मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को गृहमंत्री अनिल देशमुख के विरुद्ध निचली अदालत में आवेदन करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एससी कुलकर्णी ने परमबीर सिंह को लताड़ लगाते हुए पूछा कि केस दर्ज किए बिना क्या किसी मामले की जांच की जा सकती है।
एंटीलिया प्रकरण में निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाझे की गिरफ्तारी के बाद परमबीर सिंह को पुलिस आयुक्त पद से हटाकर होमगार्ड विभाग में तैनात किया गया था। इसके बाद परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर गृहमंत्री देशमुख पर 100 करोड़ रुपये प्रतिमाह रंगदारी वसूलने का आरोप लगाया था। इस मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसकी सुनवाई से इन्कार कर दिया था और परमबीर सिंह को हाईकोर्ट जाने की सलाह दी थी। इसके बाद परमबीर सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
परमबीर सिंह की ओर से वकील विक्रम नानकानी और राज्य सरकार की ओर से आशुतोष कुंभकोणी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में उपस्थित हुए। विक्रम नानकानी ने परमबीर सिंह का पत्र हाईकोर्ट में पढ़कर सुनाया और मामले की सीबीआई जांच का आदेश देने की मांग की। हाईकोर्ट ने कहा कि जब परमबीर सिंह को पता था कि अपराध हो रहा है तो उन्होंने मामला क्यों नहीं दर्ज करवाया। परमबीर सिंह खुद पुलिस आयुक्त थे और उन्हें कानून का ज्ञान है। इसी प्रकार परमबीर सिंह जिस बात का जिक्र अपने पत्र में कर रहे हैं, वह सुनी सुनाई बात पर आधारित है। परमबीर सिंह को जिसने यह बात बताई है, उसका शपथ पत्र परमबीर के पत्र के साथ नहीं है। हाईकोर्ट ने परमबीर को इस मामले में निचली अदालत में जाने का निर्देश दिया है।