नई दिल्ली/स्व.स.से.। आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि आने वाले समय में उन्हें भारत में कोई मौका मिलेगा तो वो जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार हैं। उनका बयान ऐसे समय आया है जब अटकलें लगाई जा रही हैं कि अगर आम चुनाव में विपक्षी गठबंधन की जीत होती है तो राजन वित्त मंत्री बन सकते हैं। वो अभी शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में वित्त के प्रोफेसर हैं।
राजन ने कहा है कि वो जहां हैं वहां खुश हैं लेकिन नए अवसरों के लिए तैयार हैं। अपनी किताब थर्ड पिलर के विमोचन के मौके पर मंगलवार को उन्होंने यह बात कही। कार्यक्रम के दौरान राजन से पूछा गया था कि क्या वो लोकसेवा या किसी राजनीतिक भूमिका के लिए भारत लौटना पसंद करेंगे? राजन ने सितंबर 2016 में आरबीआई के गवर्नर का पद छोड़ा था। सरकार ने उनका कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाया था। मोदी सरकार और रघुराम राजन के बीच ब्याज दरों और राजन के बयानों को लेकर अनबन रही थी।
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा था कि रघुराम राजन उन शीर्ष अर्थशास्त्रियों में से एक हैं जिनसे उन्होंने कांग्रेस की न्यूनतम आय योजना के मसौदे पर विचार-विमर्श किया था।
राजन से एक टीवी साक्षात्कार में पूछा गया था कि अगर वो देश के वित्त मंत्री होते तो उनकी प्राथमिकताएं क्या होती। राजन ने जवाब दिया था कि छोटी अवधि के कई मुद्दे हैं। उन पर फोकस करने से कई परियोजनाएं पटरी पर लौट सकते हैं। वहीं राजन ने यह भी कहा कि कांग्रेस की न्यूनतम वेतन गारंटी योजना को लेकर कांग्रेस द्वारा उनसे परामर्श लेने को राजनीतिक चश्मे से देखने का कोई औचित्य नहीं बनता है। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) पिछली दोनों सरकारों के बीच में एक राय रही है। यह एक गरीबी मिटाने वाली योजना है और गरीबी मिटाने को लेकर दोनों ही सरकारें सहमत हैं। पूर्व गवर्नर ने कहा कि इस योजना के लिए यह जरूरी है कि यह लोगों को निठल्ला नहीं करे। उन्होंने कहा कि इस योजना की बुनियाद में गरीब को फायदा पहुंचाना और उन्हें बेहतर जीविकोपार्जन के लिए सक्षम करना है।