Chhath Puja 2024: उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ होगा छठ पर्व का समापन, जानिए महत्व और शुभ मुहूर्त

चार दिनों के छठ पर्व का दौर चल रहा है इसमें नहाय - खाय के साथ शुरू हुए इस पर्व का अंतिम दिन 8 नवम्बर को सुबह ऊषा अर्घ्य के साथ होगा।

Update: 2024-11-07 16:35 GMT

Chhath Puja 2024: हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का काफी महत्व होता है चार दिनों के छठ पर्व का दौर चल रहा है इसमें नहाय - खाय के साथ शुरू हुए इस पर्व का अंतिम दिन 8 नवम्बर को सुबह ऊषा अर्घ्य के साथ होगा। इस दिन सुबह उगते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। 36 घंटों के इस कठिन व्रत का समापन कल होने वाला है। छठ व्रत पूजा में छठ मैया और भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती है।

जानिए चौथे दिन का अर्घ्य देने का महत्व और मुहूर्त

यहां पर छठ पर्व के अंतिम दिन ऊषा कल का अर्घ्य देने का नियम होता हैं। छठ महापर्व के चौथे और आखिरी दिन उगते हुए सूर्य देव की पूजा अर्चना की जाती है और अर्घ्य दिया जाता है, इसके साथ ही व्रती महिलाएं अपने छठ व्रत का पारण करती हैं। यहां पर इस व्रत पूजा के शुभ मुहूर्त की बात की जाए तो, सुबह 6 बजकर 38 मिनट पर होगा. ऐसे में उषाकाल अर्घ्य सुबह 6:38 बजे दिया जाएगा।

छठ का प्रसाद ग्रहण करने के साथ व्रत का पारण भी इस दिन माना जाता हैं। यहां उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर भक्तजन सूर्य देवता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करते हैं।

जानें कैसे होती हैं अंतिम दिन की पूजा 

यहां पर अंतिम दिन की पूजा उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने से जुड़ी होती है इस दौरान पूजा करने के अलग नियम और विधि होती हैं जो इस प्रकार हैं...

1- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

2- पूजा की थाली में एक लोहे का कटोरा, दूध, गंगा जल, हल्दी, सुपारी, अक्षत, फूल, दीपक और अगरबत्ती रखें।

3- फिर जिस जगह से व्रती सूर्य को अर्घ्य देंगे उस पूजा स्थल को साफ-सुथरा करके फूलों से सजाएं, पूजा स्थल पर बैठकर सूर्य देव और छठी मैया को प्रणाम करें ।

4-ओम आदित्याय नमः, ओम छठी मैया नमः मंत्रों का जाप करें. दूध, गंगा जल और अन्य सामग्री को कटोरे में मिलाकर सूर्य देव को अर्घ दें। 

5- अर्घ देते समय मन में सूर्य देव से अपने परिवार की सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करें। अर्घ देने के बाद सूर्य देव को प्रणाम करें और उनसे अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें। छठी मैया को भी प्रणाम करें और उनकी कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना करें।

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