नई दिल्ली। जाने-माने वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने 2020 के भारत की एक परिकल्पना की। इसी पर सरकार ने भी विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया। इसमें खींची तस्वीर को साकार करते हुए भारत दो दशक में कई उपलब्धियां हासिल कर चुका है। पर नवोन्मेष के जरिये नई प्रौद्योगिकी ईजाद करने में बड़ा मुकाम हासिल करना बाकी है।
-5जी से निर्यात सौ अरब डॉलर बढ़ सकता है पर नियामकीय मंजूरी, स्पेक्ट्रम, लागत और बुनियादी ढांचे की जरूरतों पर फैसला नहीं हो सका है। ऐसे में भारत में 2024-25 के पहले 5जी की संभावना नहीं है।
-2020 में मिशन गगनयान की शुरुआत होनी है, जो 2022 में तीन यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने के साथ पूरा होगा। लेकिन महज 10 हजार करोड़ का बजट नाकाफी है। बजट की कमी से सूर्य मिशन आदित्य-एल1 भी लटक सकता है।
-पेटेंट में देरी अमेरिका में 2017 में छह लाख और चीन में 13 लाख पेटेंट हुए। भारत में यह संख्या मात्र 46 हजार ही रही। भारत में पेटेंट की मंजूरी में 64 माह का समय लगता है जबकि चीन-अमेरिका में यह अवधि 24 माह ही है।
-गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी विदेशी कंपनियां आईआईटी से हजारों छात्रों को करोड़ों का ऑफर देकर चुनती हैं। ऐसा प्रतिभा पलायन रोकना बड़ी चुनौती है।
-चीन, यूरोप, अमेरिका में शोध एवं विकास पर खर्च जीडीपी का दो से तीन फीसदी जबकि यहां 0.7%। नवोन्मेष को प्रोत्साहन के लिए दो फीसदी जरूरी।
-2019 में 400 करोड़ से नेशनल रिसर्च फाउंडेशन का ऐलान, लेकिन देश के करीब 70 शीर्ष शोध संस्थानों में वैज्ञानिकों के 32 से ज्यादा पद खाली पड़े हैं।