MP CAG Report: मध्यप्रदेश में स्वास्थ क्षेत्र की क्या है स्थिति, दावों की पोल खोलती कैग की रिपोर्ट

Update: 2024-12-20 07:14 GMT

MP CAG Report

MP CAG Report : भोपाल। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (पीएचसी), सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी) और सिविल अस्पतालों (सीएच) में, मध्य प्रदेश सरकार ने आईपीएचएस मानदंडों के अनुसार आवश्यक पदों में से 41 से 50 प्रतिशत पद स्वीकृत नहीं किए हैं। इस बात का खुलासा कैग की रिपोर्ट में किया गया है। यह जानकारी भी सामने आई है कि, डीएचएस (100 से 500 बिस्तरों वाले) में, आईपीएचएस मानदंडों के अनुसार 15 से 23 प्रतिशत पद राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत ही नहीं किए गए हैं।

विभिन्न सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों (एचएलएस) में, मध्य प्रदेश सरकार ने आईपीएचएस मानदंडों की तुलना में 18 से 75 प्रतिशत तक कम पदों को स्वीकृत किये हैं। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि, स्वास्थ क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी और डॉक्टर कितने दबाव में काम करते होंगे

कैग की रिपोर्ट बीते दिनों मध्यप्रदेश विधानसभा के पटल पर रखी गई थी। पढ़िए डॉक्टर्स, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी को उजागर करती इस रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु -

मध्य प्रदेश सरकार ने स्वीकृत पदों के अनुसार डॉक्टरों या विशेषज्ञों की तैनाती नहीं की। राज्य के डीएचएस में डॉक्टरों के 3,028 स्वीकृत पदों में से केवल 1,659 डॉक्टर ही तैनात थे। इसी तरह सीएच में 1,226 डॉक्टरों के स्वीकृत पदों के मुकाबले 527 और सीएचसी, पीएचसी और एसएचसी में 2.047 डॉक्टरों की कमी थी।

मेडिकल कॉलेजों में 1,213 और आयुष विभाग में 1,139 डॉक्टरों की कमी थी। नर्सिंग कैडर में स्वीकृत पदों के मुकाबले डीएच में 1,513, सीएच में 375 और सीएचसी, पीएचसी और एसएचसी में 1,283 नर्सों की कमी थी।

इसके अलावा, आयुष विभाग के तहत मेडिकल कॉलेजों में 2,416 और स्वास्थ्य संस्थानों में 135 नर्सों की कमी थी। डीएच में 1,240 पैरामेडिकल स्टाफ, सीएच में 452 और सीएचसी, पीएचसी और एसएचसी में 2,477 पैरामेडिकल स्टाफ की कमी थी।

इसके अलावा, आयुष विभाग के तहत मेडिकल कॉलेजों में 1,450 और स्वास्थ्य संस्थानों में 1,259 पैरामेडिकल स्टाफ की कमी थी। मई 2017, अगस्त 2018, नवंबर 2019, फरवरी 2021 और मई 2021 के लिए जांचे गए डीएच की अधिकांश विशेष नवजात देखभाल इकाइयों (SNCU) में नर्स-से-शिशु अनुपात आईपीएचएस मानकों से नीचे रहा।

इसके अलावा, मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य (MNH) टूलकिट के अनुसार आवश्यक जनशक्ति के मुकाबले राज्य के सभी डीएच में प्रसूति विंग में एक से 61 प्रतिशत के बीच मैनपॉवर की महत्वपूर्ण कमी थी।

आयुष शिक्षण अस्पतालों (एटीएच) में डॉक्टरों की 34 प्रतिशत, नर्सों की 49 प्रतिशत और पैरामेडिक्स की 37 प्रतिशत कमी थी। जिला आयुष अस्पतालों (डीएएच) में डॉक्टरों की 24 प्रतिशत, नर्सों की 78 प्रतिशत और पैरामेडिक्स की 16 प्रतिशत कमी थी।

राज्य के सभी जिला आयुष अधिकारियों (डीएओ) से एकत्र किए गए आंकड़ों से पता चला कि 1,773 आयुष औषधालयों में स्वीकृत 1,900 में से केवल 886 डॉक्टर (47 प्रतिशत) उपलब्ध थे। इसके अतिरिक्त, स्वीकृत 3,990 पदों में से केवल 2,896 पैरामेडिक्स उपलब्ध थे।

चयनित जिलों में प्रशिक्षण योजनाओं या प्रशिक्षण कैलेंडर की तैयारी में कमी थी। प्रशिक्षित कर्मचारियों का डेटाबेस नहीं रखा गया था, इसके अलावा, पीआईसी में कुशल प्रसव परिचारकों के लिए प्रशिक्षण नहीं दिया गया था।

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