नई दिल्ली। दिल्ली सरकार राजधानी में चल रहे प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स के नियमन के लिए नीति बना रही है तथा इन संस्थानों में मूलभूत सुविधाओं, शुल्क और सुरक्षा के उपायों के लिए दिशानिर्देश तैयार कर रही है।
दिल्ली सरकार ने इस बात का संज्ञान लिया है कि प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स शिक्षा की एक समानांतर व्यवस्था चला रहे हैं और अभी तक वह किसी नियम या कानून के दायरे में नहीं हैं जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। सरकार ने 20 से अधिक छात्रों वाले कोचिंग सेंटर्स को शिक्षा निदेशालय में अपना पंजीकरण करवाने को कहा है।
सरकार ऐसे सेंटर्स के आंकड़े एकत्र करने के बारे में भी विचार कर रही है जिसमें सेंटर्स की अवसंरचना, जमीन, मूलभूत सुविधाएं, शुल्क, सुरक्षा मानक इत्यादि शामिल हैं।
दिल्ली के सहायक शिक्षा निदेशक योगेश पाल सिंह ने कहा कि दिल्ली में ऐसे कोचिंग सेंटर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है जहां मेडिकल, इंजीनियरिंग या अन्य पेशेवर पाठ्यक्रमों में प्रवेश और सरकारी तथा निजी नौकरियों की परीक्षा के लिए कोचिंग दी जाती है। योगेश पाल सिंह ने कहा कि ऐसी परीक्षाओं की तैयारी के लिए पूरे भारत से छात्र शहर में आते हैं और कोचिंग सेंटर्स में प्रवेश लेते हैं। ये संस्थान समानांतर शिक्षा व्यवस्था चला रहे हैं और अब भी किसी नियम या कानून के दायरे में नहीं हैं, जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है।
उन्होंने गुजरात के सूरत में एक कोचिंग सेंटर में आग लगने से 22 छात्रों के मरने की त्रासद घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार ने ऐसी घटनाओं का संज्ञान लेते हुए प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स में मूलभूत सुविधाओं, शुल्क और सुरक्षा उपायों के लिए दिशानिर्देश तय करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि उचित नियमन न होने से ऐसे संस्थानों में धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े की घटनाएं भी सामने आती हैं। योगेश पाल सिंह ने कहा कि इसीलिए दिल्ली में कोचिंग सेंटर्स के संचालन को नियामक प्रक्रिया के अधीन लाए जाने की आवश्यकता है।