पालघर मामले में गिरफ्तार एक आरोपी कोरोना पॉजिटिव, 20 पुलिसकर्मी समेत 43 अन्य की होगी जांच

Update: 2020-05-02 08:13 GMT

मुंबई। महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं की पीट-पीट कर हत्या करने के मामले में गिरफ्तार किए गए 115 आरोपियों में से एक आरोपी कोरोना वायरस की जांच में पॉजिटिव पाया गया है। पालघर ग्रामीण अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. दिनकर गावित ने इसकी पुष्टि की है। पालघर लिंचिंग केस में 55 साल का आरोपी, जो कोरोना पॉजिटिव पाया गया है, वह वाड़ा पुलिस थाने में कस्टडी में था। इस आरोपी के संपर्क में अब तक 43 लोग आए हैं, जिन्हें क्वारंटाइन किया जा रहा है और उनकी जांच हो रही है। इनमें 23 पुलिस के जवान हैं और 20 अन्य आरोपी हैं।

दरअसल, आरोपी दहानु में दिव्य-वाकीपाड़ा का रहने वाला है, जिसे 17 अप्रैल को कासा पुलिस ने गिरफ्तार किया था और तब से वह साधुओं की हत्या के मामले में 20 अन्य आरोपियों के साथ वाडा पुलिस लॉकअप में बंद था।

इस कोरोना संक्रमित आरोपी को दहानु कोर्ट में पेश किया गया था और अन्य 114 आरोपियों के साथ 14 मई तक पुलिस कस्टडी की मांग की गई थी। अन्य सभी आरोपियों को वाडा, दहानू, कासा, विक्रमगढ़, तलासरी और अन्य पुलिस थानों में लॉकअप में रखा गया है ताकि कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण भीड़भाड़ से बचा जा सके।

डॉ. गावित ने कहा कहा कि 28 अप्रैल की सुबह आरोपी के गले का स्वाब टेस्ट लिया गया, जिसमें वह नेगेटिव पाया गया। मगर शनिवार सुबह एक और टेस्ट किया गया और इसमें वह कोरोना पॉजिटिव निकला। उसे आरएच में भर्ती कराया गया था, मगर उच्च अधिकारियों से अनुमति लेने के बाद आरोपी मरीज को मुंबई के जेजे अस्पताल के जेल वार्ड में स्थानांतरित किया जा रहा है।

हालांकि, उन्होंने कहा कि आरोपी में कोरोना वायरस के अब तक कोई लक्षण नहीं दिखे हैं, मगर हम किसी तरह का कोई चांस नहीं ले सके। इस बीच आरोपी के लिए एस्कॉर्ट ड्यूटी पर तैनात 23 पुलिस के जवानों और 20 अन्य आरोपियों समेत 43 लोगों का कोरोना टेस्ट किया जा रहा है और नमूने लिए गए हैं। बता दें कि पालघर जिले में अब तक 170 कोरोना के मामले सामने आए हैं और 10 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं इस कोविड-19 से 59 लोग उबर भी चुके हैं।

गौरतलब है कि 16 अप्रैल को मुंबई से सूरत जाने वाले दो साधुओं की कार को 200 से अधिक लोगों की भीड़ द्वारा रोका गया था। चोर होने के संदेह पर इस भीड़ ने कार पर हमला कर दिया और पत्थर एवं डंडों से हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप दोनों संतों की मृत्यु हो गई। 

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