UP पुलिस सत्ता का आनंद ले रही: सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा - संवेदनशीलता जरूरी
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक मामले से निपटने के तरीके पर कड़ी असहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने आज (28 नवंबर) टिप्पणी की कि, उत्तर प्रदेश में पुलिस "सत्ता का आनंद ले रही है" और "उसे संवेदनशील बनाने की जरूरत है।"
सुप्रीम सपोर्ट के न्यायाधीश ने आगे टिप्पणी की कि ऐसा लगता है कि राज्य पुलिस "एक खतरनाक क्षेत्र में प्रवेश कर रही है और चेतावनी दी कि अगर अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता को छुआ गया तो एक कठोर आदेश पारित किया जाएगा। जस्टिस कांत और उज्जल भुइयां की पीठ ने मामले की सुनवाई की और कहा कि याचिकाकर्ता, जिसके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई थीं, को यह डर लग रहा था कि अगर वह जांच के लिए पेश हुआ तो उसके खिलाफ एक नया मामला दर्ज किया जाएगा।
इससे पहले, अदालत ने एफआईआर (आईपीसी की धारा 323, 386, 447, 504 और 506 के तहत) को रद्द करने के संबंध में याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। हालांकि, याचिकाकर्ता अनुराग दुबे के खिलाफ दर्ज अन्य मामलों और आरोपों की प्रकृति को देखते हुए, यूपी सरकार को नोटिस जारी किया गया था कि अग्रिम जमानत क्यों न दी जाए। अदालत ने संबंधित एफआईआर में याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।अदालत ने शर्त रखी है कि याचिकाकर्ता जांच में शामिल हो और सहयोग करे।
बता दें कि, अनुराग दुबे के खिलाफ बीएनएस की धारा 84 के तहत मामला दर्ज किया गया है। अनुराग दुबे के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और मारपीट का भी केस है। अनुराग का भाई अनुपम मथुरा जेल में बंद है। अनुपम बसपा नेता हैं। दोनों भाइयों के खिलाफ कई मामलों में जांच चल रही है। गैंग चलाने के साथ - साथ ये अवैध हथियार का धंधा भी करते हैं।