Union Carbide Waste Explainer: यूनियन कार्बाइड कचरे के जलने पर लगा ब्रेक, जानिए पूरे मामले की A to Z कहानी

Update: 2025-01-04 08:13 GMT

Union Carbide Waste Burning

Union Carbide Waste Burning Explainer : मध्य प्रदेश। भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड का कचरा पीथमपुर में जलाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने फिलहाल इस पर ब्रेक लगा दिया है। सीएम मोहन यादव ने शुक्रवार रात इमरजेंसी बैठक में कहा कि, हाईकोर्ट के सामने सभी परिस्थितियों और व्यावहारिक कठिनाइयों को रखेंगे। कोर्ट का आदेश आने तक यूनियन कार्बाइड का कचरा नहीं जलाया जाएगा। आइये जानते हैं यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने से लेकर इसे रोकने तक की A to Z कहानी...।

दरअसल, साल 2004 में उच्च न्यायालय जबलपुर (Jabalpur High Court ) में आलोक प्रताप सिंह ने जनहित याचिका दायर की। इस याचिका में उच्च न्यायालय से मांग की गयी कि यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन इंडिया लिमिटेड भोपाल परिसर (UCIL) में संग्रहित रासायनिक अपशिष्ट पदार्थों का विनिष्टीकरण किया जाये एवं उस पर होने वाले व्यय कि प्रतिपूर्ति यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन (यूसीसी)/ डॉउ केमिकल से किया जाये।

यूनियन कार्बाइड कार्पोरेशन लिमिटेड भोपाल परिसर (UCIL) में बिखरे रासायनिक पदार्थों को जून-2005 में एकत्रित कर एक सुरक्षित शेड में मध्यप्रदेश प्रदूषण निवारण बोर्ड की सुपरविजन में रखा गया।

जबलपुर हाई कोर्ट ने 16 दिसंबर 2008 को आदेश पारित कर निर्देश दिये गये कि विनिष्टीकरण की कार्यवाही राज्य शासन द्वारा समय सीमा 6 सप्ताह मे सुनिश्चित की जाये यदि कोई किसी प्रकार व्यवधान पैदा करता है तो अवमानना संबंधी कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। गैस राहत विभाग एवं मध्यप्रदेश प्रदूषण निवारण मण्डल भोपाल द्वारा सीपीसीबी की गाइडलाइन का पालन करते हुए जून-2008 में लाइम स्लज 39.6 एमटी. को सीपीसीबी की गाइडलाइन अनुसार सफलतापूर्वक लैंडफिल टीएसडीएफ, पीथमपुर जिला-धार में किया गया।

समय-समय पर कोर्ट द्वारा दिये गये निर्देश

सर्वोच्च न्यायालय ने 4 मार्च 2013 को निर्देश दिये कि, 10 मेट्रिक टन हिन्दुस्तान इन्सेक्टीसाइड लिमिटेड प्लांट केरल राज्य में कोचिन से परिवहन कर टीएसडीएफ की पीथमपुर में ट्रायल रन की जाए-केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2013 में सफलतापूर्वक ट्रायल किया।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल 2014 को निर्देश दिये गये 10 मेट्रिक टन यूनियन कार्बाइड टीएसडीएफ की पीथमपुर में ट्रायल रन की जाए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 2015 में सफलतापूर्वक ट्रायल किया गया।

जबलपुर उच्च न्यायालय 3 दिसंबर 2024 के आदेश में राज्य शासन एवं राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को केमिकल वेस्ट यूनियन कार्बाइड स्थल से पूर्व निर्धारित स्थल पर 4 सप्ताह के भीतर सुरक्षित परिवहन करने के निर्देश दिए गए।

विभाग ने की गई कार्यवाही

केन्द्रीय प्रदूषण निवारण मण्डल नई दिल्ली द्वारा शेष बचे 337 मेट्रिक टन रासायनिक यूसीआईएल वेस्ट के विनिष्टीकरण के लिए RFP 4 दिसंबर 2017 को तैयार कर सचिव, भारत सरकार, रसायन एवं पेट्रोरसायन की अध्यक्षता में आयोजित बैठक 5 दिसंबर 2017 को राज्य शासन को उपलब्ध कराया गया है।

केन्द्रीय प्रदूषण निवारण मण्डल से प्राप्त RFP का परीक्षण कर निविदा जारी करने के लिए निविदा प्रपत्र तैयार किया। इसके बाद यह काम करने के लिए संचालक गैस राहत एवं पुनर्वास की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय समिति का गठन किया गया।

23 सितम्बर 2021 को निविदा प्रकाशित की गयी जिसमें दो निविदाकारों मेसर्स पीथमपुर इण्डस्ट्रीयल वेस्ट मैनेजमेंट प्राईवेट लिमिटेड, पीथमपुर जिला-धार म.प्र. एवं मेसर्स सेन्चुरी ईको सोल्यूशन प्राईवेट लिमिटेड, बैंगलुरु, कर्नाटक द्वारा निविदा प्रस्तुत की गयी। इस कार्य के लिए पीथमपुर कम्पनी की निविदा उपयुक्त पाई गई।

विभाग द्वारा कार्रवाई से पता चला कि, भोपाल में लगभग 358 टन यूनियन कार्बाइड का कचरा निकला है। इसमें 60% से ज्यादा केवल स्थानीय मिट्टी है एवं लगभग 40% सेवन नेपथॉल, रिएक्टररेसीड्यूस और समी प्रोसेस पेस्टीसाइड्स का अपशिष्ट है। सेवन नेपथॉल रेसीड्यूस मूलतः मिथाइल आइसो साइनेट एवं कीटनाशकों के बनने की प्रक्रिया का सह-उत्पाद होता है। इसका जहरीलापन 25 साल में लगभग पूर्तः समाप्त हो जाता है। स्पष्ट है कि घटना को 40 साल बीत चुके हैं, इसलिए बचे हुए कचरे में कोई हानिकारक तत्व नहीं है।

विभाग ने बताया कि, कचरे की निपटान की प्रक्रिया का गहन परीक्षण किया गया होगा। भारत सरकार की विभन्न संस्थाए जैसे-नीरी (नेशनल इन् वॉयरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीटयूट), नागपुर, NGRI (नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीटयूट) हैदराबाद, IICT (इंडीयन इंडीयन इंस्टीटयूट ऑफ केमीकल टेक्नोलॉजी) तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा समय-समय पर किए गए अध्ययन और सर्वोच्च न्यायालय को प्रस्तुत प्रतिवेदनों के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय ने भारत सरकार पर्यावरण मंत्रालय को मार्च 2013 में निर्देश दिए गए कि केरल राज्य में कोच्चि स्थित हिन्दुस्तान इनसेक्टीसाइड लिमिटेड, कोच्चि के 10 टन यूनियन कार्बाइट के समान कचरे का परिवहन कर पीथमपुर स्थित TSDF में ट्रायल रन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगरानी में किया जाए। इसके अनुसार सफलतापूर्वक ट्रायल रन किया और सर्वोच्च न्यायालय में प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिवेदन के निष्कर्ष के आधार पर अप्रैल 2014 में यूसीआईएल कचरे का 10 मीट्रिक टन ट्रायल रन भारत सरकार, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नई दिल्ली की निगरानी में पीथमपुर में किया जाये। इस दौरान विडियोग्राफी किया जाना सुनिश्चित किया जाये और उसके विश्लेषण निष्कर्ष को शपथपत्र के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया जाये।

अगस्त 2015 में ट्रायल रन सफलतापूर्वक करने के बाद केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रायोगिक निपटान की रिपोर्ट्स उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत की गई। इन रिपोर्ट में ये सामने आया कि इस प्रकार के कचरे के निपटान से वातावरण कोई नुकसान होना स्पष्ट नहीं हुआ है। इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने सभी रिपोर्ट के गहन परीक्षण के बाद ही कार्यवाही को आगे बढ़ाने एवं उन्हें नष्ट करने लिये निर्देशित किया।

इसके बाद मुख्य सचिव द्वारा विस्तुत रूप से तीन बिंदुओं पर जांच कराई 1. आसपास के गांव में स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण, 2. फसल की उत्पादकता पर प्रभाव, 3. क्षेत्रीय जल स्त्रोतो की गुणवत्ता का परीक्षण कराया गया और यह पाया गया कि इसके कोई भी नकारात्मक परिणाम नहीं हुए है। कचरे की निष्पादन की प्रक्रिया की सतत निगरानी में की जायेगी। सभी टीमें जैसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मध्यप्रदेश प्रदूषण नियत्रण बोर्ड मौजूद रहेंगे और इनकी रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत की जायेगी।

पीथमपुर में कचरा जलाने का विरोध

जहरीला कचरा पीथमपुर में जलाने के खिलाफ स्थानीय निवासियों ने प्रदर्शन किया है। इस दौरान ग्रामीणों ने पुलिस पर और रामकी कंपनी पर पथराव भी किया। पुलिस ने भीड़ पर काबू पाने के लिए लाठीचार्ज के साथ आसूं गैस का प्रयोग किया है। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में बताई जा रही है।

सरकार ने कचरा जलाने पर लगाया ब्रेक

पीथमपुर में हो रहे प्रदर्शन को देखेत हुए सीएम मोहन यादव ने शुक्रवार देर रात आपातकाल बैठक की। इस बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि,हमारी सरकार ने पीथमपुर घटना के बारे में संज्ञान लिया है। हमारी सरकार जनकल्याणकारी, जनहितैषी तथा जनभावनाओं का आदर करती है। उच्च न्यायालय के आदेश के पालन में यूनियन कार्बाइड के कचरे का परिवहन पीथमपुर में किया गया है।

जनभावनाओं का आदर करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष समस्त परिस्थितियों एवं व्यावहारिक कठिनाइयों से अवगत कराया जाएगा। मैं जनता से अपील करता हूं कि किसी भी अफवाह या भ्रम की खबरों पर विश्वास नहीं करें। मैं और मेरी सरकार आपके साथ है।

प्र. कचरे के निष्पादन से जलस्त्रोतों का प्रदूषित होना?

उत्तरः नीरी से जनवरी 2023 में जलस्त्रोतों की विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त, जिसमें प्री-मानसून तथा पोस्ट-मानसून में जनस्त्रोतों का 11 बिन्दुओं पर परीक्षण उपलब्ध - सभी पैरामीटर सामान्य पाए गए।

मुख्य तत्व की जानकारी प्री मानसून पारा 0.0004 PPM (मानक स्तर 0.001 PPM) पोस्ट मानसून - पारा -0.0002 PPM (मानक स्तर 0.001 PPM)।

प्र. कुछ विशिष्ठ गैसों जैसे डाइओक्सिन एंड फ्यूरोन तथा भारी धातुओं का परीक्षण वायु में नहीं किया गया ?

अगस्त 2015 की रिपोर्ट अनुसार चिमनी से निकलने वाले धुएं की परीक्षण रिपोर्ट

प्र. कचरा निष्पादन के दौरान वायु गुणवत्ता रिपोर्ट की उपलब्धता ?

उत्तरः  सभी रिपोर्ट्स को सोशल मीडिया, डिस्प्ले तथा वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाएगा।

प्र. कचरा निष्पादन की प्रक्रिया शीतकाल में ही क्यों?

उत्तरः कचना निष्पादन की प्रक्रिया हर मौसम में मानकों के आधार पर चलाई जाएगी। यदि किसी भी मौसम में मानकों से अधिक कोई तत्व पाया जाता है, तो प्रक्रिया में परिवर्तन किया जाएगा।

प्र. 2013 तथा 2015 के बाद क्या स्वास्थ्य संबंधी अध्ययन किए गए?

उत्तरः जब सभी रिपोर्ट के सभी पैरामीटर मानक सीमा के अंदर थे तो इसकी पृथक से आवश्यकता नहीं थी। अभी हाल ही में मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट प्राप्त की है। 12 ग्रामों में स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, स्थिति सामान्य पाई गई।

प्र. यदि कचरा निष्पादन के दौरान कोई दुर्घटना हुई तो शासन का क्या रेस्पोस होगा?

उत्तरः कचरे का निष्पादन कोई एक दिन की प्रक्रिया नहीं है तथा इससे निकलने वाली समस्त गैसों का मापन किया जाएगा। किसी भी प्रकार का कोई डेविएशन होने की स्थिति में जनता का हित सर्वोपरि होगा।

प्र. कचरा निष्पादन में इमरजेंसी रेस्पोंस के बिन्दु निम्न हैं:-

उत्तर: जब इंसीनेटर का तापमान तेजी से बढ़ता है, तो PLC शट-डाउन का प्रावधान है।

Offsite & Onsite रेस्पोंस प्लान बनाया गया है।

प्र. दुर्घटना होने पर पीथमपुर में चिकित्सा सेवाओं का अभाव ?

उत्तर : भारत सरकार के श्रम मंत्रालय द्वारा ESIC योजना के अधीन चिकित्सालय स्वीकृत। जिसका भूमिपूजन माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा किया जा चुका है।

प्र. कचरे का निष्पादन पीथमपुर में ही क्यों?

उत्तर : सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 4 मार्च 2013 और 17 अप्रैल 2014 में ट्रायल रन के निर्देश दिए गए। इसका सफल ट्रायल किया गया। मध्यप्रदेश में Hazardous Waste Disposal Facility सिर्फ पीथमपुर में उपलब्ध है। इसलिए वीरान जगह पर भी कचरे का निष्पादन नहीं किया जा सकता।

प्र. भविष्य की पीढियां कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित होंगी?

उत्तर : संपूर्ण कचरा निष्पादन में वायु गुणवत्ता का परीक्षण किया जाएगा अतः इसकी संभावना नहीं है।

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