवेदन तलब कर लिया है।
आयुष्मान में गबन का आरोप
आयुष्मान योजना के अंतर्गत मेडीकल कॉलेजों में होने वाले उपचार के लिए 60 प्रतिशत राशि नियत पैकेज अनुसार कॉलेज को मिलती है। इसमें से 30 फीसदी कॉलेज उन्नयन एवं 30 फीसदी का वितरण अलग अलग अनुपात में स्टाफ को दिए जाने का प्रावधान है। इस संबन्ध में आयुक्त चिकित्सा शिक्षा द्वारा 15 फरवरी 2024 को जारी आदेश में यह भी स्पष्ट है कि मेडीकल कॉलेज के डीन के अलावा अधीक्षक, डायरेक्टर आयुष्मान इस योजना के नोडल ऑफिसर नही होंगे। जाहिर है, कॉलेज के डीन एवं अधीक्षक को प्रोत्साहन राशि नहीं मिल सकती है। इसके बाबजूद डीन डॉ परमहंस, अधीक्षक डॉ आशुतोष एवं डायरेक्टर शिल्पा गुप्ता ने समान रूप से 77556 रुपए की राशि अपने अपने बैंक खातों में ट्रान्सफर करा ली।
डीन तब विदिशा में पदस्थ थे
इस मामले में खास बात यह है कि डॉ परमहंस 18 मई 2024 को शिवपुरी में पदस्थ हुए हैं जबकि जिस आयुष्मान इंसेटिव का आहरण उन्होंने अपने खाते में किया है वह मार्च 2024 तक की अवधि का है। जाहिर है, यह दोहरी वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है।
आयुष्मान इंसेंटिव (प्रोत्साहन राशि) मे यह घोटाला प्रदेश के अधिकतर मेडिकल कॉलेजों में सामने आ रहे हैं। हालांकि आयुक्त चिकित्सा शिक्षा के 15 फरवरी 24 के आदेश में पैकेज राशि के वितरण का पदनाम सहित स्पष्ट विवरण अंकित है। डॉक्टर से लेकर पैरामेडिकल स्टाफ और आउटसोर्स कर्मचारियों जैसे चपरासी,वार्ड वाय तक को इस 30 प्रतिशत राशि मे से इंसेंटिव दिया जाना है।
आधा दर्जन एस आर ने नौकरी छोड़ी, कैज्युल्टी पर संकट...
शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में कार्यरत सीनियर रेसिडेंट (एस आर)लगातार नौकरी छोड़ कर जा रहे हैं। नए डीन द्वारा डॉक्टरों का बार्षिक रिन्यूवल नही किया जा रहा है नतीजतन मेडिसन, पीडिया, निश्चेतना जैसे विभाग खाली हो गए हैं। ‘स्वदेश’ के पास ऐसे सीनियर रेजिडेंट डाक्टरो की बातचीत के अंश मौजूद है जिसमें वे शिवपुरी कॉलेज छोडऩे का कारण डीन और अधीक्षक को बता रहे हैं। बताया जाता है कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा एस आर के सेवा नवीनीकरण पर अनावश्यक अड़ंगे लगाए जा रहे हैं, उन्हें रिन्यूवल के लिए अनावश्यक दबाब बनाया जाता है। कुछ जूनियर डॉक्टर भी प्रबंधन के इस रवैये से शिवपुरी कॉलेज नही आना चाहते हैं। कॉलेज से महत्वपूर्ण विभागों के सीनियर रेजिडेंट्स जिस तरह से भृष्ट तौर तरीके के कारण सेवा से त्यागपत्र दे रहे हैं उसने इस महाविद्यालय के पूरे प्रबंधन को कटघरे में खड़ा कर दिया है।