केंद्र सरकार दिल्ली को अधिक ऑक्सीजन उपलब्ध कराए : मनीष सिसोदिया

Update: 2021-04-21 13:32 GMT

नईदिल्ली। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार से दिल्ली में ऑक्सीजन का कोटा बढ़ाने का अनुरोध किया है। उप मुख्यमंत्री ने कहा है कि 'दिल्ली को मिलने वाला ऑक्सीजन बिना रोकटोक के दिल्ली तक पहुंचे ये भी केंद्र सरकार सुनिश्चित करे।'

दिल्ली के अस्पतालों से लगातार ऑक्सीजन के कमी की खबरें आ रही हैं। खुद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को प्रेसवार्ता के दौरान ये बात स्वीकार की। उन्होंने कहा कि 'दिल्ली के अस्पतालों में जो ऑक्सीजन कम हुआ था उसके दो मुख्य कारण थे। पहली बात दिल्ली अपना ऑक्सीजन खुद बनाता नहीं है। दूसरा, दिल्ली को मिल रहा अपना कोटा सही समय पर दिल्ली पहुंच नहीं पा रहा है। ऑक्सीजन के टैंकर दिल्ली पहुंच नहीं पा रहे हैं। इसलिए मैं केंद्र सरकार से विनती करता हूं कि दिल्ली को मिलने वाला ऑक्सीजन का कोटा बढ़ा दें। कोरोना के दौरान ये स्थिति और गंभीर हो गई क्योंकि दिल्ली में एकदम अचानक से ऑक्सीजन की मांग बढ़ी है।'

ऑक्सीजन पहुंचना सुनिश्चित हो -

सिसोदिया ने आगे कहा कि 'कई अस्पतालों में दिल्ली का कोटा आ नहीं पा रहा है। जैसा कि आज भी हुआ फरीदाबाद में दिल्ली का कोटा रोका गया । कल भी मोदीनगर से दिल्ली आने में समस्या फसी थी। केंद्र सरकार के एक मंत्री ने इंटरफेयर किया तब हमारे पास ऑक्सीजन पहुंच सका। हम केंद्र सरकार से ये भी दर्खास्त करते हैं कि वो ये भी सुनिश्चित करें कि हमारा कोटा हमारे पास पहुंचे।राज्य सरकार ये तय नहीं करती है कि ऑक्सीजन को कितना कोटा मिलना है।'

ऑक्सीजन कोटा बढ़ाया जाए -

हालांकि सिसोदिया ने माना कि ऑक्सीजन की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की है। राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती। लेकिन लगातार बढ़ते मरीजों के कारण हमें बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ रही है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि 'हमने केंद्र सरकार को कई बार लिखा कि दिल्ली के पास 378 मेट्रीक टन का कोटा है उसे बढ़ाकर 700 मेट्रीक टन किया जाए। हमारी जरूरतें इस स्तर पर पहुंच गई हैं। लेकिन अभी तक उस दिशा में भारत सरकार ने कदम नहीं उठाया है।दिल्ली के अस्पतालों में जो 18 हजार मरीज भर्ती हैं। इसमें दिल्ली के भी लोग हैं यूपी और हरियाणा ,राजस्थान और हरियाणा के भी लोग हैं। इसको किसी एक राज्य की तरह न देखें बल्कि सभी को भारत का एक नागरिक समझें।'


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