व्हाइट हाउस तक गूंजा तबले का जादू: उस्ताद जाकिर हुसैन को अमेरिका ने भी किया था अलंकृत, यहां जानें उनकी प्रेरणादायक यात्रा…

व्हाइट हाउस से आमंत्रित होने वाले पहले भारतीय संगीतज्ञ थे जाकिर, तबले से लेकर ग्लोबल पहचान तक का सफर…

Update: 2024-12-16 07:49 GMT

उस्ताद जाकिर हुसैन का सम्मान दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका भी करता था। 2016 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में भाग लेने के लिए व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था।

जाकिर हुसैन पहले भारतीय संगीतज्ञ थे, जिन्हें यह आमंत्रण मिला था। जाकिर तबला वादक के रूप में दुनिया भर में मशहूर थे। 73 वर्षीय जाकिर हुसैन तीन ग्रैमी अवॉर्ड जीत चुके थे। उस्ताद जाकिर हुसैन को 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से नवाजा गया था। उन्होंने 12 फिल्मों में भी काम किया था। 9 मार्च 1951 को जन्मे जाकिर ने शशि कपूर के साथ साल 1983 में आई ब्रिटिश फिल्म हीट एंड डस्ट में काम किया था।

यह उनकी बतौर अभिनेता पहली फिल्म थी। इसके अलावा वह साल 1998 में आई फिल्म साज में नजर आए। इसमें शबाना आजमी ने उनकी प्रेमिका का रोल निभाया था।

विरासत में मिली तबले की धुन

जाकिर हुसैन के पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी भी तबला वादक थे। जाकिर हुसैन ने पढ़ाई पूरी करने के बाद संगीत की दुनिया में आ गए। उनका रुझान बचपन से ही तबले की धुन की ओर हो गया था। जाकिर हुसैन ने 11 साल की उम्र में अमेरिका में अपना पहला कॉन्सर्ट करके सबको हैरान कर दिया था। उन्होंने 12 साल की उम्र से ही पिता के साथ कॉन्सर्ट में जाना शुरू कर दिया था।

जाकिर हुसैन की पत्नी और बेटियां

उस्ताद जाकिर हुसैन ने एंटोरिया मेनिकोला से शादी की थी, जो एक कथक नृत्यांगना और शिक्षक होने के साथ ही जाकिर की मैनेजर भी थीं। उनकी दो बेटियां अनीसा कुरैशी, इसाबेला कुरैशी हैं। जाकिर हुसैन का जन्म मुंबई में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से हुई थी। इसके अलावा उन्होंने ग्रेजुएशन मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से किया था। जाकिर हुसैन ने 1973 में पहला एल्बम लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड लॉन्च किया था।

उंगलियों से बर्तन पर भी निकाल लेते थेे धुन

उस्ताद जाकिर हुसैन के अंदर बचपन से ही धुन बजाने का हुनर था। वे कोई भी सपाट जगह देखकर उंगलियों से धुन बजाने लगते थे। यहां तक कि किचन में बर्तनों को भी नहीं छोड़ते थे। तवा, हांडी और थाली, जो भी मिलता उस पर हाथ फेरने लगते थे।

पैसों की कमी के चलते जनरल कोच में किया सफर

शुरुआती दिनों में उस्ताद जाकिर हुसैन ट्रेन में यात्रा करते थे। पैसों की कमी की वजह से जनरल कोच में चढ़ जाते थे। सीट न मिलने पर फर्श पर अखबार बिछाकर सो जाते थे। इस दौरान तबले पर किसी का पैर न लगे, इसलिए उसे अपनी गोद में लेकर सो जाते थे।

12 साल की उम्र में मिले 5 रुपए सबसे ज्यादा कीमती

जाकिर हुसैन 12 साल के थे तब अपने पिता के साथ एक कॉन्सर्ट में गए थे। परफॉर्मेंस खत्म होने के बाद जाकिर को 5 रुपए मिले थे। एक बार उन्होंने कहा था, मैंने अपने जीवन में बहुत पैसे कमाए, लेकिन वो 5 रुपए सबसे ज्यादा कीमती थे।उस्ताद जाकिर हुसैन जीवन के अंतिम समय में भी कॉन्सर्ट का हिस्सा बनते थे। देश-विदेश में उनके कार्यक्रम होते थे। 

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