ऐंती शनिश्चरा को हैं पृथ्वी पर शनिदेव के पहले मंदिर की मान्यता

शनिश्चरा धाम जहाँ शनि दिलाते हैं न्याय

Update: 2020-01-09 14:45 GMT

वेब/डेस्क। कर्म और न्याय के देवता के रूप में पूजें जाने वाले शनिदेव के देश में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। जहाँ शनि देव की पूजा अर्चना करने से विशेष लाभ भी मिलते हैं। शनिदेव जो कि भगवान सूर्य और छाया के पुत्र हैं। शनि वैसे तो लोगों के कर्मों के अनुसार दंड देते हैं, लेकिन भारत में उनके कुछ विशेष मंदिर हैं।  जहाँ दर्शन मात्र से शनिदेव प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। ऐसे ही मध्यप्रदेश मुरैना जिले के अंतर्गत आने वाले ऐंती गांव में त्रेताकालीन सुप्रसिद्ध शनि मंदिर हैं। शास्त्रों के अनुसार पृथ्वी पर भगवान शनिदेव का यह पहला मंदिर है। जिसके कारण भी पूरे भारत वर्ष में काफी प्रसिद्ध है। ऐंती गांव में बने इस मंदिर का विशेष महत्व हैं। बताया जाता हैं की यहाँ हनुमान जी रावण को कैद से छुड़वा कर शनि देव को यहाँ लेकर यहाँ लाये थे। माना जाता हैं की शनि देव आज भी अमर रूप से शनि देव विराजित हैं।    

हनुमान जी ने लंका से फेंका था, यहाँ आकर गिरे थे शनिदेव 

पौराणिक कथाओ के अनुसार कहा जाता हैं की जब हनुमान जी माता सीता की खोज करने के लिए रावण की नगरी लंका पहुंचे तो उन्होंने देखा की रावण ने सभी देवताओ के साथ शनि देव को भी कैद कर रखा हैं।  अपने गुरु पुत्र को कष्ट में देख वह दुखी हो गए, शनि देव द्वारा कैद से छुड़ाने का आग्रह करते ही हनुमान जी ने उन्हें कैद से आजाद कर दिया। लंबे समय तक रावण की कैद कैद में रहने के कारण शनि देव काफी कमजोर हो गए थे।  इसलिए उन्होंने हनुमान से कहा की हे हनुमान मुझे किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दो।  जहाँ रावण और उसकी सेना का कोई अन्य सिपाही नहीं पहुँच पाए।  शनि देव की बात सुनकर हनुमान जी ने उन्हें अपनी भुजाओ से उठाकर उत्तर दिशा में फेंका। जिसके बाद वह यहाँ बने पर्वत पर आकर गिरे थे। जिस स्थान पर गिरे उसी स्थान मंदिर हैं। शनि देव रावण की कैद से मुक्त होकर उसकी कुंडली में मारकेश में बैठे जिसके कारण उसकी लंका तो जली ही साथ ही उसके पूरे परिवार का भी अंत हो गया।       

जिस स्थान पर शनि देव गिरे, वहां है एक गड्डा

हनुमान जी द्वारा फेके जाने के बाद शनि देव यहाँ जिस स्थान पर गिरे  ठीक उसी स्थान पर एक बड़ा सा गड्डा हो गया था।  मंदिर परिसर में यह गड्डा आज भी मौजूद हैं।वर्तमान में यह गड्डा  रूप में विध्यमान हैं, जिसमें जल भरा हुआ हैं। प्रत्येक शनिवार एवं शनिश्चरी अमावस्या पर लगने वाले मेले के समय यहाँ आने वाले श्रद्धालु इस कुंड में स्नान करते हैं एवं बाल मुंडवाते हैं। 

शिंगणापुर शनि धाम से हैं कनेक्शन, जयंती पर लगता है मेला   

 जानकार बताते हैं की इस शनि मंदिर से एक शिला महाराष्ट्र के शिंगणापुर में ले जाकर स्थापित की गई थी। शनि देव की कृपा एवं महिमा को देखते हुए यहाँ हर वर्ष शनि जयंती पर विशाल मेला लगता है, जिसमें लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ती है। हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनि जयंती के अवसर पर लगने वाले मेले में देश भर से यहाँ भक्त अपनी मुराद लेकर पहुँचते हैं और शनि देव उनकी हर मुराद पूरी करते हैं।

हनुमान जी सहित कई देवताओ की होती है पूजा  

शनिश्चरा धाम पर शनि देव के साथ साथ हनुमान जी का भी मंदिर हैं। ऐसा माना जाता हैं की जिन लोगो पर शनि की साढ़ेसाती का प्रकोप होता हैं, यदि वह यहाँ आकर हनुमान जी से प्रार्थना  करते है तो उन पर शनि कृपा दृष्टि  करते हैं।  हनुमान जी के अलावा यहाँ माँ दुर्गा, गणेशजी भगवान शिव का भी पूजा होती हैं।  

शनि दिलाते है न्याय 

न्याय के देवता कहे जाने वाले शनिदेव से यहाँ लोग न्यायालीन प्रकरणों में न्याय दिलाने के लिए देते है एप्लिकेशन ।ऐसा माना जाता हैं की जिन लोगो के खिलाफ न्यायलय में यदि किसी झूठे प्रकरण में कोई केस चल रहा हो और वह शनिदेव को पत्र लिखकर न्याय दिलाने की अर्जी लगाए तो शनिदेव उसे कोर्टकेस में न्याय दिलाते हैं।   

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