जीवन सफल होने के बाद होती है आनंद की अनुभूति : शंकरानंद जी
भारतीय शिक्षण मंडल, शालेय प्रकल्प, दिल्ली प्रान्त एवं प्राच्य अध्ययन संस्थान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शिक्षक स्वाध्याय आनंदशाला का समापन
नई दिल्ली। भारतीय शिक्षण मंडल, शालेय प्रकल्प, दिल्ली प्रान्त तथा संस्कृत एवं प्राच्य अध्ययन संस्थान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शिक्षक स्वाध्याय आनंदशाला का समापन शनिवार को जेएनयू के संस्कृत तथा प्राच्यविद्या अध्ययन संस्थान में हुआ। आनंदशाला के संचालक भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री शंकरानंद जी रहे।
इससे पहले उद्घाटन सत्र में प्राध्यापक सुधीर आर्य ने सभी अतिथिगणों का स्वागत करते हुए कहा कि यदि आचार्य पूर्व रूप है तो विद्यार्थी उत्तर रूप है। उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि शिक्षक का महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व अपने विद्याॢथयों को जीवन जीने की कला सिखाना है। भारतीय शिक्षण मंडल, शालेय प्रकल्प दिल्ली प्रांत की प्रमुख डॉ. अर्चना ने शालेय प्रकल्प का परिचय देते हुए बताया कि आनंदशाला से आचार्यों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। प्राध्यापक अजय कुमार ङ्क्षसंह ने कहा कि प्रत्येक विषय में भारतीयता का समावेश करने हेतु सभी को योगदान देना चाहिए।
आनंदशाला के प्रथम सत्र में शंकरानंद जी द्वारा अत्यंत रोचक तथा समावेशी शैली में शिक्षक निबंध के साथ संवाद के माध्यम से शिक्षक के अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा हुई। शंकारानंद जी ने कहा कि जब जीवन सफल, अर्थपूर्ण तथा उद्देश्यपूर्ण होता है तब उस आनंद की प्राप्ति होती है और यह आनंद व्यक्ति के चेहरे पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उन्होंने शिक्षक जीवन के वास्तविक अर्थ, उद्देश्यों तथा राष्ट्र को योगदान पर समग्र प्रकाश डालते हुए कहा कि निरंतर साधना तथा सीखने की कला शिक्षकों में आ जाती है, जिससे विकास तथा विवेक का उद्भव होता है।
अंत में समापन सत्र में समूह विमर्श पर मंथन हुआ तथा शिक्षकों से सुझाव आमंत्रित किए गए। शिक्षकों ने आनंदशाला के संदर्भ में हुए अपने-अपने अनुभव साझा किए। भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय शालेय प्रमुख पुष्पेंद्र राठी ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस आनंदशाला के माध्यम से निरंतर शिक्षकों के साथ संवाद कर उन्हें राष्ट्र निर्माण के लिए जीवन का काम हो रहा है। सभी शिक्षकों के हृदय में आनंद, प्रेरणा तथा आत्म एवं राष्ट्र गौरव के संचार के धन्यवाद ज्ञापन के पश्चात आनंदशाला का समापन हुआ।