तुष्टिकरण पार्टी के 52 वर्षीय राष्ट्रीय नेता ने 145 दिन में 4000 किमी की सैर कर भारत जोड़ने के स्थान पर धर्म, और जातियों में वैमनस्यता डालने का प्रयास किया। इसके विपरित 26 साल के युवा संत ने व्यास गादी पर बैठे बैठे 145 मिनिट में पूरे भारत के सनातनी हिंदुओं को एक कर दिया। यह चमत्कार नहीं तो और क्या है।
दरअसल, रॉकेट साइंस और चमत्कार दो अलग अलग विषय हैं। साइंस एक ज्ञात ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन और प्रयोग से मिलती है। जबकि चमत्कार" कोई भी ऐसी आकस्मिक अप्रत्याशित घटित घटना है जो भौतिक सांसारिक वैज्ञानिक नियमों के आधार पर अविश्वसनीय प्रतीत होती है।
इस देश में हिंदुओं का संगठन करना एक विलक्षण और चमत्कारिक घटना ही है। हिंदू कई मत, संप्रदाय, जाति, वर्ण, क्षेत्र, स्तर और मान्यताओं के आधार पर असंगठित रहे हैं। यदि सनातनी हिंदू संगठित होता तो भारत वर्ष को शक, हूण, अफगान, यवन, अंग्रेज और 1947 के बाद सनातन धर्म विरोधी मानसिकता से पीड़ित दलों और मैकाले के मानस पुत्रों की मानसिक गुलामी कभी सहना ही नहीं पड़ती। आज सनातनी हिंदू जिस उत्साह और शौर्य के साथ अपने अस्तित्व पर किए जाने वाले प्रहारों का प्रतिकार करने लगा है, ये एक असाधारण बदलाव है। सर्वप्रथम देश में एक मात्र संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने ही हिंदुओं को राष्ट्रीयता से जोड़कर हिंदू संगठन का कार्य वर्ष 1925 से प्रारंभ किया था और तब ईसाई मुस्लिम तुष्टिकरण में अपना राजनैतिक अस्तित्व तलाशने वाली सभी ताकतें संघ के विरोध में खड़ी थीं। तब संघ के कार्यकर्ता को प्रताड़ना झेलना पड़ती थी।
क्या आज के युवा कल्पना कर सकते हैं कि हिंदुओं के देश में ही हिंदू हित, राष्ट्रहित और हिंदू का संगठन करने वाले संघ पर यहां की सरकारों ने तीन बार प्रतिबंध लगाया था। पहला 1948 में गांधी वध के बाद। दूसरी बार 1975 में आपातकाल का विरोध करने पर, और तीसरी बार 1992 में हमारे आराध्य प्रभु श्री राम की जन्मभूमि पर बने हमारे मंदिर को तोड़कर खड़े किए गए देश के राष्ट्रीय कलंक बाबर के ढांचे को जमींदोज करने पर।
आजादी के बाद हिंदुओं को प्रताड़ित करने वाले ये लोग आखिर कौन थे? इन्हीं सनातन धर्म विरोधी राजनीतिक दलों के मुखिया ही थे जो आज धर्म की ध्वजा लेकर चल रहे संगठनों, व्यक्तियों और राजनैतिक दल के विरुद्ध एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं और श्याम मानव जैसे लोगों को आगे रखकर सनातन धर्म को चुनौतियां दिला रहे हैं। इन सनातन धर्म विरोधी दलों ने सनातन धर्म और भारत के विरोध में उठने वाली हर आवाज का न केवल समर्थन किया है बल्कि उन्हें पुरस्कृत भी किया है। ताजा उदाहरण टुकड़े गैंग के लीडर्स का अब देश के एक राजनेतिक दल का नेता होना है। इसी तरह शाहीन बाग से निकले देश विरोधी भी किसी न किसी दल में चांदी काट रहे हैं। तो ये है हिंदुओं के परिप्रेक्ष्य में इस देश की सूरत।
रविवार को गुना में निकली सनातनी हिंदुओं की विराट रैली ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब हिंदू को दबाना आसन नहीं होगा। हजारों की संख्या में रैली में शामिल हुए नर नारियों में 4 साल के बच्चे से लेकर 75 साल के वृद्ध भी धर्म पताका लिए चल रहे थे। युवाओं में गजब का अनुशासन था, माथे पर तिलक लगाए सैंकडों युवा रैली की व्यवस्था बना रहे थे। और सबसे बड़ी बात कि आयोजक मंडल के सदस्य इस विराट प्रदर्शन में कहीं भी आगे नहीं दिख रहे थे। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे हजारों की भीड़ एक सूचना पर एकमत होकर अपने धर्म और आस्था पर किए जा रहे प्रहारों का मुंहतोड़ जबाव देने के लिए स्वत: आंदोलित है, बस उन्हें अपने भीतर धधक रही ज्वाला के प्रकटीकरण का स्थान चाहिए।
रैली को देखकर प्रतीत हुआ कि सनातन धर्म में ही वह शक्ति है जो कई तरह से बंटे हिंदुओं को एकजुट रख सकती है। इसलिए इस देश की रक्षा और हिंदुओं के अस्तित्व की सुरक्षा के लिए हर हिंदू का यह कर्तव्य है कि वह अपने सनातन धर्म, संस्कृति, संतों, संगठनों और सभ्यता की रक्षा एक सैनिक की भांति करता रहे।
जय जय भारत