यह खीर करेगी औषधि का काम, जिससे होगा रोगों का विनाश

-16 कलाओं से परिपूर्ण चांद शरद पूर्णिमा को करेगा पृथ्वी पर अमृत वर्षा -13 अक्टूबर को मनाई जाएगी शरद पूर्णिमा

Update: 2019-10-10 08:57 GMT

ग्वालियर। शरद पूर्णिमा 13 अक्टूबर को मनाई जाएगी। और इसी दिन 16 कलाओं से परिपूर्ण चांद पृथ्वी पर अमृत वर्षा करेगा। इस दिन छत पर खीर बनाकर उसे रात भर रखने का विधान है। सुबह इस खीर को खाया जाता है। माना जाता है कि गाय के दूध से बनी खीर को रातभर चांद की रोशनी में रखने से यह औषधीय रूप ले लेती है। इसके साथ ही कार्तिक स्नान का प्रारंभ भी शरदपूर्णिमा से ही होगा। माताएं अपनी संतान की मंगल कामना के लिए देवताओं की पूजा करती हैं।

ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश सोनी के अनुसार, अश्विन शुक्लपक्ष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत की वर्षा करता है। क्योंकि इसी दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है। चंदमा के पास आने से पृथ्वी पर उसकी पूरी रोशनी पड़ती है। इस दिन लोग गाय के दूध से चावल की खीर बनाकर उसे छत पर छलनी से ढक कर रख देते हैं। रात भर यह खीर चांद की रोशनी में रहकर औषधि का रूप ले लेती है। दूसरे दिन सुबह इस खीर का सेवन किया जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन विभिन्न मंदिरों में खीर बनाकर उसका प्रसाद भक्तों में बांटा जाएगा। साथ ही अधिकांश मंदिरों में भगवान की विशेष पूजा अर्चना भी की जाएगी।

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