इस समय देश में करीब 70-80 धार्मिक टीवी चैनल चल रहे हैं जो भारत सरकार से मान्यता प्राप्त हैं। इनमें से करीब 40 इसाई चैनल हैं जो अलग-अलग भाषाओं में खास तौर से तमिल, मलयालम, तेलुगु और कन्नड़ में हैं लेकिन 5 हिंदी-अंग्रेजी में भी हैं । 3 इस्लामिक और 8 जैन चैनल भी हैं। शेष करीब 15 हिंदी, हिंदू या सनातन धर्म के आध्यात्मिक चैनल हैं, जैसे- साधना, आस्था, संस्कार, दिशा, श्रद्धा, सत्संग, दिव्या, सुभारती आदि। इनमें से आस्था, संस्कार और 6 दूसरे चैनल बाबा रामदेव द्वारा संचालित हो रहे हैं। तो श्रद्धा चैनल श्री श्री रवि शंकर द्वारा, दिशा सुधांशु जी महाराज, संतवाणी कंवर साहिब द्वारा, सर्वधर्म समभाव राम रहीम द्वारा चलाया जा रहा है। शेष रह गया साधना टीवी। पिछले करीब 6 महीनों की बार्क रेटिंग (यह एक मात्र एजेंसी है जो प्रत्येक चैनल की पहुंच, दर्शकों की संख्या और कार्यक्रमों की लोकप्रियता का आकलन करती है) के अनुसार साधना देश का सबसे अधिक देखा जाने वाला धार्मिक चैनल है। केवल इतना ही नहीं अपितु साधना की रेटिंग और इसके बाद दूसरे – तीसरे पायदानों पर रहने वाले चैनल की रेटिंग में भी बहुत बड़ा अंतर है।
आस्था, संस्कार के बाद 2003 में शुरु हुए 'साधना' टीवी को इस स्तर पर लाने में अथक प्रयास किया है इसके चेयरमैन राकेश गुप्ता ने, जो मीडिया जगत से पिछले 45 वर्षों से जुड़े हैं। इस मुकाम को उन्होंने कैसे हासिल किया, जानने के लिए उनसे बातचीत की हमारे संवाददाता ने -
सवाल - धार्मिक चैनल्स और बाकी चैनल्स में आप क्या मूलभूत अंतर देखते हैं ?
जवाब- सभी आध्यत्मिक चैनल बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। लेकिन आज कई चैनल और OTT प्लेटफार्म हमारी संस्कृति और युवा पीढ़ी को मनोरंजन के नाम पर उस तरह की नग्नता, हिंसा गाली-गलौच परोस रहे हैं जिसे आप परिवार के साथ बैठकर देख भी नहीं सकते। एसे में अपनी संस्कृति और परम्पराओं की खुशबू घर-घर तक पहुंचाने का काम धार्मिक चैनल कर रहे हैं।
सवाल- बाकी धार्मिक चैनल के साथ बड़े-बड़े नाम जुड़े हैं जैसे बाबा रामदेव, श्रीश्री रवि शंकर, सुधांशु जी महाराज आदि, फिर आप साधना को नंबर एक के मुकाम तक कैसे लेकर गए ?
जवाब- केवल बड़ा नाम जुड़ जाने से चैनल बड़ा नहीं बन जाता। चैनल्स की लोकप्रियता होती है उसके कार्यक्रमों से। साधना टीवी पर एक्सक्लूसिव रुप से कुछ संतों के प्रवचन प्रसारित होते हैं, जिनसे इसके दर्शकों की संख्या करोड़ों में पहुंच गई है। खास तौर पर संत अनिरुद्धाचार्य जी, कृपालू जी, दीपक भाई जी, जय गुरुदेव आदि कुछ संत है जिनके दर्शक उन्हें नियमित रुप से न केवल देखते-सुनते हैं, अपितु उनके जीवन में भी इनके प्रवचनों के कारण परिवर्तन आता है।
सवाल - आज डिजिटल मिडिया का युग है इस दृष्टि से आप की क्या योजनाएं हैं ?
जवाब- समय के साथ कदम मिलाते हुए हमने साधना गोल्ड, साधना भजन, साधना भक्ति, यूट्यूब, फेसबुक आदि डिजिटल चैनल शुरु किये हैं, जो काफी लोकप्रियता भी हासिल कर रहे हैं। साधना गोल्ड के तो करीब 12 लाख सब्सक्राइबर हो चुके हैं जिसके कारण इसे गोल्ड-प्लेट से सम्मानित भी किया जा चुका है। अभी अनेक दूसरी योजनाओं पर भी काम हो रहा है जिनके परिणाम शीघ्र आएंगे।
सवाल- कोरोना का अबतक आपके चैनल पर क्या प्रभाव पड़ा है ?
जवाब- हमारी कार्यक्रम – निर्माण टीम की मेहनत का परिणाम है कि नित्य नए नए कार्यक्रम बनते हैं, भजन रिकॉर्ड होते हैं, आयुर्वेद से संबंधित जानकारियां दर्शकों तक पहुंचाते हैं। मुझे लगता है कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन में लोगों ने चैनल को अधिक देखा है और दर्शकों की संख्या कई गुणा बढ़ी है। हमारी पूरी टीम की मेहनत का परिणाम है कि साधना देश-दुनिया का नंबर वन आध्यात्मिक चैनल बन गया है।
सवाल- साधना चैनल की बाकी धार्मिक टी.वी. चैनल्स के मुकाबले क्या स्थिति है ?
जवाब- विश्व की एकमात्र एजेंसी है टैम (टी.ए.एम.) जो हजारों घरों में हर सप्ताह सर्वे करने के बाद रेटिंग तय करती है कि बीते हफ़्ते में किस चैनल को सबसे अधिक देखा गया है । इसी के आधार पर विज्ञापन- नीति तय की जाती है। पिछले 6-7 महीनों की रेटिंग के अनुसार लगातार हर बार धार्मिक चैनल की श्रेणी में साधना सर्वोच्च स्थान पर आ रहा है। इतना ही नहीं, साधना के पहले पायदान के अंकों और दूसरे पायदान पर स्थित चैनल के अंकों में भी काफी बड़ा अंतर है। इसका कारण है हमारे कार्यक्रमों की श्रेष्ठता। एसे संतों के कार्यक्रम, जो आध्यात्म जगत में पूजनीय स्थान रखते हैं, केवल वे ही हमारी प्रोग्रामिंग टीम के द्वारा स्वीकृत होने के बाद प्रसारित होते हैं। भजन, ज्योतिष, आयुर्वेद आदि के भी चुन-चुन कर विशेषज्ञों को हम अपने चैनल पर आमंत्रित करते हैं। सभी डीटीएच, केबल, OTT पर होने के कारण पूरे देश भर में और अमेरीका, यूरोप आदि पूरी दुनिया के करोड़ों लोग साधना के साथ प्रतिदिन जुड़ते हैं।
सवाल- आज आप जिस स्थिति में हैं, क्या उससे संतुष्ट हैं ?
जवाब- यदि हमें प्रगति के पथ पर अग्रसर होना है, तो संतुष्ट कभी भी होना ही नहीं चाहिए। वैसे भी 'परफ़ेक्शन' की कोई सीमा नहीं होती। हां ! संतुष्टि इस बात की जरुर रहती है कि जब 2003 में साधना टीवी प्रारम्भ किया गया था तो श्री अशोक सिंघल जी (विश्व हिंदु परिषद्), श्री मोहन भागवत जी (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ), स्वामी सत्यामित्रानन्द जी (भारत माता मंदिर), भारतीय जनता पार्टी के अनेकों वरिष्ठ नेताओं ने 'साधना' का शुभारंभ करते हुए इसे सर्वोच्च शिखर पर देखने का जो सपना संजोया था, उस सपने को हमने साकार कर दिखाया है। लेकिन निश्चित तौर पर अभी और कई मंजिलें तय करनी बाकी हैं।