आज नवरात्र की अष्टमी है और आज के दिन कैलाश से उतरकर मां के घर पहुंचीं दुर्गा के महागौरी रूप की आराधना होती है। मां दुर्गा की आराधना करने वाली बंगाल की भूमि पर अष्टमी का दिन का बेहद खास महत्व वाला है। महागौरी के पूजन से धन-धान्य, सुख समृद्धि और अभय का वरदान मिलने की मान्यता है।
हिंदू परंपरा के मुताबिक नवरात्र की अष्टमी के दिन मां को पूजा कर धन-धान्य, वैभव और सुख समृद्धि की कामना होती है। दुर्गा की आराधना में अष्टमी के इस पर्व का बेहद महत्व है। माना जाता है कि पुष्प अर्पित करना शक्ति देवी को बेहद पसंद है। इसी वजह से कई क्षेत्रों में अष्टमी के दिन ही दुर्गा पूजा की पूर्णाहुति हो जाती है। बंगाल में इस दिन जो पुष्पांजलि दी जाती है उसका भी बेहद खास महत्व है। ऐसी रीति रही है कि कैलाश छोड़कर मां के घर धरती पर उतरीं दुर्गा इस दिन भक्तों की आराधना से प्रसन्न होकर उनकी सभी इच्छाओं को पूर्ण करती हैं।
इस बार महामारी की लहर होने के बावजूद हाई कोर्ट ने पूजा पंडालों में केवल दो दिन अष्टमी और नवमी को ही प्रवेश की अनुमति दी है। दुर्गा पूजा के बड़े आयोजकों को अधिक से अधिक 60 लोगों को और छोटे आयोजकों को अधिकतम 15 लोगों को दुर्गा पूजा पंडाल में पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए प्रवेश की अनुमति दी गई है। हाई कोर्ट के मुताबिक पंडाल में प्रवेश करने वालों को वैक्सीन की दोनों डोज लेने की शर्त रखी गई है। ऐसे लोगों की सूची बनाकर स्थानीय थाने में जमा करा दी गई है और केवल वही लोग आज पंडालों में आकर पुष्पांजलि अर्पित कर रहे हैं। इस दौरान शारीरिक दूरी का पालन सुनिश्चित करने के लिए कोलकाता पुलिस ने पहले ही निर्देशिका जारी कर दी है, जिसमें सभी से घर से पुष्प, अक्षत, मिष्ठान और अन्य भोग लेकर आने का अनुरोध किया गया था। उसी मुताबिक बुधवार को सुबह से ही मां की आराधना, शंखों की गूंज और वातावरण में घुली पूजा की खुशबू के बीच लोग दुर्गापूजा पंडालों में पहुंच रहे हैं। हालांकि कई जगहों पर लोगों को प्रवेश की अनुमति नहीं होने के बावजूद उनके भोग को लेकर मां पर अर्पित किया जा रहा है, जिसे प्रसाद के तौर पर उन्हें वापस भी मिल रहा है।