स्वदेश विशेष: पैसा बोलता है…गांधी परिवार के इर्दगिर्द एनजीओ का विदेशी जाल.....सिक्के की खनक पर नाचते आन्दोलनजीवी
डॉ अजय खेमरिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने खुलासा किया है कि पिछले लोकसभा चुनाव में यूएसएड द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर करने के लिए भारत में 182 करोड़ रुपए खर्च किये गए।इस खुलासे के बाद देश में एक बार फिर विदेशी हस्तक्षेप और भारत में सक्रिय उस इकोसिस्टम पर चर्चा छिड़ी हुई है जो भारत विरोधी वैश्विक तन्त्र के लिए स्लीपर सेल के रूप में काम कर रहा हैं।पिछले अंक में हमने यह जानने की कोशिश की थी कि कैसे कुछ भारतीय मीडिया आउटलेटस के जरिये मोदी सरकार के विरुद्ध दुष्प्रचार को सफलतापूर्वक खड़ा कर चुनावों को प्रभावित किया गया।
आज हम इसी कड़ी में यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि विदेशी इशारों पर ऐसे कौन से एनजीओ और थिंक टैंक है जो डोनाल्ड ट्रम्प के अनुसार मोदी सरकार को अपदस्थ तो करना ही चाहते थे साथ ही लंबे समय से डीप स्टेट के एजेंडे पर समाजसेवा के नाम पर काम कर रहे हैं।हम यहां स्पष्ट करना चाहते हैं कि डीप स्टेट इकोसिस्टम के लाभार्थी केवल मोदी विरोधी है ऐसा भी नही है ऐसे बहुत से संस्थान और व्यक्ति भी है जो जाने अनजाने पैसे के लालच में इस खेल से जुड़े हैं।यह भी समझ लेना चाहिए कि यूएस एड चूंकि अमेरिकी प्रशासन का ही हिस्सा है इसलिए भारत सरकार समेत अनेक राज्यों की सरकारों ने भी इसके साथ विकास और कल्याण से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर भागीदारी कर रखी है।लेकिन अहम सवाल विदेशी फंडिंग के जरिये राजनीति और जनमत को एक खास विचार के लिए काम करने का है।
5 हजार एनजीओ डीप स्टेट से जुड़े-
कांग्रेस नेता जयराम रमेश डोनाल्ड ट्रम्प के दावे को बेतुका बताकर श्वेत पत्र की मांग सरकार से कर रहे है वहीं भाजपा ने फिर से राहुल गांधी पर विदेशी ताकतों के इशारों पर काम करने का आरोप दोहराया है।
असल में विदेशी फंडिंग से भारत में राजनीतिक एजेंडे पर काम करने के आरोप नए नही है।यह शीतयुद्ध के समय भी प्रचलन में थे और अब 2014 के बाद जिस तरह से परम्परागत राजनीतिक परिदृश्य बदला है उसके साथ देश के शासन और राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप विमर्श का प्रधान बिंदु बन गया है।खासकर मीडिया और एनजीओ दो ऐसे क्षेत्र है जहां सत्ता और विपक्ष के साथ जबरदस्त धुर्वीकरण दिखाई दे रहा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते बजट सत्र की शुरुआत में यह कहकर इसी विमर्श को आगे बढ़ाया था कि इस सत्र की शुरुआत में कोई विदेशी रिपोर्ट नही आई है।प्रधानमंत्री का इशारा राहुल गांधी की तरफ ही था जो कभी हिंडनबर्ग कभी पेगासस,कभी विकीलीक्स कभी ओसीसीआरपी जैसे आउटलेट की रिपोर्ट पर संसद में हंगामा करते रहे हैं।
इस अंक में हम उन प्रमुख एनजीओ के बारे में पड़ताल करने की कोशिश कर रहे हैं जिनका संबन्ध डीप स्टेट के टूल जैसे ओपन सोसायटी फाउंडेशन, एमनेस्टी इंटरनेशनल, ऑक्सफेम,वर्ल्ड विजन, सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी,प्रदान,इंडियन ग्रामीण सोसायटी, मीराकेल,प्रथम ,ग्रीन पीस, यूनिसेफ,एक्शन एड,प्लान इंडिया,केयर इंडिया,सेव द चिल्ड्रन,हैबिटेट फ़ॉर ह्यूमन इंडिया,फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन इंडिया आदि से है।इस समय देश में सरकारी संगठनों के अलावा करीब 5 हजार एनजीओ ऐसे है जो डीप स्टेट के इकोसिस्टम से सीधे या परोक्ष रूप से विकास,कल्याण और गरीबी के नाम पर पैसा ले रहे हैं।
एफसीआरए से समझिए गणित
-इस समय देश में कुल 20713 एनजीओ एवं ट्रस्ट ऐसे हैं जिन्हें विदेशों से चंदा मिल रहा हैं।
-एफसीआरए यानी एक लाइसेंस जिसके आधार पर कोई भी एनजीओ विदेशी फंड हासिल कर सकता है।
-भारत में इस समय 843 लोगों पर एक पुलिसकर्मी है लेकिन आश्चर्य जनक तथ्य यह है कि देश में 600 लोगों पर एक एनजीओ है।
-2013 में दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस प्रदीप नन्दा ने एक निर्णय में कहा था कि देश में 90 फीसदी एनजीओ संदिग्ध हैं।
- यूपीए सरकार में तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने सदन में बताया था कि देश में केवल 10 फीसदी एनजीओ ही अपना हिसाब किताब और जानकारी सरकार को साझा करते हैं।
- पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी विकास परियोजनाओं में अड़ंगेबाजी पर विदेशी सहायता प्राप्त एनजीओ को एक खतरनाक ट्रेंड के रुप में रेखांकित किया था।
-2013 में गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया था कि 6000 एनजीओ ने फर्जी तरीके से एफसीआरए लाइसेंस हासिल कर विदेशी फंड हासिल किया था।
-गृह मंत्रालय की एफसीआरए वेबसाइट के अनुसार अप्रैल 2024 तक गृह मंत्रालय ने 20,701 से अधिक एनजीओ या एसोसिएशन के एफसीआरए पंजीकरण रद्द कर दिए हैं।
बात अपनी
- कांग्रेस नीत यूपीए सरकार (2004-2013) के दौरान भारत सरकार को 204.28 मिलियन डॉलर और एनजीओ को 2,114.96 मिलियन डॉलर की विदेशी फंडिंग मिली थी।
-मोदी सरकार (2014-2024) के दौरान सरकार को सिर्फ 1.51 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली, जबकि एनजीओ को 2,579.73 मिलियन डॉलर मिले हैं।
-2022 में ‘डेमोक्रेसी, ह्यूमन राइट्स और गवर्नेंस’ फंडिंग में अचानक बढ़ोतरी हुई, जो राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के समय के साथ मेल खाती है।
-2015 के बाद यूएसएड ने भारत सरकार को फंडिंग देना बंद कर दिया, लेकिन एनजीओ को मिलती रही
भारत जोड़ो यात्रा और विदेशी फंडिंग का कनेक्शन
क्या यह महज संयोग है कि साल 2022 में अचानक एनजीओज को विदेशी फंडिंग का ग्राफ बढ़ा और इसी समय राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की प्लानिंग होती है।
इस यात्रा के मुख्य शिल्पी और प्रभारी होते है विजय महाजन,योगेंद्र यादव और नदीम खान।
-विजय महाजन राहुल गांधी के प्रमुख सलाहकार तो हैं ही वे राजीव गांधी फाउंडेशन के सीईओ भी हैं।
-महाजन मूलतः अमरीकी एनजीओ फोर्ड फाउंडेशन के उत्पाद हैं और एक समय मोहम्मद यूनिस (बांग्लादेश )के साथ फोर्ड में काम कर चुके हैं।
-विजय महाजन और इंफोसिस के पूर्व चेयरमैन डॉ जी के जयराम के साथ मिलकर 2010 में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग देनें के लिए जवाहर लाल नेहरू लीडरशिप इंस्टिट्यूट स्थापित किया था।
-विजय महाजन का एक एनजीओ है जिसका नाम है “प्रदान”।यह एनजीओ यूएस एड,फोर्ड फाउंडेशन, ओपन सोसायटी फाउंडेशन जैसे तमाम एनजीओ और संगठनों से फंड लेता है।यूएसएड के बेबसाइट पर इसे देखा जा सकता है।
-प्रदान एनजीओ के को -फाउंडर हैं दीप जोशी। जो फोर्ड फाउंडेशन में बड़े अधिकारी रहे हैं।
-जिस समय बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ उसके तत्काल बाद भारत जोड़ो यात्रा के महासचिव नदीम खान ने फेसबुक पर लिखा जल्द ही भारत में भी ऐसा होगा।
- विजय महाजन ,योगेंद्र यादव ने किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई ,अडानी अंबानी के नाम पर किसानों को भड़काया लेकिन ‘प्रदान’की बेबसाइट बताती है कि खुद विजय महाजन कृषि उत्पादों से जुड़ी विदेशी कम्पनियों से करोड़ों का चंदा अपने प्रदान एनजीओ में हासिल करते हैं।कृषि रसायन बनाने वाली एक विदेशी कम्पनी है “बायर”और दूसरी है”मोनसेंटो”दोनों से ग्रामीण विकास के नाम पर ‘प्रदान’ ने करोड़ों रुपए हासिल किए।समझ सकते हैं कि किसान आंदोलन को खादपानी कैसे एनजीओ के जरिये मिलता रहा है।
-भारत जोड़ो यात्रा से पूर्व डेमोक्रेसी के नाम पर यूएसएड से भारत में अचानक फंड की बरसात होती है इसी बीच राहुल गांधी अमेरिका और लंदन में भारत विरोधी बयान देते हैं।
-विजय महाजन 1982 से “प्रदान” की चला रहे ।प्रदान की बेबसाइट पर यूएसएड के साथ साझेदारी का जिक्र 2017-18 की बार्षिक रिपोर्ट में है जिसे चार दिन पहले ही हटाया गया है लेकिन यूएस एड की बेबसाइट पर विजय महाजन की एनजीओ का उल्लेख अभी भी देखा जा सकता है।
-विजय महाजन को यूएसएड के मिलेनियम इनोवेशन फंड से सीधे 78 करोड़ मिलने का जिक्र बेबसाइट पर है।प्रदान की बेबसाइट से बहुत सा डेटा ट्रम्प के निर्णय के बाद डिलीट कर दिया गया है।
-मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले में एक जनजाति बाहुल्य ब्लाक है केसला।यहां भी आदिवासी सशक्तिकरण के नाम पर एक प्रोजेक्ट में महाजन का एनजीओ काम करता रहा है।यह वही ब्लाक है जहां भाजपा को अक्सर चुनावी हार मिलती है।मप्र के बड़बानी, बैतूल,खंडवा,डिंडोरी,बालाघाट में भी प्रदान के सहयोगी एनजीओ काम कर रहे हैं।
-इस बात की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है कि भारत जोड़ो यात्रा की फंडिंग भी विजय महाजन के जरिये यूएसएड एवं अन्य विदेशी एनजीओ द्वारा की गई हो।ऐसा आरोप अब भाजपा खुलकर लगा रही है।यह भी समझना होगा कि विजय राजीव गांधी फाउंडेशन के सीईओ भी हैं जो गांधी परिवार का जेबी एनजीओ है,जिसे चीन से करोड़ों की सहायता प्राप्त हुई थी।मोदी सरकार ने नियमों के उल्लंघन के कारण इस फाउंडेशन के एफसीआरए लाइसेंस को रद्द कर दिया था।
-विजय महाजन एक और एनजीओ के मालिक है उसका नाम है बेसिक्स।इसके प्रमोटर है चांदनी महाजन एवं फोर्ड फाउंडेशन हैं।
-महाजन और कांग्रेस इकोसिस्टम का एक अन्य एनजीओ है” द इंडीपेंडेंट एंड पब्लिक स्प्रिटटेड मीडिया फाउंडेशन (आईपीएसएमएफ)। इसकी संस्थापक ट्रस्टी हैं रुक्मणि बनर्जी। यह प्रदान एनजीओ की वाइस चेयरमैन हैं।रुक्मणि “प्रथम”एनजीओ की भी सीईओ हैं।यह वही एनजीओ है जो हर साल “असर”नाम से सरकारी स्कूलों से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी करता है।
-ध्यान देना होगा कि प्रथम एनजीओ के मालिक माधव चव्हाण हैं जो यूपीए सरकार में सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली नेशनल एडवाइजरी कौंसिल(एनएसी) के सदस्य रहे हैं।प्रथम के साथ देश की सभी भाजपा सरकारें भी जुड़ी हुई हैं।
- गांधी परिवार से जुड़े विजय महाजन एक समानांतर सिस्टम को लीड करते हैं उन्होंने ‘प्रदान’ के अलावा ऐसे तमाम एनजीओ को अपने साथ जोड़ रखा है जो भाजपा विरोधी एजेंडे को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जमीन पर उतारते हैं।इन एनजीओ और थिंक टैंक के लिए फंडिंग का इंतजाम भी विजय महाजन के जरिये होता है।
-हर्ष मन्दर,मेघा पाटकर,कविता कृष्णन, तीस्ता सीतलवाड़,अरुणा राय,पीवी राजगोपाल,विराज पटनायक,शबाना आजमी,दीपाली खन्ना, शांता सिन्हा,रीता सरीन,जयति घोष,संदीप चचरा,जैसे लेफ्ट इकोसिस्टम के तमाम चेहरे इस नेटवर्क से परोक्ष रूप में जुड़े हुए हैं।
-किसान आंदोलन ,शाहीन बाग, गुजरात दंगे,असम एनआरसी,सीएए आंदोलन,हाथरस कांड,संभल दंगा जैसे घटनाक्रमो पर इस गैंग की गतिविधियों को इंटरनेट पर स्पष्ट रूप से एजेंडा के रूप में देखा जा सकता है
मप्र और छत्तीसगढ़ में 600 से अधिक एनजीओ विदेशी फंड ले रहे है
मप्र में इस समय 332 एनजीओ और ट्रस्ट विदेशी फंड हासिल कर रहे हैं जिला बार इनकी संख्या इस प्रकार:
-बालाघाट-03
-भिंड 01
-उज्जैन-05
-भोपाल 90
-छतरपुर 06
-छिंदवाड़ा 07
-दमोह 07
-धार 03
-खंडवा 06
-गुना 04
-ग्वालियर-17
-होशंगाबाद 06
-इंदौर में 57
-जबलपुर 17
-झाबुआ 10
-खरगोन 07
-मंडला 06
-मंदसौर 01
-नरसिंहपुर 01
-पन्ना 01
-राजगढ़ 01
-रतलाम03
रीवा 03
-सागर-13
-शाजापुर 02
-सतना-05
-सीहोर 03
-सिवनी-04
-शहडोल 02
-शिवपुरी03
०खासबात यह है कि इनमें से 33 फीसदी एनजीओ ईसाई मिशनरीज के हैं।
०सबसे ज्यादा 26 भोपाल,14 इंदौर एवं 17 ईसाई एनजीओ जबलपुर में कार्यरत हैं।
०छत्तीसगढ़ में करीब 300 एनजीओ विदेशी फंड प्राप्त कर रहे हैं सर्वाधिक रायपुर, बस्तर,कांकेर,जगदलपुर, कवर्धा और सरगुजा में हैं।
०छत्तीसगढ़ में वे सभी एनजीओ कार्यरत है जिनके विदेशी चंदा लाइसेंस भारत सरकार ने रद्द या निरस्त किये हैं।
एनएफआई और आई जी एस
दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में सन्चालित नेशनल फाउंडेशन फ़ॉर इंडिया के प्रमुख बिराज पटनायक हैं जो हर्ष मन्दर जैसे अर्बन नक्सलियों को समर्थन देते हैं।यह सेंटर दिल्ली में आन्दोलनजीवियों का प्रमुख अड्डा है।इस एनजीओ की 31 मार्च 2024 की बैलेंस शीट के अनुसार 43 करोड़ रुपये इसके पास है।विदेशों से इस संस्था को जमकर फंड मिल रहा है।मप्र में टिमरनी,खंडवा,भोपाल,ग्वालियर, छिंदवाड़ा, जबलपुर, रीवा के स्थानीय एनजीओ को एनएफआई से लाखों की फंडिंग की जा रही है।इसी तरह छत्तीसगढ़ के 05 एनजीओ इसके पार्टनर हैं।
इंडियन ग्रामीण सोसायटी नामक एनजीओ विजय महाजन,दीप जोशी द्वारा संचालित है।इसका टर्नओवर 106 करोड़ है। इसने मप्र के राजगढ़, होशंगाबाद,पिपरिया, सोहागपुर, अमरकंटक,भोपाल,पचमढ़ी समेत 10 जिलों में 50 प्रोजेक्ट्स पर करीब 12 करोड़ खर्च किये हैं।ये दोनों एनजीओ मूलतः विजय महाजन के अम्ब्रेला वाले ही हैं।
मप्र में यूनिसेफ भी करीब 100 एनजीओ को फंडिंग कर रहा है जिनके रिश्ते विजय महाजन ,हर्ष मन्दर के साथ है।मप्र के एक सरकारी महकमे ने हाल ही में उदयन केयर,मिराकेल,आवाज जैसे बदनाम संगठनों के साथ एमओयू साइन किया है।भोपाल में करीब आधा दर्जन एनजीओ है जो विदेशों से पैसे ले रहे हैं जिनमे कुछ राजीव गांधी फाउंडेशन से भी जुड़े रहे है औऱ फिलहाल मप्र पुलिस एवं महिला बाल विकास के साथ पार्टनर हैं।
मुरैना की एक एनजीओ महात्मा गांधी सेवा ट्रस्ट जो एकता परिषद से संबद्ध है।हर साल क्रिस्चियन एड से करोड़ों रुपए हासिल कर रहा है।