स्‍वदेश विशेष: रजिया सुल्तान से रेखा गुप्ता तक दिल्ली पर राज करतीं महिला शासक…

Update: 2025-02-20 10:23 GMT

विवेक शुक्ला: रेखा गुप्ता ने गुरुवार को राजधानी के रामलीला मैदान पर जब दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, तब वहां से कुछ दूरी पर दिल्ली 6 की एक गली में सन्नाटा था। इसका नाम है बुलबुलीखाना। यहां चारों तरफ से घिरे हुए परिसर में चिर निद्रा में हैं रजिया सुल्तान।

यहां की हालत को देखकर समझ आता है कि इधर अब शायद ही कोई उस रजिया सुल्तान की कब्र पर फूल चढ़ाने आता हो जिसने 1236-1240 के बीच दिल्ली पर राज किया था। इधर लगे एक शिलापट्ट पर बताया गया है कि रजिया सुल्तान दिल्ली सल्तनत में ग़ुलाम वंश के प्रमुख शासक इल्तुतमिश की बेटी थीं।

इल्तुतमिश ने अपनी मृत्यु से पहले अपनी बेटी को अपना उतराधिकारी बनाया दिया था। उसे अपने किसी भी पुत्र में दिल्ली पर राज करने की कुव्वत नजर नहीं आती थी।

बहरहाल रजिया सुल्तान के राज के सात सौ साल से भी अधिक समय के बाद शीला दीक्षित 1998 में दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं। उन्होंने लगातार 15 सालों तक दिल्ली पर राज किया। इतने लंबे समय तक दिल्ली पर शायद ही किसी शासक ने लगातार राज किया हो।

अगर मुख्यमंत्री के रूप में शीला दीक्षित का कार्यकाल सबसे लंबा रहा तो सुषमा स्वराज का कार्यकाल दो महीने भी नहीं रहा। वो 12 अक्तूबर 1998 से लेकर 3 दिसंबर 1998 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही। जाहिर है कि इतने छोटे से कार्यकाल में वो कोई अहम कदम जनता के हित में नहीं ले सकी थीं।

भाजपा आला कमान ने साहिब सिंह वर्मा के स्थान पर सुषमा स्वराज को मुख्य मंत्री बनाया था। अब साहिब सिंह वर्मा के पुत्र प्रवेश साहिब सिंह वर्मा दिल्ली की कैबिनेट में आ गए हैं।

अगर आप दिल्ली की सियासत के गुजरे दौर के पन्ने खंगाले तो पता चलेगा कि डॉ. सुशीला नैयर को अज्ञात कारणों के चलते यहां के पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी से दूर रखा गया था। देश के पहले लोकसभा चुनाव के साथ ही दिल्ली विधान सभा का भी चुनाव 1952 में हुआ था। उसमें कांग्रेस को अभूतपूर्व विजय मिली।

सियासत और सार्वजनिक जीवन में कामकाज के लिहाज से डॉ. सुशीला नैयर के मुख्यमंत्री बनने की पूरी उम्मीद थी। पर दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री बनाए गए नांगलोई के विधायक चौधरी ब्रहम प्रकाश। उन्होंने डॉ. सुशीला नैयर को अपना स्वास्थ्य मंत्री बनाया। तब बहुत लोगों को हैरानी हुई थी कि डॉ. सुशीला नैयर को क्यों मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। वो देव नगर से विधान सभा के लिए निर्वाचित हुईं थीं।

डॉ. सुशीला नैयर गांधी जी की शिष्य होने के साथ-साथ उनकी निजी चिकित्सक भी थीं। वो गांधी जी के निजी सचिव प्यारे नैयर की छोटी बहन थीं। जब गांधी जी ने 12 से 18 जनवरी, 1948 को उपवास रखा तब डॉ. सुशीला नैयर उनके स्वास्थ्य पर नजर रख रही थीं। उन्होंने ही फरीदाबाद में ट्यूबरक्लोसिस सेनेटोरियम की स्थापना करवाई। उन्होंने देशभर में डॉक्टरों को ग्रामीण क्षेत्र में जाने को प्रेरित किया। उनकी शख्सियत बहुत शानदार थी। उन्होंने कभी किसी से शिकायत नहीं की कि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया।

खैर, अरविंद केजरीवाल के अचानक से इस्तीफा देने के बाद आतिशी पिछले साल 17 सितंबर को दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं।

अब रेखा गुप्ता दिल्ली की चौथी मुख्यमंत्री बनी हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी के दौलत राम कॉलेज की स्टूडेंट रही रेखा गुप्ता दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संघ की अध्यक्ष भी रही हैं। उन्हें अब दिल्ली के मसलों को हल करना होगा।

रेखा गुप्ता की पहली प्राथमिकता उस यमुना को स्वच्छ करना होना चाहिए जिसे दिल्ली सदियों से जमुना जी कहती है। उसके लिए यह पूजनीय है।

पुरानी दिल्ली वाले इसे प्यार से और सम्मानपूर्वक अब "जमुना जी" ही कहते हैं। दिल्ली के लिए, यमुना सिर्फ एक नदी ही नहीं है। इसके पानी में स्नान करना एक आशीर्वाद माना जाता है, मोक्ष की ओर एक कदम। जब दिल्ली अपनी चारदीवारी वाले शहर तक ही सीमित थी, तो जमुना जी जीवन रेखा थीं।

इसने पीने का पानी उपलब्ध कराया, अपने किनारों पर उगाई जाने वाली सब्जियों को पोषण दिया, पशुधन को पानी पिलाया, जीवंत तैराकी मेलों की मेजबानी की। दिल्ली की बुजुर्ग महिलाएं नियमित रूप से सुबह जल्दी जमुना जी जाती थीं, स्नान और ध्यान के लिए।

दिल्ली में एक लंबे अंतराल के बाद बीजेपी की सत्ता में वापसी के साथ, उसे यमुना को बचाने को प्राथमिकता देनी चाहिए।स्थिति गंभीर है। दिल्ली में वजीराबाद से ओखला बैराज तक यमुना नदी के प्रदूषण के कई कारण हैं, जो इसे मैली बनाते हैं। रेखा गुप्ता के सामने चुनौती बड़ी है। उन्हें अपने को साबित करना होगा। 

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