महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में जनता का स्पष्ट संदेश
लेखक - शिवप्रकाश ,राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री भाजपा
लोकसभा 2024 के हुए चुनावों के परिणाम के आधार पर महाविकास अघाडी विधानसभा के परिणाम को भी अपने पक्ष में मान रही थी। लोकसभा में महाविकास अघाड़ी को 30 सीटें एवं विधानसभा की 151 सीटों पर बढ़त मिली थी। महायुती के समर्थन में आया यह जनादेश महाराष्ट्र की भविष्य की राजनीति को लम्बे समय तक प्रभावित करेगा। साथ ही देश की जनता को भी अनेक प्रकार की सीख देने वाला बनेगा।
महायुती गठबंधन की प्रचंड बहुमत के साथ कर गढ़ने का प्रयास करते रहे हैं। समर्थ स्वामी रामदास महाराज, दादाजी कोंडदेव की शिवाजी महाराज के जीवन में कोई भूमिका नहीं है, यह सिद्धांत भी स्थापित करने का प्रयास होता ही रहा है। वीर सावरकर की देशभक्ति पर प्रश्न खड़े करना जैसे एक परंपरा ही बन गई है। महापुरुषों को जाति के चश्में से देखना और इसी आधार पर जातिगत भेद खड़ा कर वोट प्राप्त करना यही राजनीतिक कुशलता का उदहारण बन गया है। महाराष्ट्र की जनता ने इसी विद्वेषपूर्ण का का स्पष्ट संदेश हाथ में संविधान के नाम पर रिक्त पुस्तक लेकर संविधान बचाओं का तथ्यहीन विमर्श खड़ा करने का प्रयास कांग्रेस सहित इंडी गठबंधन ने किया।
भाजपा के आने से संविधान एवं आरक्षण समाप्त होगा ऐसा भय का वातावरण लगातार बनाने का प्रयास विपक्ष करता रहा। लोकसभा चुनाव में कुछ राज्यों में उसे आंशिक सफलता भी मिलती दिखाई दी। जो स्वयं चुनी हुई सरकारों को भंग कर संविधान गला घोंट चुके हों, जिनको बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा में लोकतंत्र दिखाई देता हो, जिन्होंने बाबासाहेब आंबेडकर को चुनाव न जीतने दिया हो, जिनकी एकाधिकारवादी मानसिकता से बाबासाहेब पर जीत हुई। महायुती गठबंधन को 49.8 प्रतिशत मत एवं 234 सीटें प्राप्त हुई। गठबंधन में भी भारतीय जनता पार्टी ने 148 सीटें लड़कर उसमें से 132 सीटें प्राप्त कीं। जो 90 प्रतिशत स्ट्राइक रेट को दर्शाती है।
भारतीय जनता पार्टी की भी अभी तक की ये सबसे बड़ी सफलता है । इसी अप्रत्याशित सफलता के कारण महाराष्ट्र के लोकप्रिय नेता देवेन्द्र फडनवीस मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुँच पाये। महाविकास अघाड़ी को 30 सीटें एवं विधानसभा की 151 सीटों पर बढ़त मिली थी। महायुती के समर्थन में आया यह जनादेश महाराष्ट्र की भविष्य की राजनीति को लम्बे समय तक प्रभावित करेगा। साथ ही देश की जनता को भी अनेक प्रकार की सीख देने वाला बनेगा। महाराष्ट्र देश का ऐसा राज्य है जिसने समाज में चलने वाली अनेक विषमतायुक्त कुरीतियों को तोड़कर समरसतायुक्त समाज के निर्माण में अहम् भूमिका निभाई है। समाज में अलग-अलग प्रकार से भक्ति की धारा बहाने वाले संतों की भूमि महाराष्ट्र है। मुगलों की सत्ता को धूल चटाने वाले हिन्दवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज ने महाराष्ट्र से ही सम्पूर्ण देश को स्वराज एवं स्वधर्म के संरक्षण की प्रेरणा दी।
समरस समाज निर्माण के आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले, महिला शिक्षा को समर्पित सावित्रीबाई फुले व छत्रपति शाहू जी महाराज की कर्मभूमि भी यही प्रदेश है। दलितोद्धार के महानायक भारतरत्न डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर की प्रारम्भिक कर्मभूमि भी महाराष्ट्र ही है। देश के स्वतंत्रता आन्दोलन में क्रांतिकारी एवं अहिंसावादी दोनों ही माध्यमो से अपना योगदान देने वाले महापुरुषों की भूमि यह प्रदेश है। महानतम क्रांतिकारी वीर सावरकर एवं लोकमान्य तिलक ने महाराष्ट्र ही नहीं अपितु सम्पूर्ण देश के युवाओं को प्रेरित करने का काम किया है। इन समस्त महापुरुषों की प्रेरणा अपने में समाहित किए, देशभक्ति जागरण एवं हिंदुत्व के संस्कारों का पुंज बनें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का जन्मस्थान नागपुर भी इसी प्रदेश में है, जो सज्जनशक्ति की आस्था का केंद्र बनकर अपने देश ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व को आलोकित कर रहा है।
महाराष्ट्र के कुछ सत्तालोलुप नेता इन सभी महापुरुषों को नकारने का कार्य सदैव से कर रहे हैं। अपने को जातिगत राजनीति का केंद्र बिंदु मानने वाले लोग छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़े महापुरुषों के अस्तित्व को ही नकारने का काम करते रहे। इतिहास की पुस्तकों में शिवाजी महाराज को लुटेरा कहने जैसे सिद्धांत पुस्तकों में प्रकाशित को मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देना पड़ा हो, जिन्होंने बाबा साहेब को उचित सम्मान न दिया हो, ऐसे लोगों को महाराष्ट्र की जनता ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 54 में से 42 सीटों को महायुती को सौंपकर इस झूठे तथ्यहीन विमर्श को महाराष्ट्र की जनता का सटीक उत्तर है। स्वयं सत्ता में रहते हुए जिन्होंने मराठा समाज के विकास के लिए कोई नीति न बनायी हो वे भाजपा मानसिकता को नकार कर सभी के प्रति समान आदर रखने की सरकार आने पर समाज को विभाजन की राह पर ले वालों को समर्थन दिया है।
देश में विकास एवं विरासत को समानभाव से स्थापित करने वाले प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को हराने के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में कुछ अतिवादी तत्व इंडी गठबंधन के समर्थन में खड़े हुए थे। उनकी यही मानसिकता वोट जिहाद के रूप में प्रकट हुई। महाराष्ट्र में धुले लोकसभा सहित देश की अनेक लोकसभा इसका उदाहरण हैं। धुले लोकसभा में भाजपा उम्मीदवार जहाँ पाँच विधानसभाओं लोकसभा में भाजपा उम्मीदवार जहाँ पाँच विधानसभाओं में 1,90,000 मतों से आगे थे वहीं वोट जिहाद के कारण मुस्लिम प्रभाव वाली मालेगांव सेंट्रल विधानसभा में 1,94,000 मतों से पीछे हुए। सभी क्षेत्रों का समान विकास केन्द्र एवम राज्य सरकार से सभी सुविधा प्राप्त करने के बाद भी वोट का यह पैटर्न न तो संविधान और न ही लोकतंत्र के लिए उचित है। यह मानसिकता लोकतंत्र को पंगु बनाने का कार्य करेगी।
इसी मानसिकता को महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फड़नवीस ने वोट जिहाद के विरुद्ध धर्मयुद्ध का नारा दिया था। वोट जिहादी मानसिकता के यही लोग मुंबई उत्तर मध्य लोकसभा में प्रत्याशी उज्जवल निकम को हराने एवं मराठा आरक्षण प्रत्याशी उज्जवल निकम को हराने एवं मराठा आरक्षण आन्दोलन में उभरे नेताओं के साथ मिलकर भाजपा को हराने की बात कर रहे थे। अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपकर महाविकास अघाड़ी से वोटों का सौदा कर रहे थे, जिसमें 2012 जैसे दंगों में शामिल जेलों में बंद गुंडों को छुड़ाने, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे राष्ट्रवादी संगठन पर प्रतिबंध लगाने जैसी मांगे सम्मिलित थीं। वोट जिहाद से चुनाव जीतकर सत्ता में पहुँचने वाले ये लोग बांग्लादेश में होने वाले हिन्दू नरसंहार पर चुप रहते हैं। महाराष्ट्र की जनता का वाले हिन्दू नरसंहार पर चुप रहते हैं।
महाराष्ट्र की जनता का महायुती के पक्ष में वोट उनको प्रत्युत्तर है। जाकर आन्दोलन खड़ा करना एवं परदे के पीछे से उसका समर्थन कर समाज को लड़ाने का प्रयास करें ऐसी सभी शक्तियों को मराठा समाज के प्रभाव वाली अधिकाँश सीटें महायुती को सौंपकर महाराष्ट्र की जनता ने उत्तर देने का कार्य किया है। देशविघातक यह शक्तियां महाराष्ट्र में विषबीज बोकर समाज में घृणा फैलाने का कार्य लम्बे समय से कर रहीं थी। भीमा कोरेगांव के पीछे अर्बन नक्सल जैसे तत्वों की भूमिका सर्वविदित है।
सवर्ण दलित संघर्ष कराना ही इनका उद्देश्य था। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मुस्लिम सेवक संघ द्वारा समन्वित सैंकड़ों एनजीओ इस चुनाव में महायुती को हराने का प्रयास कर रहें थे। विदेशी सहायता प्राप्त अनेकों समूह ऐवम व्यक्ति महायुती की पराजय के स्वप्न संजोकर महाराष्ट्र में सक्रिय थे। महायुती की यह विजय सभी के लिए सटीक जवाब है। जिनके भाषणों में महाराष्ट्र के विकास का कोई चित्र नहीं था, जो नकारात्मकता के आधार पर विष वमन करके तथ्यहीन भ्रम फैलाकर महाराष्ट्र की विजय के स्वप्न देख रहे थे। और अब हारने के बाद सदैव की भाँति ईवीएम पर अपनी हार का ठीकरा फोड़ रहें हैं। यह जनादेश उन सभी नकारात्मक शक्तियों पर सकारात्मकता की विजय है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में डबल इंजन के साथ महाराष्ट्र के विकास को प्रतिबद्ध ऐसे कसौटी पर कसे नेतृत्व के प्रति जनता का विश्वास, महायुती का समन्वित प्रयास, सज्जन शक्तियों के सहयोग, भाजपा एवं महायुती के असंख्य कार्यकर्ताओं के अथक परिश्रम से ये विजय प्राप्त हुई है। महाराष्ट्र की जनता ने विकास, सुरक्षा एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को चुना।