सुप्रीम कोर्ट ने नारद स्टिंग केस में हाईकोर्ट के निर्णय पर सुनवाई से किया इंकार

Update: 2021-05-25 12:05 GMT

नईदिल्ली।  सुप्रीम कोर्ट ने नारद स्टिंग केस में गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं को हाउस अरेस्ट में भेजे जाने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सीबीआई की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। सीबीआई ने कोर्ट से याचिका वापस ले ली है। जस्टिस विनीत सरन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच जजों की बेंच इस मामले को देख रही है। सीबीआई और दूसरे पक्ष हाईकोर्ट के सामने अपनी बात रखें।

सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकारी वकील को कोर्ट जाने तक से रोका गया ताकि वह जमानत का विरोध नहीं कर सके। तब कोर्ट ने पूछा कि आप क्या चाहते हैं। मेहता ने कहा कि हम पूरा मामला हाईकोर्ट में सुने जाने और 17 मई को ट्रायल कोर्ट की ओर से हुई कार्रवाई को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। मेहता ने कहा कि सीबीआई दफ्तर को हजारों लोगों ने घेरा, पथराव हुआ। आखिर आरोपितों को ट्रायल कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेश करने के लिए सीबीआई को हाईकोर्ट में अर्जी दायर करनी पड़ी। तब कोर्ट ने कहा कि हमने पूरी फाइल पढ़ी है, आप आगे बोलें।

सुप्रीम कोर्ट  देखें पूरा मामला -  

मेहता ने कहा कि राज्य के कानून मंत्री तक पूरे दिन कोर्ट परिसर में बैठे रहे। वहां पूरी तरह अराजकता थी। पश्चिम बंगाल में ऐसा लगातार हो रहा है। मामला किसी आरोपित की जमानत का नहीं है। उन्हें हाउस अरेस्ट में रहने दीजिए लेकिन पहले सुप्रीम कोर्ट पूरा मामला देखे। तब कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट पहले से विशेष बेंच बना कर मामले को देख रहा है। तब मेहता ने कहा कि आपने शायद पूरी फाइल नहीं देखी है। स्थिति असामान्य है। तब कोर्ट ने कहा कि हमने कल रात नौ बजे तक फाइल पढ़ी। ऐसा नहीं है कि हम मुख्यमंत्री या कानून मंत्री के व्यवहार का समर्थन कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने पांच जजों की बेंच बनाई है, उन्हें पहले तय करने दीजिए। तब मेहता ने कहा कि बात जजों की संख्या की नहीं है। इस केस को राज्य के बाहर ट्रांसफर करने की जरूरत पड़ सकती है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ही सुनवाई करे।

कोर्ट पर दबाव नहीं बनाया जा सकता - 

इस पर कोर्ट ने कहा कि हमें नहीं लगता कि भीड़ जुटा कर किसी कोर्ट पर दबाव बनाया जा सकता है। अगर हम ऐसा मान लें तो यह ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट को हतोत्साहित करेगा। आप चाहें तो अभी अपना केस वापस लेकर हाईकोर्ट में अपनी बात रख सकते हैं। उसके बाद कोर्ट ने सीबीआई को अपनी याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी।

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