All England: क्या इस बार खत्म होगा 24 साल का इंतजार? अब तक सिर्फ इन दो दिग्गज खिलाड़ियों ने जीती है ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप...
All England: आज से इंग्लैंड में प्रतिष्ठित ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप की शुरुआत हो रही है, जहां भारतीय शटलरों के पास 24 साल के लंबे खिताबी सूखे को खत्म करने का सुनहरा मौका होगा। अब तक भारत के लिए सिर्फ दो ही खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण (1980) और पुलेला गोपीचंद (2001) इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में खिताब जीत पाए हैं।
हाल ही में साइना नेहवाल (2015) और लक्ष्य सेन (2022) उपविजेता रहे थे, लेकिन इस बार भारतीय खिलाड़ी खिताब जीतने के इरादे से कोर्ट पर उतरेंगे। क्या इस बार इंतजार खत्म होगा? यही सबसे बड़ा सवाल है।
जब भारतीय शटलर ने रचा था सुनहरा इतिहास
प्रकाश पादुकोण ने 24 साल की उम्र में इतिहास रचते हुए मेंस सिंगल्स फाइनल में इंडोनेशिया के लियेम स्वी किंग को 15-3, 15-10 से मात देकर खिताब अपने नाम किया था। उनकी यह जीत सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि टूर्नामेंट के इतिहास में भी खास बन गई, क्योंकि उन्होंने दूसरी वरीयता प्राप्त इंडोनेशियाई दिग्गज का लगातार तीसरी बार खिताब जीतने का सपना तोड़ दिया था।
लगातार दूसरी बार चैंपियन बनने से चूक गए प्रकाश पादुकोण
प्रकाश पादुकोण ने अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद अगले ही साल, 1981 में फिर से ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाई। एक बार फिर उनका सामना इंडोनेशिया के लियेम स्वी किंग से हुआ, लेकिन इस बार किंग ने 11-15, 15-4, 15-6 से जीत दर्ज कर पादुकोण का लगातार दूसरी बार खिताब जीतने का सपना तोड़ दिया। हालांकि, इस उपलब्धि ने पादुकोण की स्टारडम को और मजबूत कर दिया और वह भारतीय बैडमिंटन के सबसे बड़े दिग्गजों में शामिल हो गए।
प्रकाश पादुकोण के बाद सिर्फ गोपीचंद ने दोहराई ऐतिहासिक सफलता
ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के 117 साल के इतिहास में भारत की ओर से सिर्फ दो ही खिलाड़ी चैंपियन बने हैं...प्रकाश पादुकोण और पुलेला गोपीचंद। गोपीचंद ने 2001 में यह खिताब अपने नाम किया था। वहीं, महिलाओं में साइना नेहवाल 2015 में फाइनल तक पहुंचने वाली पहली भारतीय बनीं, लेकिन खिताब नहीं जीत सकीं। उन्हें स्पेन की कैरोलिना मारिन के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा।
1991 में संन्यास के बाद प्रकाश पादुकोण ने बैडमिंटन प्रशासन में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन के रूप में सेवाएं दीं। 1993 से 1996 तक वे भारतीय बैडमिंटन टीम के कोच रहे। उनकी उपलब्धियों के सम्मान में 2017 में ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप ने उन्हें चीफ गेस्ट के रूप में आमंत्रित किया। यह उनके करियर का एक और गौरवपूर्ण क्षण था।